Korba: राखड़ ठेकेदार पर पूर्व मंत्री जयसिंह का वार, कहा-सांसों में जहर घोल रही बालको और ब्लैक स्मिथ की दोस्ती, अंकुश लगाए मोदी सरकार

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बालको और ब्लैक स्मिथ की दोस्ती
बालको और ब्लैक स्मिथ की दोस्ती

0 पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा पत्र, कहा- दमा रोगियों का दम घोट रहा 200 करोड़ का परिवहन ठेका, मेडिकल कॉलेज में आ चुके हैं 5000 से अधिक केस

कोरबा। इसमें कोई शक नहीं कि कोरबा में जिस ओर भी नजर जाए, राखड़ ही राखड़ दिखाई देता है। पर यह बात भी गौर करने वाली है कि नाक के रास्ते राखड़ के कण धीरे धीरे फेफड़ों को कमजोर कर रहे हैं। बड़ी संख्या में सांस के बीमार मेडिकल कॉलेज पहुंच रहे हैं। इस मसले पर फोकस करते हुए पूर्व राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने बालको और परिवहन का 200 करोड़ का ठेका लेकर जहां तहां राखड़ फेंक रही कंपनी ब्लैक स्मिथ की दोस्ती पर करारा वार किया है। श्री अग्रवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर बालको और ब्लैक स्मिथ की मनमानी पर अंकुश लगाते हुए जिले के लोगों की सेहत से खिलवाड़ पर रोक लगाने की मांग की है।

बालको के विद्युत संयंत्रों से निस्तारित फ्लाई ऐश के निपटान में बालको प्रबंधन की घनघोर लापरवाही जगजाहिर है। कंपनी द्वारा निर्धारित मापदण्डों की अवहेलना से क्षेत्र में वायु प्रदूषण चरम पर है। प्रदूषण से पैदा हो रही बीमारी की समस्या से त्रस्त नागरिकों को राहत दिलाने पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने पहल की है और इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। उन्होंने पत्र के माध्यम से बताया है कि राखड़ के 200 करोड़ का परिवहन ठेका में नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। प्रतिवर्ष लगभग 55 लाख टन राखड़ का उत्सर्जन हो रहा है, जिसके निपटान की कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है।

विगत एक साल के भीतर दमा से पीड़ितों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है और केवल कोरबा जिला मेडिकल कॉलेज में ही 5000 से अधिक मरीजों ने उपचार लेने किया संपर्क। पूर्व राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने यह मामला उठाते हुए प्रधान मंत्री सहित केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव व प्रदेश के मुखिया विष्णुदेव साय को पत्र लिखकर कोरबा में बढ़ते प्रदूषण की समस्या पर चिंता जाहिर की है। भारत सरकार की हिस्सेदारी वाले वेदान्त रिसोर्सेज द्वारा संचालित भारत एल्यूमिनियम कम्पनी लिमिटेड (बालको) द्वारा अपनाई गई नियम विरूद्ध व जन विरोधी कार्यशैली से कोरबा अंचल में लगातार जन आक्रोश बढ़ रहा है।

राखड़ डैम भर चुके होने की वजह से उसे खाली करने ब्लेक स्मिथ कम्पनी को परिवहन का कार्य सौंपा गया, वर्ष 2021 से 2023 तक 1 लाख 20 हजार टन से अधिक राख का परिवहन किया गया। करीब 200 करोड़ रूपये का भुगतान इसके एवज में किया गया है। निर्धारित लो-लाईन ऐरिया की जगह, परिवहन भाड़ा बचाने के लिए ट्रांसपोर्ट कम्पनी ने राखड़ सड़क मार्ग से खुले डम्परों के माध्यम से परिवहन कर आस-पास के क्षेत्रों अथवा जंगलों में या फिर सुनसान क्षेत्रों में सड़क किनारे कहीं पर भी डम्प कर दिया।

टूट रहे एनजीटी के नियम, पर्दे के पीछे किसका संरक्षण, निष्पक्ष जांच हो

एनजीटी के नियमों का पालन कराने की प्रमुख जवाबदारी बालको प्रबंधन की है परन्तु खुली छूट दिए जाने की वजह से क्षेत्र के लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। आखिर यह छूट किसके संरक्षण में दी जा रही। कई शिकायतों के बाद भी आखिर अब तक कम्पनी के खिलाफ कोई प्रभावशाली कार्यवाही क्यों नहीं हुई। परदे के पीछे से किस तरह की प्रभावशाली ताकतें काम कर रही हैं, इसकी निष्पक्ष जांच केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा कराई जानी चाहिए, ताकि स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रह गुनहगारों का चेहरा सामने आ सके। पत्र में उल्लेख किया गया है कि इस संबंध में पूर्व में अंचल के अनेक जनप्रतिनिधियों ने संबंधित अधिकारियों का ध्यानाकर्षण कराया लेकिन बालको प्रबंधन के रवैये में किसी प्रकार का कोई बदलाव नहीं आया।

