Korba : समाज की प्रगति में हाथ बंटाने की बजाए फूट डालने, गुमराह और बदनाम करने की कोशिश 

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0 प्रेसवार्ता के माध्यम से चंद्रनाहु कुर्मी समाज के अध्यक्ष कमलेश चंद्रा ने रखी बात

कोरबा। सोमवार को चंद्रनाहु कुर्मी समाज के अध्यक्ष कमलेश चंद्रा ने तिलक भवन में प्रेस वार्ता ली। उन्होंने विगत दिवस चंद्रनाहु (चंद्रा) विकास महासमिति के केन्द्रीय अध्यक्ष रामरतन चंद्रा व एनटीपीसी निवासी अश्वनी चंद्रा द्वारा समिति के कार्यों पर गंभीर आरोप लगाते हुए पुलिस में की गई शिकायतों को बेबुनियाद बताते हुए अपना पक्ष रखा। उनका कहना है कि जब समाज को सामाजिक भवन के निर्माण में सबसे ज्यादा सहयोग की जरूरत थी, केंद्रीय समिति में से कोई सामने नहीं आया। कर्ज लेकर काम आगे बढ़ाया गया। किसी ईंटों तो किसी ने राशि के सहयोग का वादा किया, जो आज तक अधूरा है। अब भवन पूरा है और आय देने लगा है, तब इनकी नजर उसे हड़पने को लेकर लगी हुई है। केन्द्रीय महासमिति समाज को जोड़ने की बजाय तोड़ने और गुमराह करने का काम कर रही है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और आवश्यक वैधानिक कदम उठाए जाएंगे।

समाज के अध्यक्ष कमलेश चंद्रा ने बताया कि कोरबा जिला ही नहीं अपितु पूरे छत्तीसगढ़ में चंद्रनाहू (चंद्रा) समाज के लोग बड़ी संख्या में निवासरत हैं। सामाजिक, राजनैतिक एवं विभिन्न नौकरियों में कार्यरत रहने के साथ-साथ उद्योगों में भी अपनी पहचान बनाए हुए हैं। समाज के सभी लोगों को एकजुट करते हुए सामाजिक स्तर पर मजबूती प्रदान करने के लिए चंद्रनाहू (चंद्रा) विकास महासमिति का गठन किया गया है। इसके अधीनस्थ पूरे प्रदेश भर में इकाईयां काम कर रही हैं। कोरबा जिला ईकाई व क्षेत्रीय समिति भी इसके अंतर्गत है। कोरबा शहर के पोड़ीबहार में कोरबा भाग-1 का सामाजिक भवन शासन के सहयोग से निर्मित कराया गया है जहां पर चंद्रा समाज के लोगों की विभिन्न गतिविधियों के अलावा दूसरे समाज के लोगों को भी शुल्क लेकर आयोजन की सुविधा प्रदान की जाती है। भवन की गतिविधियों के संचालन हेतु भवन विकास समिति का गठन किया गया है। उपरोक्त भवन का देखरेख और रख-रखाव के लिए कोरबा समिति भाग-1 की जिम्मेदारी शुरू से रही है। इस भवन के ऊपरी तल पर 2 कमरे निर्माण कराया जा कर किराए पर दिया गया है और भूतल पर सामाजिक गतिविधियां पूर्ववत होती आ रही है।
विगत दिवस चंद्रनाहु (चंद्रा) विकास महासमिति के केन्द्रीय अध्यक्ष रामरतन चंद्रा एवं एनटीपीसी निवासी अश्वनी चंद्रा द्वारा समिति के कार्यों पर अनर्गल, निराधार और बेबुनियाद आरोप लगाकर सिविल लाइन थाना रामपुर में शिकायत की गई। जब समाज के लोगों ने इस पर आपत्ति की तो बड़ी संख्या में लोगों को इकट्ठा कर वाद-विवाद किया गया।

चंद्रनाहु कुर्मी समाज के अध्यक्ष कमलेश चंद्रा ने बताया कि सामाजिक भवन के ऊपरी तल को चंद्र स्वजन निधि लिमिटेड को प्रतिमाह 7 हजार रुपए किराए की दर पर दिया गया है। यह नॉन बैंकिंग फायनेंस कंपनी के तौर पर कार्यरत है तथा आरबीआई के गाइड लाइन को फॉलो करती है। भारत का राजपत्र कार्पोरेट कार्य मंत्रालय की अधिसूचना के द्वारा तय किए गए नियमों का पूरा-पूरा पालन इस संस्था के द्वारा किया जा रहा है। यह संस्था चंद्रा समाज की ही महिलाओं द्वारा संचालित है जिसकी डायरेक्टर श्रीमती लेखिका चंद्रा है। इस संस्था के द्वारा चंद्रा समाज के ही लोगों को जोड़ा गया है ताकि वे बचत की आदत डालकर आर्थिक रूप से स्वयं को मजबूत कर सकें। 900 से अधिक खातेदार तथा 450 के लगभग ऋणधारक संस्था से लाभान्वित हो रहे हैं। 250 से भी अधिक युवाओं को विभिन्न रोजगार के लिए संस्था के द्वारा ऋण प्रदान किया गया है। संस्था के द्वारा ही समाज के किसी सदस्य के बीमार होने पर आपात स्थिति में बिना ब्याज का एक लाख रुपए वापसी योग्य आर्थिक सहायता तत्काल उपलब्ध कराई जाती है जिसका लाभ जरूरतमंदों को मिला है। जुलाई 2021 से कार्यरत इस संस्था से समाज के लोगों को काफी उम्मीदें भी है। लेकिन संस्था की कार्यप्रणाली को बेवजह विवादित बनाया जा रहा है। उपरोक्त लोगों के द्वारा संस्था को लेकर लगाए जा रहे सभी तरह के आरोप बेबुनियाद हैं। कमलेश चंद्रा ने बताया कि उक्त नॉन बैंकिंग फायनेंस कंपनी से होने वाली आय भवन के खर्चों को पूरा करती है जबकि जिन लोगों के द्वारा अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है, उनका सामाजिक विकास के साथ-साथ भवन विकास में कोई सहयोग आज तक नहीं मिला है। रामरतन चंद्रा ने पूर्व में 10 हजार रुपए देने की घोषणा की थी, जो आज तक नहीं मिले। इसी तरह अश्वनी चंद्रा ने इस सामाजिक भवन के निर्माण के लिए 5 हजार ईंटों का सहयोग देने की बात कही थी, जिसे भी उन्होंने आज तक पूरा नहीं किया है। सामाजिक भवन का निर्माण से लेकर उसके रख-रखाव का कार्य वर्तमान पदाधिकारी बेहतर ढंग से कर रहे हैं। ऐसी परिस्थितियां भी निर्मित हुई जब भवन का निर्माण रूकने लगा तब आपस में सहयोग कर 2 लाख रुपए कर्ज लिया गया और इस कर्ज को भवन से होने वाली आय से चुकाया गया। उस समय इनमें से कोई सामने नहीं आया और जब आज भवन निर्माण होकर आय देने लगा है, तब इनकी नजर उसे हड़पने को लेकर लगी हुई है। केन्द्रीय महासमिति ने भी आज तक एक रुपए का सहयोग प्रदान नहीं किया है। इनके द्वारा समाज को जोड़ने की बजाय तोड़ने और गुमराह करने का काम किया जा रहा है जो समाज के द्वारा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और आवश्यक वैधानिक कदम उठाए जाएंगे।