रेलवे ने पार्किंग ठेका दिया है या गुंडागर्दी का लाइसेंस, गाड़ी खड़ी करने के पैसे भी दो और ठेकेदार के बदजुबान गुर्गों की गालियां भी सुनों

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रायपुर। राजधानी रायपुर के रेलवे स्टेशन में रेलवे नहीं, पार्किंग ठेकेदार का राज चलता है। यहां अपनी गाड़ी खड़ी करने वाले यात्रियों को निर्धारित शुल्क देकर भी कच्ची रसीद के साथ गालियां लौटाई जाती हैं। यानी जिस जनता के लिए पार्किंग खोली, उसी से दुर्व्यवहार के साथ शासन को चुना भी लगाया जा रहा है। लोगों से पार्किंग ठेकेदार के गुर्गों का व्यवहार कुछ ऐसा होता है, मानों रेलवे ने पार्किंग का ठेका ही नहीं, यहां आने जाने वाले यात्रियों पर गुंडागर्दी करने का लाइसेंस दे दिया है। ठेकेदार के कर्मी आए दिन लोगों से वसूली के नाम पर दबंगई से पेश आते देखे जाते हैं। बीते दिनों इनके दुर्व्यवहार से आहत एक यात्री ने स्टेशन सुप्रिटेंडेंट को लिखित में शिकायत की है

रायपुर रेलवे स्टेशन के पार्किंग ठेकेदार और उनके गुर्गों की बेलगाम होती गुंडागर्दी के खिलाफ यह शिकायत रायपुर के ही रहने वाले अमनदीप सिंग ने की है। अमनदीप ने लिखा है कि रेलवे स्टेशन रायपुर की पार्किंग ठेके में आम नागरिक से किए जा रहे व्यवहार से अत्यंत क्षुब्ध हूं। लगातार ये लोग लाइसेंस के बल पर हम जैसे नागरिकों की बेइज्जती किए जा रहे हैं। पर प्रशासन और SECR रेलवे डिवीजन के अफसर ऐसे बंधे हुए हैं, मानो इस वैंडर ने इनपर कोई वशीकरण कर रखा है। हम सबको बस भरपूर बेइज्जती के बाद ठेकेदार और उसके स्टॉफ (गुंडों) से यही जवाब मिलेगा कि आगे जाओ तेरे जैसे बहुत आते हैं। उन्होंने स्वयं के साथ हुई घटना के बारे में लिखा है कि दो दिन पहले 16 मई को मेरे साथ भी यही सब हुआ। मैंने पार्किंग चार्ज 20 रुपए भी दिए और इनकी गुंडई और वसूली वाली भाषा से अपनी भरपूर बेइजत्ती भी करवाई, क्योंकि रेल्वे डिवीजन ने इनको लाइसेंस जो दे रखा है।

वर्तमान में आसिफ़ मेमन का है पार्किंग ठेका, तो क्या हम भी गुंडे बन जाएं

अमनदीप ने अपनी शिकायत में बताया कि वर्तमान में रायपुर रेलवे स्टेशन का पार्किंग ठेका आसिफ़ मेमन का है। इनकी मनमानियों से वाकिफ होकर भी जीआरपी, आरपीएफ़ पुलिस मौन साधे रहती है। हर रोज़ का विवाद किसी दिन विक़राल घटना के रूप मैं परिवर्तित होने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। SECR के सभी अधिकारियों ने पार्किंग ठेका की गुंडागर्दी पर मौन धारण कर रखा है। उन्होंने बताया कि आज मैने लिखित शिकायत स्टेशन सुप्रीटेंडेंट को दी है। गुजारिश भी की है कि आप उचित कार्यवाही करें या बताए की आगे कहां जाएं। क्योंकि ठेकेदार के स्टॉफ तो यही कहते हैं। अगर ऐसा ही हो, तो फिर यह भी बता दीजिए कि हम लोग भी क्या गुंडा बन जाएं ?

कानून हाथ में लेने से पहले कानून के हाथ में दे रहा अर्जी

अमनदीप ने यह भी लिखा है कि कानून हाथ में लेने से पहले मैंने ये विषय कानून के हाथ में दिया है। अब इसका फैसला आप जल्दी करें। आम नागरिक अपनी बेइज्जती ज्यादा देर बर्दाश्त नहीं कर सकता। आम व्यक्ति की इज्जत से टेंडर की बोली इतनी बड़ी नहीं हो सकती। उस पर ये कच्ची रसीद, जिससे सरकारी राजस्व का नुकसान हो रहा है। जनता से इतनी बेईमानी अच्छी नहीं है l