One two three four brothers, be smart: जांच की आंच शहर के जमींदारो पर,.खाकी के खिलाड़ी “खिलौना नहीं मैं…”सावन, सट्टेबाज और ”महादेव” टिकट छोड़ DMF की चिंता और साहब..

0
616

🔶 जांच की आंच शहर के जमींदारो पर..

ईडी के जांच की जांच अब जमीन खरीदने वाले शहर जमीदारों तक पहुंच गई है। कायदे को फायदे में बदलकर कोरबा- कटघोरा फोरलेन में टुकड़ों में रजिस्ट्री कराकर शासन को चूना लगाने वाले चुनींदा लोगों की लिस्ट तैयार की जा रही है। कहा तो यह भी जा रहा है जमीन रजिस्ट्री के टुकड़े टुकड़े गैंग में शामिल रजिस्ट्रार और पटवारी भी ईडी की रडार में हैं।

सूत्र बताते हैं ठीक चुनाव के पहले जमीन से गड़े मुर्दे उखड़ने वाले हैं। कागज में दफन राज का पर्दाफास कर ईमानदारी चोला ओढ़ने वाले नेता अभिनेता और प्रशासनिक अफसरों के चेहरे बेनकाब होने की उम्मीद है। कहा तो यह भी जा रहा है जिस जमीन की जांच ईडी करने वाली है उसमें कोरबा में कलेक्टर रहे एक अफसर अहम किरदार में है। जो अपने रिलेटिव के नाम जमीन खरीदकर सुर्खियों में थे।

सूत्र बताते हैं, जमीन के जज्बात में आकर कुछ भाजपा नेता भी रकम लगा बैठे। ईडी के जांच की खबरें आम होते ही नेता अभिनेता और अफसरों में एक बार फिर खलबली मच गई है। वैसे तो रजिस्ट्रार भी कम टेंशन में नहीं है। उन्हें तो पहले ही ईडी दफ्तर बुलाकर खेल का नियम समझा दिया गया है। ईडी के जांच की खबर के बाद राजस्व अमले के करोड़पति पटवारी भगवान की शरण में है। जो भी हो जमीन के जांच से शहर की राजनीतिक फिजा एक फिर गरमा गई है।

🔶 खाकी के खिलाड़ी “खिलौना नहीं मैं…”

फ़िल्म पुष्पा का संवाद जो आज भी लोगों के दिल दिमाग पर है ” पुष्पा नाम सुनके फ्लॉवर समझा क्या फ्लॉवर नही फायर हूं मैं !..” इस संवाद को जिले के मधुर मुस्कान वाले आईपीएस अफसर ने दिया.. “गुड़िया नाम सुनके खिलौना समझा था क्या, खिलाड़ी हूँ मैं…!”

जी हां असल में खिलाड़ी ही हैं जो बीते पांच वर्षों से फाइल में दफन हो चुके मर्डर मिस्ट्री को सुलझाकर इसे साबित कर दिया। वैसे तो साहब कानपुर आईआईटी से सिविल ब्रांच से बीटेक की डिग्री लेकर यूपीएससी की तैयारी कर आईपीएस बने हैं। सिविल ब्रांच का होने के बावजूद साहब ने जहां चाह वहां राह की कहावत को चरितार्थ करते हुए सॉफ्टवेयर में रुचि होने के चलते ऑनलाइन सर्च कर यूट्यूब के माध्यम से कोडिंग प्रोग्राम सीखा और पुलिस के कार्यों को आसान बनाने सॉफ्टवेयर विकसित कर डिपार्टमेंट को नई तकनीक से लैस कर डाला।

उनके इसी लगनशीलता की वजह से पांच साल पुराने मर्डर का कुछ ही दिनों में खुलासा कर पीड़ित परिवार को इंसाफ दिलाने का काम भी किया है। वैसे तो साहब प्रोविजनल पीरियड में हैं, लेकिन उनके केस को डिफेंस करने का तरीका किसी सीनियर अधिकारी की तरह है। उनके एक खोजी निर्णय लेने के कारण जिला पुलिस प्रशासन की छवि में निखार आ गया है।

🔶 सावन, सट्टेबाज और ”महादेव”

इस साल अधिक मास में पड़ने वाले सावन में दो दिन बाकी हैं। आज सावन माह का अंतिम सोमवार है। यानि भक्तों पर भगवान महादेव की कृपा बरसने वाली है। लेकिन, इस बार अधिक मास होने की कारण ”महादेव एप” से जुड़े मामले में सटोरियों पर भगवान महादेव के साथ ईडी की कृपा भी बरस रही है। सट्टेबाजी में मनीलांड्रिंग और हवाला वाले केस में कई भक्तों पर ऐसी कृपा बरसी की उनमें से कई को कांवड़ यात्रा के बाद जेलयात्रा तक करनी पड़ी।

सटोरियों के बाद अब भगवान महादेव की कृपा पुलिस के कुछ अफसरों पर मेहरबान होती दिख रही है। सावन के आखिरी दो दिनों में इन अफसरों पर भी महादेव की कृपा बरसने वाली है। ”महादेव की कृपा जब बरसती” है तो वो आम और खास को देखकर नहीं बरसती। नेता हों या सटोरिया या फिर रौआब वाले अफसर भगवान महादेव के दरबार में सभी का न्याय होता है।

