प्रतीकात्मक तस्वीर
कोरबा। एक बार जो गाड़ी लेकर निकल गए, तो कब वापसी होगी, यह कहना मुश्किल है। ट्रक के चार पहियों पर सवार एक ड्राइवर की जिंदगी ही कुछ ऐसी है, जो सड़क पर दौड़ती भागती बस यूं ही निकलती चली जाती है और दरवाजे पर राह देख रहा उसका परिवार यही पूछता रह जाता है कि न जाने तुम कब आओगे। परिवार के पालने की जिम्मेदारी के बीच मानो ट्रक में 5 बाई 2 की कैबिन ही उसका घर है, रसोई है और दफ्तर भी, जहां न जाने कितनी होली-दिवाली गुजर गई, वह खुद भी नहीं जानता, क्योंकि उसे बिना रुके बिना थके बस चलते जाना है।
आपने अक्सर आते जाते सड़क पर खड़े ट्रक की कतार को देख कर एक न एक बार उसके ड्राइवर को जरूर अपनी लाल आंखे दिखाई होंगी, कोसा होगा, शायद मन में गालियां भी दी होंगी। पर यह जान लेना भी लाजमी है कि जमाने भर की नाराजगी झेल कर अपने ट्रक पर सवार वह जब बिना रुके, बिना थके दौड़ लगाता है, तब जाकर हमारे घर पर राशन, चावल-दाल, शक्कर, केरोसीन, बिजली, पेट्रोल, कपड़े-जूते और दवाइयों से लेकर वह सब पहुंच पाता है, जिसके बगैर हम सब की जिंदगी की गाड़ी चल पाना नामुमकिन है। भले ही वह खुद कई कई घंटे सो नहीं पाता, कई कई घंटे भूखा रह जाता है, पर उसकी गाड़ी नहीं रुकती, क्योंकि रात के 12 बजने के पहले उसे किसी शहर की चेक पोस्ट, किसी जिले या राज्य की सीमा पार करनी होती है। मालिक की नाराजगी झेलनी होती है, किसी पुलिस वाले की गलियां खानी पड़ती है। जहां पहिए रुक गए, वहीं उसकी रसोई पकती है और वहीं पर बिछौना, जिस पर दो पल विश्राम के बाद उसे फिर निकल जाना होता है। यह सब इसलिए, क्योंकि उसका भी एक परिवार है, बच्चे हैं, जिनके लिए दिवाली की मिठाई, नए कपड़े, स्कूल की फीस की जुगत उसे भी करनी है। आप और हम किसी चौक चौराहे पर जाम से कुछ देर फंसकर निकल जाते है, शाम रात तक घर पहुंच ही जाते हैं पर एक ड्राइवर जब किसी राह पर दस दस घंटे फंसा रह जाता है, तब भी उसके माथे पर शिकन तक नहीं आने देता। ऐसी कठिनाई में भी उसकी चिंता यह नहीं होती, कि जाम जब खत्म होगा, बल्कि फिक्र इस बात की होती है कि क्या वह वक्त रहते ट्रैक पर लोड समान अपने लक्ष्य तक समय पहुंचा पाएगा। हो सकता है कि उसमें किसी की जिंदगी के लिए जरूरी दवाइयां भी हो सकती हैं और देश की सुरक्षा के लिए जरूरी हथियार भी। किसी बच्चे के लिए दूध की खुराक और किसी कारोबार में निवेश की हुई जिंदगी भर की पूंजी, जिसके समय न पहुंच पाना, उसे तबाह भी कर सकता है। एक ऐसा मुसाफिर, जिसका सफर कभी खत्म नहीं होता। फिर भी, ऐसी अहम जिम्मेदारियों के बीच स्टेयरिंग संभाले ड्राइवर की जिंदगी किसी अनजाने मोड़ पर सिर्फ एक झपकी की मोहताज होती है, जो आती सिर्फ एक पल के लिए है, पर जब जाती है, तो सबकुछ खत्म हो चुका होता है। दुर्भाग्य के इस आखरी सफर पर भी, अजनबी भीड़ दो पल ठहर कर यह कहते हुए निकल जाती है, कि ड्राइवर ने नशा किया होगा और उसके परिवार असीम दुखों के पहाड़ के साथ उपहार में कुछ मिलता है, तो वह है कोर्ट-कचहरी के चक्कर।
गाड़ी किसी की, माल किसी का, पर जांच के पचड़े, RTO और पुलिस की डांट सिर्फ ड्राइवर की