Korba: 40 साल से आंदोलन, 115 घंटे से आमरण अनशन पर डटे 5 नौजवान, फिर भी किसानों के हक पर अजगर की तरह कुंडली डाले बैठा है एनटीपीसी

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कोरबा। जमीनें देकर देश की ऊर्जा बढ़ाने में योगदान देकर भी एनटीपीसी कोरबा के भूविस्थापित पिछले 40 साल से अपने अधिकारों से वंचित हैं। उनका आंदोलन आज भी जारी है और अब पांच नौजवान कलेक्ट्रेट के दरवाजे से 100 मीटर दूर 115 घंटों से आमरण अनशन पर बैठे हैं। पर इनके हक पर अजगर की तरह कुंडली डाले बैठे एनटीपीसी प्रबंधन ने किसी प्रकार की पहल तो भूखे-प्यासे सड़क पर बैठे आंदोलनकारियों का हाल तक जानना मुनासिक नहीं समझा। एनटीपीसी प्रबंधन की हठधर्मिता को बल प्रदान करता प्रशासन का मौन यह साबित करता है कि इस देश के किसान कितने लाचार हैं।

एनटीपीसी कोरबा के लिए अपनी जमीनें देकर मुआवजा और नौकरी का हक मांग रहे चारपारा के भूविस्थापित तानसेन चौक पर 30 जनवरी की दोपहर 12 बजे से अनिश्चितकालीन आमरण अनशन पर बैठे हैं। भू विस्थापित अपनी जमीन के बदले नौकरी व शेष मुआवजा के लिए 9 माह से आंदोलनरत हैं। अनशन कर रहे भूविस्थापितों ने प्रेसवार्ता लेकर बताया कि वे एनटीपीसी कोरबा और जिला प्रशासन के झूठा व भ्रामक आश्वासन के खिलाफ लड़ रहे हैं। कलेक्टर ने नौकरी-मुआवजा के लिए लिखित में पत्र जारी नहीं किया, जिससे नाराज होकर एनटीपीसी के भू स्थापित आमरण अनशन बैठने मजबूर हुए। उन्होंने समस्याओं का निराकरण नहीं मिलने पर उन्होंने आमरण अनशन के रूप में आर-पार की लड़ाई शुरू की है। जिले के पूर्व कलेक्टर ने कहा था कि पात्रता रखते हैं तो नौकरी भी प्रदान की जाएगा। उन्होंने कहा था कि जमीन की जांच की जाएगी, यह थोड़ा जटिल मामला है। पूर्व कलेक्टर ने यह भी कहा था कि अगर आपकी जमीन बची है, तो बिल्डिंग तोड़कर मुआवजा दिलाएंगे। पर वर्तमान दशा से स्पष्ट होता है कि उनकी कही गई बातें स्वयं प्रशासन के लिए महत्वहीन हैं। पदभार बदलता है और नए अधिकारी आते हैं तो नए सिरे से शुरुआत हो जाती है। इसी कड़ी में अपर कलेक्टर की अगुआई में एक कमेटी बनाई गई है, जो गुमराह करने का प्रोपोगंडा प्रतीत हो रहा है। अगर वास्तव में प्रभावितों की फिक्र होती, तो किसानों की उपस्थिति के बिना कमेटी तैयार नहीं होती और नहीं कार्य होता है।

1000 एकड़ अधिग्रहण, 650 एकड़ भूमि का मुआवजा दिया, शेष लंबित

वर्ष 1978-79 में ग्राम चारपारा की भूमि एनटीपीसी कोरबा द्वारा भू-अर्जन बिलासपुर के माध्यम से अधिग्रहण की गई थी। वर्ष 1980 से 1986 तक की शेष मुआवजा एनटीपीसी कोरबा, भू अर्जन अधिकारी बिलासपुर व भू अर्जन अधिकारी कोरबा द्वारा ग्राम चारपारा के कुछ किसानों को शेष मुआवजा नहीं दिया गया है। ग्राम चारपारा की लगभग 1000 एकड़ भूमि को एनटीपीसी कोरबा ने अधिग्रहण किया है। 650 एकड़ भूमि का मुआवजा दिया गया है पर शेष भूमि का मुआवजा बाकी है। 4 सितंबर 1979 को जारी आम सूचना के अनुसार बताया गया था कि प्रत्येक परिवार को क्रमिक रूप से रोजगार प्रदान किया जाएगा।

