Korba : पत्नी समझ कर प्राणघातक वार, शक के दायरे में जो था वही हो गया शिकार, 3 साल बाद सगे हत्यारे भाइयों को उम्रकैद

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कोरबा। पत्नी के साथ अवैध संबंध होने के शक में पति ने अपने सगे भाई के साथ मिलकर टंगिए से प्राणघातक हमला किया। कमरे में सो रहा व्यक्ति पत्नी नहीं, बल्कि वह व्यक्ति निकला, जिस पर उसे शक था। मौके पर ही उसके प्राण पखेरू उड़ गए, जबकि गले पर वार से उसका साथी बुरी तरह घायल हो गया। इस मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अपराधी साबित हुए हत्यारे भाइयों को उम्र कैद की सजा सुनाई है।

थाना पाली में 17 सितंबर 2020 की इस आशय का प्रथम सूचना दर्ज कराई गई कि शिव सिंह व उसके चमरा सिंह शराब पीने के आदी थे। वे गांव बांधाखार में गोरे लाल की पत्नी मीना कोल के पासा शराबपीने जाते थे। अतिरिक्त लोक अभियोजक आशोक कुमार आनंद ने बताया कि 16 सितंबर 2020 को रात्रि 7 से 8 बजे के बीच चमरा सिंह व शिव सिंह घर से निकले थे, जो रात भर घर वापस नहीं आए।
17 सितंबर को शाम सरपंच के द्वारा मोबाइल पर सूचित किया गया कि शिव सिंह के पिता मीना बाई के घर कमरे में मृत हालत में पड़ा है। शिव सिंह गोड़ घायल अवस्था में पड़ा है जिसकी सूचना प्रार्थी मनोहर मरावी के द्वारा थाना पाली में दी गई। थाना पाली की टीम अपराध की सूचना पाकर घटनास्थल के लिए रवाना हुई। घटनास्थल में जांच के दौरान पता चला कि आहत शिव सिंह के साथ आरोपी गोरे लाल कोल का संबंधन अपने पत्नी मीना कोल के साथ होने की शंका करता था। इसलिए आरोपी गोरे लाल कोल अपने छोटे भाई मुरीत राम कोल के के साथ योजना बनाकर रात को हाथ में टंगिया लेकर शिव सिंह तथा मीना कोल की हत्या करने के उद्देश्य से बाड़ी तरफ से घुसे और मीना कोल के पास में सो रहे चमरा सिंह को मीना कोल समझकर टंगिया से वार किया। जिसके कारण चमरा सिंह की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। शिव सिंह को भी जान से मारने का प्रयास किया जिससे उसके गले पर चोट आई। न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी पाली के न्यायालय में अंतिम अभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया। जिसके पश्चात न्यायालय प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश कटघोरा को प्राप्त हुआ। जिसमें न्यायालय ने प्रकरण में साक्षियों द्वारा दिए गए साक्ष्य का पूर्ण रूप से सावधानीपूर्वक परिशीलन कर तथा विवेचक की सूक्ष्मतापूर्वक विवेचना में यह पाया कि वास्तव में आरोपीगण के द्वारा चमरा सिंह की मृत्यु कारित की गई तथा आहत शिव सिंह को जान सहि मारने का प्रयास किया गया है। प्रकरण में शासन की आरे से पैरवी अतिरिक्त शासकीय लोक अभियोजक अशोक आनंद ने प्रबलतापूर्वक न्यायालय के सामने समस्त साक्ष्य को प्रमाणित किए। इसलिए न्यायालय के पीठासीन अधिकारी द्वारा आरोपी गोरेलाल कोल तथा मुरीत राम कोल निवासी बांधाखार को धारा 307 भादवि में आजीवन कारावास तथा 1000-1000 रुपए का अर्थदंड तथा धारा 302, 34 भादवि में आजीवन कारावास एवं 1000-1000 रुपए के अर्थदंड से दंडित किया गया। अर्थदंड अदा नहीं किए जाने पर आरोपीगण को छह माह की अतिरिक्त कारावास भुगतान करना होगा।