Korba : छुट्टियां छोड़ दें तो 25 दिन शेष पर धान खरीदी के लक्ष्य को पाने अभी शेष है काफी लंबी रेस

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कोरबा। धान खरीदी ने रफ्तार पकड़ लिया है। वर्तमान में खरीदी कार्य पीक पर है। अब तक एक अरब 94 करोड़ का लगभग 9 लाख क्विंटल धान की खरीदी हो चुकी है। 55 दिन बीत चुके हैं और शुरुआत में जहां किसानों का इंतजार किया जा रहा था, मौजूदा स्थिति यह है कि उपार्जन केंद्रों में धान विक्रय करने अब किसानों को कतार में अपनी बारी आने की राह देखते देखा जा रहा है। छुट्टियों को छोड़ दें तो खरीदी कार्य के लिए अब केवल 25 दिन शेष हैं और खरीदी का लंबा लक्ष्य तय करना बड़ी चुनौती दिख रही है।

नई सरकार काबिज होते ही वादों को पूरा करने की कवायद भी शुरू कर दी गई। बोनस राशि पाने के बाद अब घोषणा पत्र के अनुसार 3100 रूपये प्रति क्विंटल कीमत पाने की आस में किसानों की भारी भीड़ उपार्जन केंद्रों में उमड़ रही है। एक साथ अधिक संख्या मे किसानों के पहुंचने से उपार्जन केंद्रों में उन्हे अब धान बिक्री के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। लगभग सभी जगहों में धान कटाई का काम पूरा हो चुका है। केंद्रों में धान की आवक बढ़ने का सीधा असर उठाव पर पड़ रहा है। खरीदी के 72 घंटे के भीतर उठाव के नियम का पालन नहीं हो रहा है। मिलर्स अग्रिम डीओ कटवा रखे हैं, लेकिन मिल के गोदाम पहले से भरे हैं। उपार्जन केंद्रों में धान खरीदी को 57 दिन बीत जाने के बाद अब तक एक अरब 94 करोड़ 87 लाख 25 हजार रूपये की धान खरीदी जा चुकी है। 48 हजार 295 पंजीकृत किसानाें में से अभी तक 17 हजार 739 किसान धान की बिक्री कर चुके हैं। जिले के 30 हजार किसानों ने अभी भी धान की बिक्री नहीं की है। चुनाव के बाद नई सरकार गठन का इंतजार और उसके बाद बेमौसम वर्षा के कारण किसान उपार्जन केंद्र नहीं पहुंच पाए। अभी की कई किसानाें के धान खलिहान में है। सरकार ने धान की खरीदी की अंतिम तिथि 31 जनवरी तय की है। सरकारी अवकाश व रविवार को छोड़ खरीदी के लिए केवल 27 दिन का समय शेष है। तिथि नहीं बढ़ी तो कई किसान धान बिक्री से वंचित हो जाएंगे।

धान खुले में और इन 11 केंद्रों में शेड की सुविधा नहीं

हालांकि करीब ढाई लाख क्विंटल धान उपार्जन केंद्रों में खुले आसमान के नीचे रखे हैं। जिस गति से खरीदी हो रही उसके मुकाबले उठाओ नहीं हो रहा। इसलिए उपार्जन केंद्रों में धान रखने की जगह कम पड़ने लगी हैं। ऐसे में बिना ड्रेनेज बनाए धान की छल्ली लगाई जा रही हैं। उपार्जन केंद्रों में धान रखने के भूंसा की बोरियों का ड्रेनेज लगाकर ही छल्ली तैयार किया जाना है। चार साल के अंतराल में खोले गए 11 में से एक भी उपार्जन केंद्रों में शेड अथवा गोदाम का निर्माण नहीं किया गया। दादरखुर्द उपार्जन केंद्र बिना ड्रेनेज बनाए तिरपाल के ऊपर ही धान खरीदी की जा रही हैं। सड़क मार्ग से लगे उपार्जन केंद्रों के ही धान का उठाव हो रहा है। अधिकांश केंद्रों मे पांच से 10 हजार क्विंटल से भी अधिक धान जाम हैं। इनमें बरपाली में 11 हजार 366 क्विंटल, लबेद में 11 हजार 65, चैतमा में आठ हजार 136 व करतला में पांच हजार 408 क्विंटल शामिल हैं। धान रखने के लिए जगह कम होने से किसानों को खासी समस्या का सामना करना पड़ रहा है।