फ्लाई ऐश की गंभीर समस्या से पीड़ित अंचल के आम नागरिकों से लगातार बड़े पैमाने पर मिल रही शिकायतों के आधार पर छत्तीसगढ़ सरकार के कैबिनेट मंत्री की हैसियत से अन्य स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ वर्ष 2022 में मैंने बालको प्रबंधन के ऐश डाईक का स्थल पर जाकर व्यक्तिगत निरीक्षण किया और बालको प्रबंधन के उच्च धिकारियों को मौके पर बुलवाकर इस तरह की मनमानी करने से मना करते हुए राखड़ का सही निपटान करने के लिए अनेक सुझाव भी दिया था। व्यापक पैमाने पर चर्चा के बाद व्यवस्था को सुधारने के लिए उन्हें एक महीने का समय दिया गया था लेकिन आज पर्यंत बालको के रवैये में किसी प्रकार का बदलाव नहीं आया है।

49% शेयर पर फिर भी शासन के खिलाफ बालको निर्णकुश

पूर्व मंत्री अग्रवाल ने यह अवगत कराया है कि बालको में आज भी भारत सरकार की 49 प्रतिशत हिस्सेदारी है लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि भारत सरकार से बालको प्रबंधन को मनमानी करने की पूरी छूट मिली हुई है। बालको कम्पनी का आधिपत्य ग्रहण करने के बाद वेदांत प्रबंधन ने संयंत्र विस्तार योजना के अन्तर्गत एल्यूमिनियम उत्पादन क्षमता में वृद्धि के साथ ही 540 और 1200 मेगावॉट सहित कुल 1740 मेगावॉट क्षमता के दो विद्युत संयंत्रों को स्थापित किया है। पत्र में लिखा गया है कि बालको से लगभग 15 हजार टन राख प्रतिदिन की दर से हर साल लगभग 55 लाख टन राखड़ का उत्सर्जन हो रहा है।

कोरबा में बालको के अलावा और भी अनेक विद्युत संयंत्र हैं और बिजली घरों से निस्तारित फ्लाई ऐश के निपटान के लिए अन्य सभी संयंत्रों की कोई न कोई वैकल्पक व्यवस्था है लेकिन बालको प्रबंधन ने इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं किया है। फ्लाई ऐश के निपटान के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने राख के शत-प्रतिशत यूटिलाइजेशन के लिए आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए हैं लेकिन बालको प्रबंधन द्वारा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के दिशा निर्देशों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। ऐसा होने से न केवल उस स्थान विशेष की मिट्टी खराब हो रही है वरन् हवा के झोंकों से खुले में पड़ी हुई राख के गुबार एक बड़े क्षेत्र के निवासियों के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी कर रहे है और क्षेत्रवासियों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

विगत एक साल के भीतर दमा से पीड़ितों की संख्या में बेतहासा वृद्धि हुई है और केवल कोरबा जिला मेडिकल कॉलेज में ही 5000 से अधिक मरीजों ने उपचार लेने किया संपर्क। राख डंप करने के मामले में एनजीटी और भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय ने दिशा निर्देश जारी किया है लेकिन इसका पालन करना बालको प्रबंधन अपनी शान के खिलाफ समझता है।

श्रमिकों के शोषण, दमन व नौकरी का वादा अधूरा, बालको के विरूद्ध आंदोलन की चेतावनी

बालको प्रबंधन द्वारा दमनात्मक नीतियां अपनाते हुए निरंतर श्रमिकों का शोषण जारी है और श्रम कानूनों के तहत उनके अधिकारों का हनन किया जा रहा है, जिसके अन्तगर्त वेतन वृद्धि में कटौती के साथ ही नियमित कर्मचारियों के स्थान पर अस्थाई तौर पर नियोजित कामगारों की तैनाती कर श्रमिकों का शोषण किए जाने के संबंध में बालको प्रबंधन को व्यवस्था में सुधार लाने के लिए आगाह किया गया है अन्यथा कड़े आंदोलन की चेतावनी दी गई है।

पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने पत्र में यह भी लिखा है कि बालको प्रबंधन ने स्थानीय निवासियों और जनप्रतिनिधियों को विश्वास में लेते हुए लोक लुभावने वायदे किए थे और कहा था कि निजी प्रबंधन द्वारा संयंत्र का संचालन होने से ज्यादा से ज्यादा रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकेंगे और स्थानीय लोगों को रोजगार के साथ अनेक सुविधाएं मिल सकेगी और उनका जीवन स्तर बेहतर हो सकेगा। संयंत्र विस्तार के लिए आयोजित पर्यावरणीय जनसुनवाई के दौरान कंपनी ने स्थानीय स्तर पर ज्यादा से ज्यादा बेरोजगार युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने का वायदा किया था लेकिन संयंत्र विस्तार कार्यक्रम संचालित करने के साथ ही कम्पनी स्थानीय बेरोजगार युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के अपने वायदे से मुकर गई और उनकी घोर उपेक्षा की जाने लगी।

अन्य प्रांतों से कामगार लोगों की भर्ती करके संयंत्र विस्तार कार्य व संयंत्र परिचालन का कार्य करवाया जा रहा है जबकि स्थानीय स्तर पर ही हर विधा में दक्ष और योग्य युवाओं की घोर उपेक्षा हो रही है और उन्हें कोई अवसर प्रदान नहीं किया जा रहा है। पत्र में पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल द्वारा बालको प्रबंधन की निरंकुश कार्यशैली व उपर्युक्त समस्याओं के संबंध में भारत सरकार द्वारा तत्काल प्रभाव से हस्तक्षेप की अपेक्षा की गई है।