Officer's Story: The one whom DSP helped thinking of as a beggar, turned out to be an officer of his own batch
Officer's Story
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मध्यप्रदेश। Officer ki Story : एक ऐसे ऑफिसर की कहानी बताने वाले हैं, जो पुलिस ऑफिसर से सीधे भिखारी बन गया। राजा से रंक बने इस ऑफिसर की कहानी बेहद रोचक है। दरअसल, बात है साल 2020 की जब मध्यप्रदेश राज्य में चुनाव का माहौल था। उसी बीच ग्वालियर में मतगणना के बाद डीएसपी रत्नेश सिंह तोमर और विजय सिह भदौरिया झांसी रोड से होते हुए गुजर रहे थे। उसी दौरान उन्हें फुटपाथ पर एक भिखारी ठंड से ठिठुरता हुआ दिखाई दिया। डीएसपी रत्नेश सिंह तुरंत गाड़ी रोक कर उसकी मदद करनी चाही। रत्नेश सिंह ने उस भिखारी को अपने जूते और विजय सिंह भदौरिया ने उसे अपनी जैकेट दे दी।

इसके बाद वे उस भिखारी से बातचीत करने लगे। बातचीत के दौरान पता लगा कि जिस भिखारी मदद डीएसपी रत्नेश सिंह तोमर और विजय सिह भदौरिया कर रहे थे, वे उन्ही के बैच का ऑफिसर था। वो पिछले करीब 10 सालों से लवारिसों की तरह भिखारी बन कर भटक रहा था। उसका नाम मनीष मिश्रा है, वह मध्य प्रदेश का ही रहने वाला है। साल 1999 में वह मध्य प्रदेश पुलिस में सब इंस्पेक्टर पद भर्ती हुआ था।

घर वालों ने बोझ समझकर घर से निकाला

दरअसल, साल 2005 तक मनीष की जिंदगी में सब कुछ बहुत बढ़िया चल रहा था, लेकिन अचानक मनीष की मानसिक स्थिति खराब होने लगी। जिसके बाद उनकी पत्नी उन्हें छोड़कर चली गई और उन्हें तलाक भी दे दिया। मनीष के घर वालों ने उसका बहुत इलाज करवाया लेकिन एक समय ऐसा आया कि मनीष अपने घर वालों के लिए बोझ बनने लगा। जिसके बाद उनके घर वालों ने ही उन्हें घर से निकाल दिया। इसके बाद मनीष ने अपना गुजारा करने के लिए भीख मांगना शुरू कर दिया। हालांकि, अब डीएसपी रत्नेश सिंह और विजय सिह भदौरिया ने उन्हें एक समाजसेवी संस्था में भेज दिया है, जहां उन्हें पेट भर खाना भी मिलता है और वहां उनकी अच्छे से देखभाल भी की जा रही है।

अचूक निशानेबाज हैं मनीष

बता दें कि मनीष अपने समय में एक बेहतरीन पुलिस अधिकारी होने के साथ-साथ अचूक निशानेबाज भी थे। उनकी आखिरी पोस्टिंग मध्य प्रदेश के दतिया पुलिस थाने में थी। यहीं से उनकी मानसिक स्ठिति बिगड़ी और वे दस सालों तक भिखारियों की तरह भटकते रहे।

इसके अलावा बता दें कि मनीष (Officer ki Story) के परिवार में कई लोग ऑफिसर के पद पर तैनात हैं। मनीष के भाई पुलिस विभाग में थानेदार हैं, जबकि उनके चाचा और पिता, दोनों ही एसएसपी के पद से रिटायर हुए हैं। मनीष की तलाकशुदा पत्नी भी न्यायिक विभाग में कार्यरत हैं, जबकि उनकी बहन किसी दूतावास में उच्च पद पर तैनात हैं।