Korba : लोगों को शिकायत है नौकरी नहीं मिलती, ये जनाब पटवारी से लेकर दो बार कर्मचारी और दो बार चुने गए अफसर, चार-चार सरकारी नौकरी ठुकराकर बन ही गए डिप्टी कलेक्टर

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0 इमलीडुग्गू कोरबा  के होनहार युवा योगेश्वर द्विवेदी ने क्रैक किया पीएससी, स्टेट में 6वें टॉपर हैं, वर्तमान में सक्ति जिले के मालखरौदा में सहकारिता निरीक्षक के पद पर सेवा दे रहे हैं।

कोरबा। लोगों को अक्सर शिकायत रहती है कि हमें नौकरी नहीं मिलती। चारों ओर बेरोजगारी है। पर एक ऐसे भी हुनरमंद नौजवान भी हैं, जो अपनी मेहनत, लगन और इच्छाशक्ति पर विश्वास करते हैं। इसी आत्मविश्वास के बूते उन्होंने दो बार कर्मचारी तो दो बाद सरकारी अफसर की नौकरी हासिल की। पर उन्हें अभी अपनी मंजिल नहीं मिली थी, सो कोशिश करते अपने पथ पर डटे रहे। आखिरकार मेहनत रंग लाई और अपने दृढ़ संकल्प से पीएससी क्रैक कर डिप्टी कलेक्टर चुने गए।

हम बात कर रहे हैं ऊर्जानगरी कोरबा के ऊर्जावान नौजवान योगेश्वर द्विवेदी की। धीरज, एकाग्रता और आत्मविश्वास के साथ कठिन मेहनत में विश्वास रखने वाले योगेश्वर कुमार द्विवेदी ने पीएससी टॉप टेन में 6 वां स्थान बनाया है। पुरोहित पिता के बेटे योगेश्वर ने कल जारी हुए नतीजों को मिला 5वीं बार सरकारी नौकरी का एग्जाम क्रैक किया है। सबसे खास बात यह कि उन्होंने पीएससी में अपना पांचवा प्रयास भी दिया है। कोरबा के सीतामढ़ी के रहने वाले योगेश्वर वर्तमान में सक्ती जिले के मालखरौदा में सहकारिता निरीक्षक के पद पर पदस्थ है। वे लोग मूलत: जांजगीर जिले के बलौदा ब्लॉक के खैजा गांव के रहने वाले है। उनके पिता पुरोहित व मां गृहणी हैं। बच्चों को अच्छी शिक्षा के लिए वे कोरबा के सीतामढ़ी आ कर शिफ्ट हो गए। योगेश्वर कुमार द्विवेदी 4 भाई- बहनों में सबसे छोटे हैं। उनकी सबसे बड़ी बहन की शादी हो गई है और वह गृहणी हैं। दूसरे नंबर पर भाई स्वयं का व्यवसाय करते हैं। तीसरे नम्बर पर दीदी हैं, जिनकी भी शादी हो गई है और वह भी गृहणी हैं। सबसे छोटे योगेश्वर हैं। सबसे खास बात यह कि चारो भाई बहनों में योगेश्वर ही सरकारी नौकरी में आए हैं।

सरस्वती शिशु मंदिर में पढ़े, इंजीनियरिंग की डिग्री भी

योगेश्वर ने अपनी स्कूली शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर सीतामढ़ी कोरबा से पूरी की। उनका दसवीं में 85 व बारहवीं बोर्ड में 68 प्रतिशत था। उन्होंने गणित विषय से 12 वीं परीक्षा उतीर्ण की। फिर मैकेनिकल ब्रांच से इंजीनियरिंग की। वर्ष 2015 में इंजीनियरिंग पास आउट होने के बाद वे पीएससी की तैयारियों में जुट गए। उन्होंने वर्ष 2016 में व्यापम से सहायक संपरीक्षक और वर्ष 2017 में पटवारी परीक्षा निकाली पर जॉइन नहीं किया। वर्ष 2017 में पीएससी परीक्षा निकाल कर सहकारिता निरीक्षक बने और नौकरी जॉइन कर ली। वर्ष 2018 में फिर से पीएससी सलेक्ट हुए और जीएसटी निरीक्षक के पद पर सलेक्ट हुए। पर सेम रैंक के चलते जॉइन नहीं किया । पीएससी-2019 व 2020 में उनका मेंस क्लियर नहीं हुआ। वर्ष 2021 की पीएससी में वे तीसरी बार इंटरव्यू में पहुंचे और 6वां रैंक हासिल किया।

 

इंटरव्यू में पूछे गए 28 प्रश्न, पिता हैं पुरोहित और मां गृहणी

इंटरव्यू में पूछे गए 28 प्रश्न, पिता हैं पुरोहित और मां गृहणीयोगेश्वर का इंटरव्यू पीएससी बोर्ड अध्यक्ष सोनवानी के बोर्ड में पड़ा। उनसे लगभग 25 से 28 प्रश्न पूछे गए। उन्हें मुख्य परीक्षा में 1400 में से 778 नम्बर व इंटरव्यू में 150 में से 78 नम्बर मिले। योगेश्वर बताते हैं कि कोचिंग मिनिमम समय में मैक्जिम आउट पुट लाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने भी कोचिंग की थी। योगेश्वर मूलत: जांजगीर जिले के बलौदा ब्लॉक के खैजा गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता पुरोहित व मां गृहणी हैं। बच्चों को अच्छी शिक्षा के लिए वे कोरबा के सीतामढ़ी आ कर शिफ्ट हो गए।