जब सीपत में दे दी नौकरी, तो यहां क्यों रोक रहे अफसर

22 जनवरी 1981 में बिलासपुर कलेक्टर द्वारा अविलंब नौकरी देने किए गए एग्रीमेंट और एनटीपीसी प्रबंधन के वर्ष 1987 में जारी आम सूचना अनुसार सीपत बिलासपुर के 33 भूविस्थापितों को ट्रेनिंग प्रदानकर भर्ती की गई। इसी तर्ज पर एनटीपीसी कोरबा के लिए राज्यपाल द्वारा आदेश किया गया। इस आदेश के अनुसार ग्राम चारपारा के भूस्थापित राजन कुमार पटेल, घसियाराम केंवट, मथुरा कुमार केंवट, रामायण प्रसाद केंवट, शुभम केंवट पिछले 115 घंटे से आमरण अनशन पर हैं।

हक की लड़ाई लड़ते बुजुर्ग हो गए, गुजर गई दूसरी पीढ़ी की आधी उमर

एनटीपीसी के भू स्थापितों द्वारा लगभग 40 वर्षों से लगातार नौकरी मुआवजा के लिए धरना प्रदर्शन किया जा रहे हैं। जिन्होंने शुरुआत की, वे बुजुर्ग हो चुके हैं। अब उनके वारिसानों की दूसरीपीढ़ी 22 अप्रैल 2023 से एनटीपीसी से नौकरी मुआवजा बसावट को मांग को आईटीआई रामपुर चौक के पास 93 दिन तक अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे रहे। निराकरण नहीं होने पर 24 जुलाई 2023 को एनटीपीसी गेटबंदी कर गेट पर सांकेतिक प्रदर्शन किया। जिला प्रशासन व एनटीपीसी प्रबंधक द्वारा आश्वासन देकर गुमराह किया गया। 5 अगस्त 2023 को भू-विस्थापित अपने परिवार के भरण पोषण के लिए अधिग्रहित भूमि शेष मुआवजा को लेकर पुन: जमीन को काबिज करने के लिए पहुंचे थे। मौके में मौजूद प्रबंधन व प्रशासन की ओर से तहसीलदार राजेंद्र भारत पहुंचे। आश्वासन दिया गया एक सप्ताह में कलेक्टर स्तर पर बैठक कर हल करेंगे, पर अब तक समस्या जस की तस है।

पिछले साल किया आत्मदाह का प्रयास, पर नहीं पिघला प्रबंधन

भूविस्थापितों ने कहा कि 29 अगस्त 2023 को ग्राम चारपारा के भूविस्थापितों ने शासन प्रशासन को आत्मदाह का प्रयास किया गया। तब कोरबा एसडीएम कोर्ट में बैठक कराकर श्रीकांत वर्मा के अध्यक्षता में भूविस्थापितों के बीच बैठक की गई उसके बाद में पूर्व कलेक्टर द्वारा नौकरी मुआवजा की दिशा को भटकाने के लिए एफआईआर दर्ज किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि 29 सितंबर 2023 को अपर कलेक्टर द्वारा ग्राम चारपारा कि भूविस्थापितों को ठगने के लिए झूठी मीटिंग की। एक-एक कर बुलाया और अपर कलेक्टर दिनेश कुमार नाग एनटीपीसी के फेवर में ही बातें करने लगे। ऐसा प्रतीत होता है कि किसानों की बजाय अधिकारी एनटीपीसी के लिए कार्य करते हैं। उनकी नौकरी मुआवजा की मांग को लेकर सांसद जनप्रतिनिधि के पास गुहार लगाई पर कोई सुनवाई नही हुई।