Korba : अमर रोक रहा रामतिल का विकास.. छत्तीसगढ़ से विदाई की तैयारी…

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Korba।  अमर, रामतिल पर भारी पड़ रहा है। इसलिए रामतिल की खेती छत्तीसगढ़ में खत्म होने की कगार पर पहुंच चुकी है। बचाव के उपाय तो हैं लेकिन विभागीय उदासीनता इस कदर हावी है कि मांगने पर भी किसानों को बीज नहीं मिल रहे हैं।

 

2007 से 2008 का दशक ऐसा था, जब रामतिल की खेती देश स्तर पर होती थी। इसके बाद के बरस से खेती का रकबा घटने लगा। यह क्रम आज तक बना हुआ है जबकि देश स्तर पर मांग बनी हुई है और निर्यात के लिए भी निर्यातकों पर दबाव बना हुआ है। केवल एक वजह सामने आ रही है कि रामतिल का रकबा तेजी से कम हो रहा है। खासकर छत्तीसगढ़ में तो यह खत्म होने की कगार पर है।

इसलिए एम एस पी की सूची में

तिलहन की 14 महत्वपूर्ण फसलों में से एक रामतिल को इसलिए समर्थन मूल्य की सूची में रखा गया है क्योंकि देश के कई राज्यों में निवास करने वाले आदिवासियों के खान-पान और अर्थ उपार्जन का जरिया है रामतिल की फसल। इसके अलावा निर्यात भी होता है। ऐसे में रामतिल की खेती को बढ़ावा देने के लिए इसे केंद्र सरकार ने,एम एस पी की सूची में शामिल किया है।

विलुप्ति की बड़ी वजह

रामतिल की बोनी के बाद के दिनों में इसमें अमरबेल नजर आने लगते हैं। बचाव के फौरी उपाय तो हैं लेकिन कारगर नहीं होते। ऐसे में बढ़वार पर तेजी से रोक लगाती है अमरबेल और देखते-ही-देखते तैयार हो रही फसल चौपट हो जाती है। विडंबना यह कि सूचना देने के बाद भी संबंधित विभाग न उपाय बताता है, ना मौके की जांच करने पहुंचता है।

नहीं मिलते उन्नत बीज

खरीफ सत्र में ली जाने वाली रामतिल की फसल के लिए किसान बीज की मांग तो करते हैं लेकिन चाही गई मात्रा में कभी नहीं मिलते। ऐसी स्थिति में किसान पिछली फसल के, वही बीज फिर से उपयोग में लाते हैं, जिनमें अमर बेल के बीज भी होते हैं, जो बोनी के बाद रामतिल की असमय मौत की वजह बनते हैं। हालांकि विकसित बीज की जे एन एस-28 और जे एन एस-30 जैसी प्रजातियां हैं लेकिन कीमत बहुत ज्यादा होने की वजह से किसान खरीदी नहीं कर पाते।

बचे केवल यह राज्य

कभी देश स्तर पर की जाने वाली रामतिल की खेती अब केवल, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा और छत्तीसगढ़ में ही की जा रही है। लेकिन रकबा तेजी से कम हो रहा है। जबकि तैयार फसल के लिए खाद्य तेल उत्पादक इकाइयां, सौंदर्य सामग्री बनाने वाली यूनिटें और परफ्यूम निर्माता कंपनियां, हर साल मांग बढ़ा रही है, तो केंद्र सरकार भी हर साल समर्थन मूल्य की दर बढ़ा रहीं हैं।

मुख्य वजह बीजों की अशुद्धता

रामतिल की खेती पर अमरबेल का प्रकोप बढ़ता जा रहा है, जिससे पैदावार में 52 से 99.02 प्रतिशत की गिरावट आती है। जिसका मुख्य कारण बीज में पाई जाने वाली अशुद्धता है । किसान भाइयों को पारंपरिक बीज की जगह उन्नत बीजों का उपयोग रामतिल की खेती हेतु करना चाहिए ।

डॉ. (ले.) रोशन परिहार, असिस्टेंट प्रोफेसर (जेनेटिक्स एंड प्लांट ब्रीडिंग), बीटीसी कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर