कोरबा। शासन ने ग्रामीणों को स्वच्छता की आदत से जोड़कर बीमारियों से दूर करने शौचालय निर्माण की योजना बनाई। हर घर में शौचालय निर्माण के लिए पानी की तरह पैसे बहाए पर ग्राउंड जीरों में जिन्हें स्वच्छता का यह मिशन पूरा करने की जिम्मेदारी दी गई, उन्होंने ही इस योजना के बहाने खूब चांदी काटी। आलम यह है कि इन आठ गांव में ही एक करोड़ 25 लाख से अधिक की गड़बड़ी नजर आ रही है। इन गांवों के सरपंच-सचिवों को पर आर्थिक अनियमितता का आरोप लगाते हुए कई बार शिकायत की जा चुकी है, पर कार्यवाही तो दूर, अफसर इस दिशा में देखने तक तैयार नहीं। शिकायत कर्ता ने पुन: प्रशासन के समक्ष अर्जी लगाते हुए जांच और रिकवरी की मांग की है। साथ में यह भी कहा गया है कि अगर 15 दिन के भीतर एक्शन न दिखा, तो हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा।
इन गांवों में ग्राम पंचायत मदनपुर, पसरखेत, फुलसरी, सिमकेंदा, कछार, बड़गांव, अरसेना एवं नकिया शामिल हैं। शासन द्वारा स्वीकृत निजी शौचालय निर्माण कार्य के संबंध में दर्री रोड निवासी समाजसेवी बिहारीलाल सोनी ने मामले में की गई जांच उपरांत 1,25,38000 (एक करोड़ पच्चीस लाख अड़तीस हजार) रुपए की आर्थिक अनियमितता सामने आई थी। इस प्रकरण के लिए उन्होंने सरपंच-सचिव पर अपराधिक प्रकरण दर्ज कराए जाने की मांग की है। उन्होंने बताया कि ग्राम पंचायत मदनपुर, पसरखेत, फुलसरी, सिमकेंदा, कछार, बड़गांव, अरसेना एवं नकिया में वर्ष 2016-17 में शासन द्वारा स्वीकृत निजी शौचालय निर्माण कार्य में किए गए भ्रष्टाचार की शिकायत से संबंधित जांच उपरांत दोषी पाए गये सरपंच-सचिव से इस राशि के वसूली प्रकरण जनपद पंचायत कोरबा के द्वारा अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) कोरबा को भेजा गया है। इस जानकारी के अनुसार मदनपुर 1344000, पसरखेत 408000, फूलसरी 2016000, सिमकेंदा 3024000, कछार 564000, बड़गांव 1404000, बरसेना 2124000, नकिया 1654000 रुपये की अनियमितता पाई गई है। श्री सोनी का कहना है कि इतनी बड़ी राशि में किए गए आर्थिक भ्रष्टाचार का मामला उजागर होने के बाद यह पाया गया कि दोषी सरपंच-सचिव के द्वारा ग्राम पंचायत के खाते से राशि निकालकर निजी शौचालयों का निर्माण कार्य नहीं करवाया गया। उनके द्वारा निकाली गई राशि को वापस पंचायत खाते में जमा न करवाकर शासकीय राशि में हेरा फेरी की गई जो कि आर्थिक अपराध की श्रेणी में आता है। श्री सोनी ने अपने पत्र में लिखा है कि आगामी 15 दिनों के अंदर उपरोक्त प्रकरण में दोषी पाए गए सरपंच-सचिव के विरुद्ध अपराधिक प्रकरण दर्ज नहीं करवाया जाता है, तो इस प्रकरण को लेकर वे छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर के समक्ष जाएंगे और न्याय की गुहार लगाएंगे।