जिले के थानेदार दिन में मुंगेरीलाल के हसीन सपने देख रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि अचार संहिता लगने से पहले थानों में फेरबदल होगा और बड़े का प्रभार मिलेगा। बड़े थाना का सपना संजोने वाले थ्री स्टार सुपरकॉप को यह उम्मीद है कि हमें बड़े थाने मिलने वाला है। उम्मीद करना अच्छी बात है क्योंकि उम्मीद में ही दुनिया कायम है। अगर कहीं थानेदारों का सपना सच साबित हुआ तो तीन ऐसे भी थाना है जिसका नाम सुनकर ही जबांज अफसरों को भी पसीना छूट जाता है। अगर कहीं लेमरू श्यांग और पसान थाना किसी शहरी क्षेत्र में पदस्थ थानेदार को भेजा गया तो उनका सपना उल्टा पड़ जाएगा।
सो बैठे बैठाये अच्छे और मलाईदार थाने को छोड़ना पड़ेगा और जंगल में बैठकर गम में जाम छलकाना पड़ेगा। अगर बात चुटका वाले थानेदारों की जाए तो जब से कोरबा पदस्थ हुए हैं उनका रायगढ़ मोह नहीं छूट रहा है। कहा तो यह भी जा रहा है जल्द एक जिला स्तरीय लिस्ट जारी होने वाली है। जिसमें कुछ थानेदारों की लाटरी लग सकती है। हालांकि अभी अचार संहिता लगने में देरी है ऐसे में उन थानेदारों को एक गोल्डन चांस और मिल सकता जो चुनावी पिच पर फिरकी गेंद फेंककर अपना थाना भी बचा लें और दूसरे को प्रभावित भी कर सके।
बहरहाल मुंगेरीलाल के हसीन सपना देखने वाले टीआईयों का सपना पूरा होगा या रह जाएगा अधूरा इसके लिए थोड़ा इंतजार और करना होगा। तो थोड़ा इंतजार का मजा लीजिए का गाना गुनगुनाते रहिए..!
🔷साहब को रहने की नहीं मर्जी, ट्रांसफर के लिए लगा रहे अर्जी
प्रदेश में जब से पीएससी घोटाला उजागर हुआ है तब से कोरबा के एक अफसर को डर सता रहा है और अब कोरबा में रहने मन नहीं लग रहा। सो साहब स्थानांतरण के लिए अर्जी लगा रहे हैं। खेती किसानी संभालने वाले साहब इस कदर सदमे में है कि कहीं ईडी का छापा पड़ा तो सारे किए कराए पर पानी फिर जाएगा। इससे डिपार्टमेंट की छवि तो धूमिल होगी ही साथ मे साहब के रिलेटिव होने और उनका समान पास होने के सबूत भी हाथ लग जाएंगे।
सो साहब अपना स्थानांतरण कराने में ही भलाई समझ रहे हैं। सूत्रों की माने तो वे गुरुवार को अपने स्थानांतरण की अर्जी के लिए रायपुर गए थे। हालांकि उनका स्थानांतरण होगा या नहीं यह तो स्थानांतरण लिस्ट जारी होगी तब समझ आएगा। लेकिन, साहब की छटपटाहट की प्रशासनिक गलियारें में चर्चा हो रही है। उनके बेचैनी को देखकर यह भी कहने लगे है कि दाल में काला नहीं बल्कि पूरी दाल ही काली है। वैसे तो साहब कुछ दिन ही एग्रीकल्चर के पिच पर खेल पाए। लेकिन, जब से पिच पर उतरे तब से चौके छक्के की बरसात करते रहे हैं। तभी तो कम समय में ज्यादा नजराना वसूल कर अपने उसूल के लिए काम करते हुए निकलने में समझदारी समझ रहे हैं।
वैसे तो साहब का रुतबा ऐसा है कि वे मीटिंग, सीटिंग और रेटिंग के लिए अपने जूनियर अधिकारी को वीटो पॉवर देते रहे हैं। वे कब आएंगे और कब कहाँ जाएंगे उसकी जानकारी जूनियर अफसर को ही होती है!! डिपार्टमेंट में भी उनका तालमेल औसत दर्जे का है। उनके काम करने की स्टाइल की वजह से फर्जी बिलों के वाउचर का अंबार अंबर तक अनंत है। अब जब वे ट्रांसफर कराने की ठान लिए हैं तो अधीनस्थ अधिकारियों की चिंता में होना स्वभाविक है।
🔷चाचा के लिए भतीजे का प्यार, चुनाव जिताने…
फ़िल्म चाचा भतीजा का ये गाना बुरे काम का बुरा नतीजा, सुन भाई चाचा हां भतीजा की लय में ऊर्जाधानी में एक चाचा के लिए भतीजे का चुनाव प्रचार चर्चा में है। दरअसल भतीजा है तो खनिज संपदा का दोहन करने वाला, सो उनकी संगत भी अवैध माइनिंग का काम करने वालो से है। लिहाजा चाचा को चुनाव जिताने खनिज के खिलाड़ियों को फोन कर चुनाव जिताने की गुजारिश कर रहे हैं।
चाचा चुनाव जीता तो रेत, गिट्टी और मिट्टी उत्खनन और परिवहन करते पकड़े जाने पर गाड़ी छुड़ाने के काम चाचा करेंगे..! भतीजे के इस चुनाव प्रचार पर अवैध खनिज तस्करी करने वाले चुटकी लेते हुए कह रहे है बुरे काम का बुरा नतीजा, सुन भई चाचा, हां भतीजा .. का गाना गुनगुना रहे हैं।