भगवान महादेव के एक भक्त ने खबरीलाल को बताया कि कल देर रात ईडी के अफसर पूछताछ के लिए समन लेकर दो पुलिस अफसर के बंगले पहुंचे थे। मगर बंगले में तैनात सिपाही उनके वहां नहीं होने की बात कह कर बाहर से ही लौटा दिया। अब सावन सोमवार की महिमा देखिए आज ईडी के अफसर इन अधिकारियों के आफिस में पहुंचने वाली है। क्या पता आज इन दो पुलिस अफसर भगवान महादेव की कृपा बरस जाएं। हालांकि अभी सावन पूरे होने में दो दिन बाकी है और ”महादेव” की सेवा का फल मिल जाए।

🔶 टिकट छोड़ DMF की चिंता और साहब का ट्रांसफर

जिले के एक नेताजी को टिकट से ज्यादा डीएमएफ के रुके रकम की चिंता सता रही है। वैसे तो डीएमएफ का जो हाल है उससे हर शख्स वाकिफ है। लेकिन, नेता जी अभी भी डिस्ट्रिक मिनिरल फंड की रकम की आस में धूनी रमाये बैठें हैं। जब नेताजी के मांग की खबर आम हुई तो लोग व्यंग्य करने लगे “डीएमएफ में ईडी की इंट्री के बाद लोग फाइल देखने से डर रहे है और इस दशा में भी नेता जी डीएमएफ जप रहे हैं..” लगता है कुछ बड़ा मामला है तभी तो समझते हुए भी रकम पंचायतों को देने की मांग कर रहे हैं।

वैसे तो पंचायतों के स्वीकृत कार्यों की मूल और भौतिक स्थिति में बड़ा घालमेल है। नेतानुमा ठेकेदारों ने जनपद के अधिकारियों से सांठगांठ कर डीएमएफ की रकम तो निकाली लेकिन काम कराया नहीं। ये बात अलग है अधिकारी आज भी समीक्षा बैठक में कार्य को प्रगति पर बताकर अपनी बला टाल रहे हैं।

सूत्र बताते हैं कि एक भाजपा नेता ने तो पंचायतों के स्वीकृत कार्यों की 40 परसेंट रकम जो करोड़ो में है..को लेकर दूसरे जगह शिफ्ट हो गए और सरपंच की स्थिति ” न माया मिली न राम ” की हो गई है। इधर उधर की रकम से काम कराने की बात कहते हुए दिन गिन कर रकम वापसी का सपना देख रहे है।

चूंकि निर्माण एजेंसी पंचायत थी,सो काम तो कराना पड़ेगा। जब निर्माण कार्यों का ये हाल है तो सप्लाई का अंदाजा आप लगा ही सकते है। तभी तो ड्रेस खरीदी करने वाले साहब  डीएमएफ में डकार मारकर ट्रांसफर के लिए जोर आजमाइश में लगे हैं। खरीदी किंग ईडी की बला को टालने के लिए पिछले एक महीने से जिले से लापता हैं।

सूत्र बताते हैं कि जब निगम आयुक्त पांडेय जी के घर ईडी की रेड पड़ी तो साहब ने कोरबा छोड़ने में भलाई समझी और उसके बाद बीमारी का हवाला देते हुए एक महीने की छुट्टी में चले गए। जिससे ईडी की आंच कम होते ही नए जिले में पोस्टिंग कराकर चैन की बंशी बजाई जा सके। साहब को ईडी का डर और नेताजी का डीएमएफ प्रेम देखकर लोग ” लागी छूटे न अब तो सनम…!

🔶 एक दो तीन चार भइया बनो होशियार….

सोशल मीडिया पर आबकारी मंत्री कवासी लखमा का एक वीडियो इन दिनों फिर चर्चा में है जिसमें वो अपने सा​थी को बी​ड़ी का सोट्टा कैसे लगाएं ये बताते दिख रहे हैं। बिल्कुल वैसे ही जैसे किसी बच्चे को हेडमास्टर क्लास में सीखाते हैं। 1964 में आई मूवी संत ज्ञानेश्वर में फिल्म की हीरोइन बच्चों को…एक दो तीन चार भइया बनो होशियार गाना सुना कर होशियार बनाने की कोशिश कर रही है।

आखिर हमारे मंत्री कवासी लखमा भी सोशल मीडिया में किसी हीरो से कम थोड़े ही है। सोशल मीडिया पर कभी महुआ झरे तो कभी मांदर की थाप पर झूमने का उनका अंदाज ही अलग है। यहीं वजह है कि वो अक्सर चर्चा में रहते हैं। जो वीडियो इन दिनों वायरल हो रहा है उसमें कवासी अपने साथी से कहते हैं…पहले मुंह से धूंआ अंदर लो फिर नाक से बाहर निकालो…और उनका साथी इस टिप्स को फॉलो करते हुए नाक से धूंआ निकालने लगता है। बिल्कुल किसी होशियार बच्चे की तरह…यानि एक दो तीन चार भइया बनो होशियार..।

  ✍️अनिल द्विवेदी ,ईश्वर चन्द्रा