Korba : दो बच्चों की जिम्मेदारियों के बीच पहले शिक्षक, फिर लैब टेक्नीशियन बनी, पर यहीं न रुकी अंजू और हासिल की न्यायाधीश की पद्वी

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कोरबा। अक्सर लोगों को शिकायत होती है, कि जिंदगी ने उन्हें मौका न दिया, नहीं तो आज वे कुछ और होते। पर अपने लिए अवसरों का इंतजार करने की बजाय खुद रास्ता बनाने वाले कम हैं। होनहार अंजू उन्हीं चुनिंदा लोगों में एक है, जिन्होंने दो बच्चों की अहम जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए अपने भविष्य का रास्ता स्वयं तैयार किया। धीरे-धीरे ही सही, उस पर बिना रुके बिना थके तब तक चलती गई, जब तक मंजिन ने बांहें फैलाकर खुद उसका स्वागत न किया। पहले शिक्षिका बनी, फिर लैब टेक्निशियन की नौकरी पाई, पर उसे अभी और आगे बढ़ना था। आखिरकर उसके त्याग, समर्पण और कड़ी मेहनत ने उन्हें उस मुकाम पर पहंुचाया, जिसकी वह हकदार थी। अंजू ने अपनी मेहनत और लगन के बूते न्यायाधीश कर गरिमामय पद्वी हासिल की है और उनकी इस सफलता पर केवल परिवार ही नहीं, आज पूरा गांव गौरवांन्वित है।

मड़वारानी से करीब 5 किलोमीटर की दूर आदिवासी बाहुल्य गांव ठरकपुर की होनहार बहू अंजू कंवर का सिविल जज के पद पर चयन हुआ है। उनका विवाह वर्ष 2010 में ग्राम पंचायत गाड़ापाली के आश्रित ग्राम ठरकपुर की बहू अंजू कंवर का विवाह शिक्षाकर्मी वर्ग-3 अर्जुन सिंह कंवर से हुआ था। अंजू इससे पहले शिक्षा कर्मी वर्ग-2 के पद पर कार्यरत थी। तत्पश्चात लैब टेक्निशियन के पद पर पदस्थ रही हैं। अंजू के पिता स्वयं एक सेवानिवृत्त जज रह चुके हैं। वर्तमान में अर्जुन और अंजू की दो संतान है। स्वयं में कुछ कर गुजरने के जज्बे ने अंजू को इस मुकाम तक पहुंचाया। अंजू ने अपनी सफलता के पीछे प्रमुख प्रेरणा अपने पिता फूलसिंह कंवर सेवानिवृत्त जज, पति अर्जुन सिंह कंवर, बड़ी ननद स्वास्थ्य कर्मी गणेशी कंवर, बड़े नंदोई डॉ. उत्तम सिंह कंवर सहित अन्य परिजनों के सतत सहयोग व उत्साहवर्धन को बताया है। अंजू का यह सफर साबित करता है कि जहां चाह, वहां राह। अंजू का मानना है कि दृढ़ संकल्प और ईमानदारी से की गई कड़ी मेहनत का परिणाम सदैव सुखदायी होता है। नागरिक अभिनंदन करते हुए सेवानिवृत्त रेलवे चिकित्सक डा. श्यामलाल कंवर ने कहा कि वास्तव में अंजू ने जिस मुकाम को हासिल किया है अन्य लोगों के लिए प्रेरणादायी है क्योंकि उसने नौकरी के साथ ही दो बच्चों के परिवरिश की जिम्मेदारी निभाते हुए परीक्षा की तैयारियां के लिए कड़ी मेहनत की और सफलता पाई।

ग्रामवासियों व आदिवासी समाज ने किया सम्मान

अंजू की सफलता का जश्न समूचा गांव मना रहा है। ग्रामवासियों ने एक समारोह आयोजित कर उनका अभिनंदन किया। कड़ी मेहनत व कठिन प्रतिस्पर्धा का परिचय देते हुए अंजू ने यह सफलता हासिल की है। वास्तव में इस मुकाम को हासिल करने वाली अंजू की कहानी बहुत ही रोचक और प्रेरणादायी है। उन्होंने कहा कि अंजू ने समूचे गांव को गौरवान्वित करने के साथ ही आदिवासी समाज का मान बढ़ाया है। उन्होंने यह भी कहा कि अवसर सभी को मिलते हैं, पर लक्ष्य उसी को हासिल होता है, जिसके कुछ कर दिखाने की ललक हो और लक्ष्य को पाने का समर्पण। अंजू को जिला न्यायालय कोरबा में पदस्थ शीघ्रलेखक कुलदीप सिंह पैकरा, कोरबा जिला पुलिस आरक्षक अशोक सिंह कंवर ने आदिवासी प्रतीक चिह्न भेंट प्रदान कर सम्मानित किया गया। अभिनंदन समारोह में कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जनपद अध्यक्ष करतला सुनीता कंवर, विशिष्ट अतिथि डॉ. श्यामलाल कंवर उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता ग्राम संरपंच गीता कंवर ने की। मंचस्थ अतिथियों में गांव के उप सरपंच प्रताप सिंह कंवर, पूर्व उप सरपंच संतोष सिंह कैवर्त, प्रतिष्ठित नागरिक झाड़ूसिंह कंवर उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम में गांव के ग्रामीण, महिलाएं व बच्चों ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया। कार्यक्रम का संचालन लखन चैहान व आभार प्रदर्शन कार्यक्रम के संयोजन कुलदीप सिंह पैकरा ने किया।