Uttarkashi Tunnel: सुरंग में जीत गई जिंदगी, पांच मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला गया, कुछ ही देर में सभी आ जाएंगे बाहर

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Uttarkashi Tunnel: उत्तरकाशी। उत्तरकाशी के सिल्क्यारा सुरंग में फंसे 5 मजदूरों को मंगलवार शाम सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है। रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे कर्मचारियों ने जयकार लगाए और विजय का साइन दिखाया है। इसके बाद एक-एक कर कई एंबुलेंस अंदर भेजी गई। डॉक्टर भी तैनात है। एक मजदूर को निकालने में तीन से चार मिनट का समय लगा। एक.एक कर सभी को सुरक्षित बाहर निकाला जाएगा। सुरंग के अंदर ही मेडिकल कैंप बनाया गया है।

 

Silkyara Tunnel Rescue Operation: सुरंग के भीतर ही होगा स्वास्थ्य परीक्षण

 

Uttarkashi Tunnel:बता दें कि रेस्क्यू ऑपरेशन का आज 17वां दिन है। मजदूरों के परिजन को अंदर भेजा गया है। ये परिजन अलग-अलग प्रदेशों से आए थे। इन्हें गेट पास जारी किए गए थे। मजदूरों का सुरंग के भीतर ही स्वास्थ्य परीक्षण होगा। सुरंग के भीतर जहां मजदूर फंसे हैं, वहां का तापमान लगभग 30 से 35 डिग्री है, जबकि सुरंग के बाहर सिलक्यारा का वर्तमान तापमान 10 डिग्री के आसपास है। यही भी एक कारण है कि मजदूरों को एकदम से बाहर नहीं निकाला जाएगा।

 

Silkyara Tunnel Rescue Operation: सभी निजी और सरकारी अस्पताल हाई अलर्ट पर

 

Uttarkashi Tunnel:उत्तरकाशी जिला अस्पताल सहित सभी निजी अस्पतालों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। ऋषिकेश एम्स, जौलीग्रांट हिलालयन अस्पताल, देहरादून मैक्स अस्पताल को भी हाई अलर्ट पर रखा गया है। सभी को कहा गया कि किसी भी आपात स्थिति के लिए पूरी तरह तैयार रहें। यदि किसी मजदूर की तबीयत ज्यादा खराब हुई, तो एयरलिफ्ट कर लाया जाएगा।

 

Uttarkashi Tunnel: जानें कितनी खतरनाक है रैट होल माइनिंग

 

Uttarkashi Tunnel:उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए 12 नवंबर से चल रहे रेस्क्यू अभियान में तब तेजी आई, जब इसमें रैट माइनर्स की मदद ली गई। इसे रैट होल माइनिंग भी कहते हैं,इन्होंने मशीन से ज्यादा तेजी से खुदाई मैनुअली ही कर डाली। जो हालांकि रैट होल माइनिंग देश में बैन हो चुकी है।

 

 

Uttarkashi Tunnel:: रैट होल माइनिंग के भी दो तरीके

 

Uttarkashi Tunnel:साइड कटिंग मैथड में श्रमिक पहाड़ी ढलानों में सुरंगों की खुदाई करते, जब तक कि अंदर उन्हें कोयले की परत न मिल जाए. मेघालय की पहाड़ियों में ये 2 मीटर जितनी दूरी पर हो जाता था। दूसरा तरीका ज्यादा मेहनत वाला, और उतना ही खतरनाक भी था, जिसमें वर्टिकली खुदाई होती।

 

Silkyara Tunnel Rescue Operation: चूंकि सुरंगों का साइज छोटा होता था, तो इसमें जाने के लिए वे घुटनों के बल भीतर रेंगकर कोयला निकालने का काम करते। इसके खतरों को देखते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने इस पर पाबंदी लगा दिया है।

 

Silkyara Tunnel Rescue Operation: सिलक्यारा में क्यों पड़ी जरूरत

 

Uttarkashi Tunnel:यहां सुरंग के भीतर मशीन के पार्ट्स टूट या फंस रहे थे और बारिश का भी डर था। अगर एक बार सुरंग में पानी भरने लगा तो वापसी का रास्ता आसान नहीं होता। इसके अलावा मजदूर भीतर से सिरदर्द और उल्टियों की शिकायत भी करने लगे, जो ऑक्सीजन कम होने का संकेत है। यही वजह है कि इसके लिए रैट माइनिंग को भी आजमाने का फैसला लिया गया।

 

 

Silkyara Tunnel Rescue Operation: किस तरह किया रैट माइनर्स ने काम

 

इसमें काम 3 चरणों में हो रहा था। एक व्यक्ति खुदाई करता, दूसरा मलबा जमा करता, और तीसरा उसे बाहर करता। बेहद मेहनत और जोखिम वाले इस काम में खतरे को कम करने के लिए बहुत से इंतजाम भी किए गए थे। ऑक्सीजन के लिए ब्लोअर लगाया गया ताकि कड़ी मेहनत कर रहे मजदूरों को सांस की परेशानी न हो।