Super food : रागी का बढ़ रहा खेती का रकबा..7 फायदे वाले इस अनाज से बन रहे बिस्किट और ओट्स…

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बिलासपुर । कम समय में ज्यादा मुनाफा देने वाली ऐसी फसल जिसका रकबा अब बढ़ता हुआ नजर आ रहा है क्योंकि इसमें कुछ ऐसी मेडिशनल प्रॉपर्टीज के होने का खुलासा हुआ है जो कई ऐसी बीमारियों को दूर करने में सक्षम है जिससे लगभग हर व्यक्ति पीड़ित है।

कोदो, कुटकी और रागी। अनाज की यह प्रजातियां किसानों के बीच तेजी से अपनी जगह बना रही है क्योंकि इनका सेवन कई तरह की स्वास्थ्यगत परेशानियों से बचाता है, तो कुछ में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के भी गुण मिले हैं। रागी को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण इसलिए माना जा रहा है क्योंकि इसमें हीमोग्लोबिन को बढ़ाने के गुण मिले हैं। यही वजह है कि इनसे बनने वाली खाद्य सामग्रियां अब होटल, रेस्टोरेंट, चाय और कॉफी कॉर्नर में उपलब्ध होने लगी है।

बढ़ाता है हीमोग्लोबिन

केवल मुनाफा ही नहीं बढ़ाता रागी। यह हीमोग्लोबिन भी बढ़ाता है। इसके अलावा इसमें प्रोटीन की मात्रा, अन्य अनाज की तुलना में कहीं ज्यादा है। एमिनो एसिड, कैल्शियम और पोटेशियम की मात्रा भी अच्छी-खासी है। इसलिए सेवन को लेकर जागरूकता शहरी उपभोक्ताओं में बढ़ रही है। बढ़ती मांग के बाद इसकी खेती का रकबा भी सरकार की प्रोत्साहन नीतियां बढ़ा रहीं हैं।

बनते हैं यह

 

रागी से वैसे तो कई तरह की खाद्य सामग्रियां बनाई जा रहीं हैं लेकिन शुगर फ्री ओट्स खूब पसंद किए जा रहे हैं। इसके अलावा बिस्किट्स और कुकीज़ की डिमांड भी बढ़ रही है। खासतौर पर युवा वर्ग के बीच इसकी मांग जिस तरह बढ़ रही है, उसने इसकी फसल लेने वाले किसानों की पूछ-परख बढ़ा दी है।

 

ऐसे करें खेती

 

छिड़काव विधि से बीज डाले जाते हैं। दो से तीन बार हल चलाना होता है। इससे सतह के बीज भीतर चले जाते हैं। अंकुरण के बाद सिंचाई प्रबंधन पर ध्यान रखना होता है। पौधों में फूल और दाने लगने के बाद 10 से 15 दिन के अंतराल में दो से तीन बार सिंचाई जरूरी होगी। जब पौधों की उम्र 100 दिन की हो जाए, उसके बाद इसके ऊपरी हिस्से की कटाई करनी होगी।

 

रोपाई में बेहतर परिणाम

बारिश के अलावा गर्मी के मौसम में भी इसकी खेती संभव है। छिड़काव विधि की बजाए रोपाई के माध्यम से खेती के बेहतर परिणाम मिलते हैं।
– डॉ एस आर पटेल, रिटायर्ड साइंटिस्ट, एग्रोनॉमी, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर