कोरबा। एक ओर गरीबों के हक में डाका डाल अपनी तिजोरी भरने वाले सरकारी अनाज पर गिद्ध की तरह नजर गड़ाए रहते हैं तो दूसरी ओर जरूरतमंद हितग्राही इस इंतजार में रहते हैं कि कब उनका सस्ता राशन दुकान पहुंचे। दिन रात मेहनत करने वाले ऐसे ही परिवारों को फिर दगा दिया जा रहा है। इस बार यह ज्यादती करने वाले कोई और नहीं, बल्कि वही लोग हैं, जिन्हें सरकार ने व्यवस्था की कमान सौंप रखी है। बताया जा रहा है गांवों में वितरित करने जनवरी माह के लिए प्राप्त आवंटन को खाद्य निरीक्षकों ने शहरी क्षेत्र के अपने चहेते सोसायटी संचालकों में बांट दिया है। इससे ग्रामीण हितग्राहियों को परेशान होने विवश कर दिया गया है।
गौर करने वाली बात यह है निम्न आय वर्ग के लिए सरकारी अनाज गुजर बसर के लिए संजीवनी के समान होता है। रोजी मजदूरी कर वे घर की जरूरतें पूरी करते हैं तो सोसायटी का चावल उनके परिवार के पेट पालने के काम आता है। खासकर निर्धन वर्ग की क्षुधा परिपोषित करने के लिए ही सरकार ने खाद्यान्न वितरण योजना की बड़ी राहत दे रखी है ताकि किसी भी व्यक्ति को जीवन की सबसे बड़ी कठिनाई भूख से न जूझना पड़े। लेकिन सरकार की इस राहत को भी दुकानदारी चमकाने का धंधा बना लिया जाता है और उसका शिकार एक बार आम जनता ही बनती है।
नजराना लेकर ग्रामीण पीडीएस में दिसंबर माह का चावल गायब
खाद्य विभाग के अधिकारियों की मेहरबानी से ग्रामीण क्षेत्र की पीडीएस दुकानों में दिसम्बर माह का चावल गायब हो गया है। दुकान संचालक जनवरी महीने के कोटे के चावल उठाकर दिसम्बर माह का चावल बांट रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि खाद्य निरीक्षकों द्वारा नजराना लेकर शहर के कुछ चहेते दुकानों में चावल का अतिरिक्त आबंटन किया जा रहा है।