Korba : 66 साल बाद राठिया समाज को रामपुर तो 60 साल बाद महिला को तानाख़ार से कांग्रेस ने दिया टिकट.. कटघोरा से आदिवासी उम्मीदवार का दबदबा कायम

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⭕️कांग्रेस ने पुरुषोत्तम, फूलसिंह राठिया,दिलेश्वरी को बनाया प्रत्याशी
⭕️स्व प्यारेलाल कंवर का युग समाप्त

कोरबा: कोरबा जिले की बची तीन सीट कटघोरा, रामपुर व पाली तानाख़ार विधानसभा के लिए कांग्रेस प्रत्याशी के रूप मे पुरुषोत्तम कंवर,फूलसिंह राठिया,औऱ दिलेश्वरी सिदार के नाम पर मोहर लगा दी हैं. तानाख़ार से मौजूदा विधायक मोहित केरकेट्टा की टिकट उनके विधायकी के रूप में बेड परफॉर्मेंस को देखते हुये काट दी गई हैं।रामपुर से फूलसिंह राठिया और पाली तानाख़ार से दिलेश्वरी सिदार के रूप में कांग्रेस ने नया चेहरा दिया है.

 

Breaking : कोरबा जिले की एक सीट से कॉग्रेस दे सकती हैं ,महिला उम्मीदवार..

रामपुर विधानसभा से करीब 66 साल बाद राठिया समाज से किसी भी राजनेतिक पार्टी ने टिकट दी हैं जबकि इस सीट पर सर्वाधिक वोट राठिया का हैं और उसके बाद कंवर समाज का वोट आता हैं। कांग्रेस के फूलसिंह का मुकाबला 80 वर्षीय व 7 बार विजेता भाजपा प्रत्याशी ननकीराम कंवर से होगा. ननकीराम कंवर भाजपा सरकार में मंत्री रह चुके हैं. राठिया समाज से लम्बे अर्स बाद टिकट मिलने समाज मे काफी हर्ष व्याप्त हैं. इस सीट से पूर्व विधायक श्यामलाल कंवर के पुत्र मोहिंदर कंवर(टीटू) का नाम भी जोर शोर से उछला था.उन्हें पूरा भरोसा था कि टिकट उन्हें मिलेगी. फूलसिंह को टिकट दिलाने में राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल की अहम भूमिका मानी जा रही हैं.क्योकि फूलसिंह कंवर को राजस्व मंत्री का काफी करीबी माना जाता हैं।
द दुनियादारी न्यूज पोर्टल ने सबसे पहले समाचार के माध्यम से यह बात साझा की थी कि जिले चार सीट में से एक सीट पर कांग्रेस महिला उम्मीदवार उतारेगी. इसके साथ ही तानाखार के मौजूदा विधायक मोहित केरकेट्टा का टिकट कटना तय बताया था.दिलेश्वरी सिदार का नाम भी सबसे पहले कांग्रेस की मजबूत दावेदार रूप में दुनियादरी ने सामने लाया।दिलेश्वरी गोड़ समाज से आती हैं और तानाखार गोड़ बाहुल्य सीट हैं।बता दे कि करीब 60 साल बाद तानाखार से कांग्रेस ने महिला को टिकट दी हैं।दिलेश्वरी कांग्रेस की टिकट पाने वालों दूसरी महिला हैं. पहली महिला यज्ञसेनी कुमारी को कांग्रेस ने ही 1957 में टिकट देकर चुनावी रण में उतारा था।यज्ञसेनी चुनाव जीतकर तानाख़ार की प्रथम विधायक बनी औऱ दुबारा 1967 में भी यज्ञसेनी ने अपना चुनाव जीता।
कटघोरा विधानसभा सामान्य सीट हैं और यहां से लगातार आदिवासी उम्मीदवारों का दबदबा रहा हैं. मौजूदा विधायक पुरुषोत्तम कंवर हैं जिन्होंने अपना पहला चुनाव 2018 में जीता. कांग्रेस ने उन पर भरोसा करते हुए उन्हें पुनःप्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा हैं।कटघोरा को कांग्रेस का गढ़ कहा जाये तो कोई अतिश्योक्ति बात नहीं होगी।कुल कटघोरा में 13 विधानसभा चुनाव हुए जिसमें कांग्रेस ने 9 और भाजपा ने केवल 3 चुनाव में जीत हासिल की हैं.कटघोरा में 30 प्रतिशत आदिवासी मतदाता हैं और 70 प्रतिशत सामान्य व पिछड़ा वर्ग के मतदाता हैं।आदिवासियों की एकता की बदौलत ही यहां अधिकांश समय आदिवासी विधायक रहे।आदिवासी नेता बोधराम के नाम 6 चुनाव जीत कर विधायक बनने का रिकार्ड दर्ज हैं।