0 सीएसईबी कॉलोनी दर्री ने उच्च न्यायालय के आदेश के आधार पर की मांग, पाली पुलिस थाने में की लिखित शिकायत
कोरबा। खासकर नेशनल हाइवे में तेज रफ्तार वाहनों का आना-जाना आम बात है, लेकिन अगर रास्ते में अचानक अगर मवेशी आ जाए, तो जानलेवा हादसे से इंकार नहीं किया जा सकता। इस बात पर ध्यानाकर्षित करते हुए समाजसेवी व दर्री निवासी अनिल द्विवेदी ने पाली पुलिस के समक्ष एक शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने अपनी यात्रा के दौरान पाया कि एनएच पर जगह-जगह मवेशियों का डेरा है। एनएच मार्ग को क्लीयर रखने की जिम्मेदारी एनएच अफसरों की है। उन्होंने उच्च न्यायालय से जारी आदेश को आधार रखते हुए इस गैर जिम्मेदाराना लापरवाही के लिए एनएच अफसरों के खिलाफ अपराध दर्ज करने की मांग पुलिस से की है।
सीएसईबी दर्री निवासी ने यह लिखित शिकायत पाली पुलिस थाना प्रभारी से की है। उन्होंने अपनी शिकायत में लिखा है कि शुक्रवार 21 जुलाई को वे किसी आवश्यक कार्य से सुबह करीब नौ से साढ़े नौ बजे के करीब नेशनल हाइवे क्रमांक-130 में कटघोरा से बिलासपुर की ओर जा रहे थे। इस बीच डूमरकछार से लिम्हा बेरियर तक पूरे हाइवे मार्ग में मवेशियों का डेरा दिखाई दिया। कहीं-कहीं मवेशी बैठे हुए थे तो अनेक स्थानों पर जहां-तहां विचरण करते वे रास्ता मुश्किल बना रहे थे। लिम्हा बेरियर के पहले एक मित्र के कार्य के लिए उन्हें ग्राम डोंगाघाट की ओर जाना पड़ा। उस मार्ग पर भी मवेशियों का जमावड़ा देखने को मिला। श्री द्विवेदी ने ध्यान आकर्षित कराते हुए लिखा है कि कुछ दिनों पहले ही उच्च न्यायालय बिलासपुर ने इस संबंध में एक आदेश पारित किया है कि हाइवे में मवेशी नहीं दिखने चाहिए। अन्यथा संबंधित जिम्मेदार अधिकारी व मवेशी मालिक के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। उच्च न्यायालय के इस आदेश का हवाला देते हुए श्री द्विवेदी ने पुलिस के समक्ष प्रस्तुत होकर प्रथम सूचना दर्ज कराई है। उन्होंने एनएच के जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ अपराध दर्ज कराने की गुजारिश पाली पुलिस से की है।
हाइवे से मवेशियों को हटाने हाईकोर्ट का आदेश
छत्तीसगढ़ की नेशनल और स्टेट हाईवे से मवेशियों को हटाने के लिए हाईकोर्ट ने पहली बार सख्ती दिखाई है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रजनी दुबे की डिवीजन बेंच ने इसके लिए पंचायत से लेकर राज्य स्तर पर आठ सदस्यीय कमेटी बनाने के आदेश दिए हैं। साथ ही यह स्पष्ट किया है कि आदेश का पालन नहीं होने पर कमेटी के सदस्य ही जवाबदेही होंगे। इस केस की अगली सुनवाई चार सितंबर को होगी। इसमें राज्य सरकार की तरफ से चीफ सेक्रेटरी को शपथ पत्र देना होगा।
प्रदेश की अमूमन हर सड़क पर मवेशी बैठे हुए नजर आते हैं, जिसके कारण हादसों की आशंका बनी रहती है। और लोगों की मौत हो जाती है या फिर घायल हो जाते हैं। बड़ी संख्या में मवेशियों की भी जान चली जाती है। करीब 10 साल पहले भी जनहित याचिका के जरिए इस मुद्दे को उठाया जा चुका है।
हाईकोर्ट ने कई बार इसे लेकर दिशा- निर्देश भी जारी किए। वर्ष 2019 में लगाई गई दो जनहित याचिकाओं पर बीते दिनों सुनवाई करते हुए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी बनाने और इस समस्या को दूर करने ठोस योजना बनाकर हाईकोर्ट में पेश करने को कहा था। दोनों जनहित याचिकाओं में सड़कों पर मवेशियों के बैठे होने की वजह से होने वाले हादसों की जानकारी देते हुए राज्य सरकार और संबंधित एजेंसियों को इस समस्या को दूर करने दिशानिर्देश देने की मांग की गई है।