वैसे तो सत्ता के साथ सांठगांठ के लिए अवैध कारोबारी एक टांग पर खड़े रहते हैं औऱ कहा भी तो गया है जिसकी लाठी उसकी भैंस। सो सरकार बदली तो भाजपा के साथ मिलकर खनिज तस्करी का काम करेंगे और कांग्रेस की सरकार बनी तो भी भाजपा के लोग ही काम करेंगे। वैसे भी वर्तमान सरकार में ज्यादातर सप्लायर औऱ ठेकेदार भाजपाई ही हैं। जिले का एक कार्यालय तो ऐसा भी है जहां भाजपाईयों की तूती बोलती है।
लिहाजा भतीजा अगर वोट के बदले सिक्युरिटी देने की बात कर रहा है तो बात सही है। क्योंकि प्रशसान के रहनुमा दिखते तो दीये के साथ हैं लेकिन रहते है हवा के साथ। सो भतीजे की बात और तस्करों के बोट का साथ मिल जाये तो चुनावी फतह मिलने से कोई नहीं रोक सकता।
🔷राजनीति और शिष्टाचार
आज के दौर में राजनीति और शिष्टाचार , पॉलिटिक्स के दो विपरीत ध्रुव बन चुके हैं। राजनीति में ऐसा बहुत कम देखने में आता है जब राजनीति में शिष्टाचार का धर्म निभाया गया हो। आज तो तीखे बयान और व्यक्तिगत हमला राजनीति चमकाने का पर्याय बन चुका है। ऐसे में राजनीति में शिष्टाचार की बात करने से हंगामा तो मचना ही था।
पीएम नरेंद्र मोदी के बिलासपुर दौरे में भी यही हुआ। केंद्र से राज्य सरकार के साथ भेदभाव के आरोप को खारिज करते हुए मोदी ने कहा कि उप मुख्यमंत्री जी ने सच बोला तो कांग्रेस में ऊपर से नीचे तक तूफान खड़ा हो गया। उन्हें फांसी पर लटकाने का खेल खेला जाने लगा। प्रधान मंत्री तो दिल्ली लौट गए मगर शिष्टाचार की राजनीति करने वाले डिप्टी सीएम को अब सफाई देने नौबत आन पड़ी है।
अपनी सफाई में डिप्टी सीएम को कहना पड़ा कि दो अलग-अलग मंच हैं, जिसमें हम अलग-अलग तरीके से अपनी बात भी रखते हैं। एक सरकारी कार्यक्रम का मंच होता है, जिसमें सभी जनप्रतिनिधि अलग-अलग शिष्टाचार का पालन करते हैं। फिर एक मंच होता है जिस राजनीतिक मंच पर तीर छोड़े जाते हैं। केंद्र और राज्य सरकार के साझा मंच की एक अलग गरिमा होती है। राजनीतिक मंच पर हम भी खूब बातें करते हैं, लेकिन वह बात सामने नहीं आ पाती।
जो भी हो मगर, राजनीति में शिष्टाचार की बात कहने से छत्तीसगढ़ में एक नया बखेड़ा शुरु हो गया है। पीएम मोदी के इस दांव से कांग्रेस कैसे निपटती है ये देखने वाली बात होगी।
🔷परिवर्तन और भरोसा
छत्तीसगढ़ में इस बार परिवर्तन और भरोसा के मुद्दे पर ही विधानसभा चुनाव होना तय हो चुका है। कांग्रेस को भूपेश पर भरोसा है तो बीजेपी को परिवर्तन की आस है। कांग्रेस आज 2 अक्टूबर से प्रदेशभर में भरोसा यात्रा निकालेगी जो 2700 किलो मीटर का सफर तय करेगी। इसके लिए अलग अलग जिलों में मंत्रियों को कमान सौंपी गई है। वहीं भाजपा दंतेवाड़ा और जशपुर से निकाली गई अपनी दो परिवर्तन यात्रा पूरी कर चुकी है। जल्द ही अगले दौर की शुरुआत होगी।
भरोसा यात्रा में कांग्रेस लोगों का भरोसा जीतने की कोशिश करेगी। कांग्रेस के सभी विधायक अपने-अपने क्षेत्र में इस यात्रा की अगुवाई करेंगे। जहां कांग्रेस के विधायक नहीं हैं वहां जिलाध्यक्षों और दावेदारों को जिम्मेदारी दी गई है। इस दौरान कांग्रेस नेता लोगों से मिलेंगे और सरकार की उपलब्धि बताएंगे और कार्यकर्ता चर्चित योजनाओं के पोस्टर-पांपलेट भी बांटेंगे।
यात्रा के दौरान केंद्र सरकार और 15 सालों तक चली रमन सरकार कांग्रेस का टारगेट होगी। हर छोटे-बड़े कांड को वोटर्स को याद दिलाया जाएगा। करीब 15 साल की सत्ता के बाद बीजेपी की परिवर्तन यात्रा कांग्रेस से कहीं आगे निकल चुकी है। केंद्र के मंत्री लगातार यहां दौरा कर चुके है। बीजेपी का कहना है कि जनता परिवर्तन का मूड बना चुकी है। यह देखकर कांग्रेस घबरा गई है। देखने वाली बात ये होगी कि इस बार छत्तीसगढ़ की जनता कांग्रेस पर कितना भरोसा करती है या फिर नई सहिबो बदल के रहिबो….वाली बात पर मुहर लगेगी।