कोरबा। उर्जाधानी में स्वार्थ सिद्धि को लेकर कोयला खदान को महाबंध की चेतावनी के बाद सयुंक्त सलाहकार समिति प्रबंधन के पक्ष में उतर गये है। उन्होंने ने महाबंद पर चुटकी लेते हुए कहा है कि लोकल पॉलिटिशियन की मनमानी नही चलने देंगे।
बता दें कि पूर्व निर्धारित एसईसीएल की कुसमुण्डा खदान का महाबंध आंदोलन एक दिन पूर्व ही विवादों में आ गया है। क्षेत्रीय संयुक्त सलाहकार समिति ने बैठक कर आंदोलन से दूर रहने की रणनीति अख्तियार की है। जनकारी के मुताबिक समिति ने उपस्थित सदस्यों का विचार मांगा गया जिसमें उपस्थित निम्नलिखित सदस्य डी०सी० झा, बीकेकेएमएस, राजेश त्रिवेदी, बीकेकेएमएस, अरूण झा, केएमएस, आर०सी०मिश्रा, एसईकेएमसी, ए0के0अंसारी, एसईकेएमसी, ए०एस०एन०राव, एसकेएमएस, राजलल्लन पाण्डेय, एसकेएमएस, शेख बच्चा, केएसएस, सजी टी जॉन, केएसएस, शैलेष राय, सीएमओएआई एवं मिलन कुमार पाण्डेय, केएमएस ने पूरा जोर देते हुए संयुक्त रूप से कहा कि बाहरी तत्वों द्वारा प्रस्तावित कुसमुण्डा खदान महाबंद की कड़ी निंदा एवं भर्त्सना करते है। उन्होंने कहा है कि ऐसे समय में जब देश में कोयला को लेकर हाहाकार मचा हुआ है और वित्तीय वर्ष मार्च का के अंतिम महीने में खदान बंद करने से प्रदेश सरकार कि आमदनी एवं देश को कोयले की आवश्यकता प्रभावित होगी। इसे देखते हुए छ0ग0राज्य का निवासी एवं देश का नागरिक होने के नाते हड़ताल का आहवान करने वालों को संदेश दिया जाए कि रोजगार की समस्या काफी पुरानी है। इसलिए खदान बंद करना कोई समाधान नहीं है ।बल्कि वार्तालाप के माध्यम से समाधान संभावित है। यह भी कहा कि हमारा कोई भी कामगार इस हड़ताल का समर्थन नहीं करेगा एवं वे अपना कार्य निष्ठापूर्वक करेंगे तथा प्रयास
करेंगे कि अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक उत्पादन हो सके। कुसमुण्डा खदान के कर्मचारी/अधिकारी किसी भी कीमत पर बाहरी तत्वों के द्वारा बंद में शामिल नहीं होंगे। साथ ही हड़ताली व्यक्तियों से वार्तालाप के माध्यम से समस्याओं के उचित निदान करने की पहल की जाए।इसके साथ ही हमारे खदान में बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर सख्त पाबंदी लगाने का अनुरोध भी किया गया ताकि पूर्व में कर्मचारियों के साथ बाहरी व्यक्तियों द्वारा गाली-गलौच, मारपीट इत्यादि किये जाने की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। प्रतिनिधियों ने यह भी कहा कि इसके लिए जिला प्रशासन एवं राज्य शासन से इसकी शिकायत एवं कार्यवाही हेतु अनुरोध किया जाए तथा ऐसे लोगों पर प्रतिबंधात्मक कार्यवाही हेतु सतत रूप से कार्यवाही की मांग की जाए।