OMG! शादी के 42 साल बाद अपनी दुल्हन लेने पहुंचा दूल्हा, 8 बेटी-बेटे भी बने ‘बाराती’

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न्यूज डेस्क।बिहार के सारण जिले में एक अनोखी शादी हुई. जिसमें 70 साल का दूल्‍हा बैंड-बाजा और ‘बारात’ के साथ पत्‍नी को लाने ससुराल पहुंचा. उनकी 7 बेटियां और एक बेटा भी ‘बाराती’ बने. दहेज में बुलेट गाड़ी और हीरे की अंगूठी भी मिली. अब यह अनोखी शादी पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन गई है.
बिहार के सारण जिले में निकली एक खास ‘बारात’ को देखने के लिए बड़ी तादाद में लोगों का हुजूम उमड़ा. दिलचस्प बात यह है कि दूल्हे की 7 बेटियां और एक बेटा भी इसमें शामिल हुए. सोशल मीडिया पर भी इस खबर को 70 साल के बुजुर्ग का विवाह बताकर शेयर किया जाने लगा. लेकिन हकीकत कुछ और ही निकली. पता चला कि बैंड-बाजा लेकर दूल्हे के रूप में जा रहा शख्स शादी करने नहीं, बल्कि 42 साल पहले हुई अपनी ही शादी के बाद पत्नी का गौना करवाने निकला था.

दरअसल, दूल्हा बने राजकुमार सिंह की शादी साल 1980 में 5 मई को हुई थी. उनके सास-ससुर नहीं होने के कारण गौना की रस्म नहीं हो सकी थी. उस दौरान उनके साले काफी छोटे थे. जब उनके साले बड़े हुए तो उन्होंने इच्छा जताई कि अब दीदी का गौना हो जाए. एक वजह यह भी सामने आई कि शादी के बाद राजकुमार किसी विवाद के कारण कभी अपने ससुराल आमडाढ़ी नहीं गए थे, इसलिए गौना नहीं हो पाया था.

बुजुर्ग राजकुमार के सभी बच्चों ने मिलकर इसके लिए अनूठा तरीका निकाला. गौना की रस्म पूरी करने के लिए मां शारदा देवी को 15 अप्रैल 2022 को उनके मायके भेज दिया. फिर शादी की तारीख यानी 5 मई को ही एक बार फिर पिताजी को घोड़े वाली बग्घी पर बैठाकर ले जाया गया. गाजे-बाजे, बैंड, आर्केस्ट्रा के साथ बिल्कुल बारात जैसे माहौल में तमाम लोग भी शामिल किए गए. बारात के रूप में बुजुर्ग मांझी थाने के नचाप गांव से एकमा थाने के आमडाढी आए हुए थे.

उम्र के इस पड़ाव में दूल्हा-दुल्हन बनकर राजकुमार सिंह और शारदा देवी भी काफी खुश हुए. इस रस्म में सिवाय सिंदूरदान के सारी रस्में निभाई गईं. बाकायदा दहेज भी मिला. दूल्हा राजकुमार को बुलेट गाड़ी और हीरे की अंगूठी मिली, तो दुल्हन शारदा देवी को तमाम जेवरात.

सातों बेटियों की बिहार पुलिस और सेना में नौकरी

शादी के बाद राजकुमार सिंह की 7 बेटियां और 1 बेटा हुआ, जो अब बड़े हो चुके हैं, जिसमें सातों बहन बिहार पुलिस, बिहार उत्पाद पुलिस, सेना और केंद्रीय पुलिस बल में कार्यरत हैं.

बता दें कि शादी के बाद दुल्हन की अपने मायके से दूसरी बार विदाई की गौना (गवना, दोंगा) रस्म कहलाती है. आजकल इसका प्रचलन बहुत कम हो गया है. तकरीबन 30-40 साल पहले तक यह रस्म हिंदू विवाह पद्धति में काफी जोर-शोर से प्रचलित थी, जिसमें लगभग विवाह की तरह ही रस्म की जाती थी. बाराती आते थे. धूमधाम से दान-दहेज, उपहार की वस्तुओं को दुल्हन के साथ भेजा जाता था. लेकिन आजकल की भागती जिंदगी में यह रस्म लगभग समाप्त हो चुकी है. रस्मी तौर पर इसे विवाह के तुरंत बाद ही इसको कर दिया जा रहा है.