VIDEO : ध्वस्त सुरक्षा व्यवस्था रेत घाट शमशान घाट न बन जाये.. फिर मौत के मुंहाने से लौटा चालक

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0 दो पहियों पर खड़ा हो गया बेकाबू हुए ट्रैक्टर का इंजन, बाल बाल बचे ड्राइवर के सिर पर आई गंभीर चोट, बरबसपुर रेत घाट में बड़ी घटना टली

कोरबा। सुरक्षा व्यवस्था, नियमों को ताक पर रखकर रेत घाट से रेत निकाल ज्यादा फेरे लगाने के फेर में अक्सर दुर्घटना होती है या कोई घटना बाहर नहीं आ पाती। आज ऐसे ही एक ट्रैक्टर चालक मौत के मुंह मे जाने से बाल बाल बचा।

ज्यादा से ज्यादा फेरे और सबसे तेज दौड़ने की बेलगाम होड़ एक ट्रैक्टर चालक को भारी पड़ गई। रेत घाट से लोडिंग कर डिमांड के अनुरूप जल्द से जल्द डिलीवरी की हड़बड़ी में ट्रैक्टर की ड्राइविंग सीट पर बैठे ड्राइवर ने काबू खो दिया। यह घटना इतनी भयावह थी, कि इंजन समेत ड्राइवर पलट कर 90 डिग्री पर खड़ा हो गया। ट्रैक्टर के अगले पहिए आसमान छूने लगे और पलक झपकते ही पिछले पहियों से होते हुए गिरा ड्राइवर नीचे जमीन पर पड़ा धूल फांक रहा था। इसे दुर्भाग्य कहें या खुशकिस्मती, ट्रैक्टर का इंजन बस इतना ही कमाल दिखाकर उसी जगह पर थम गया। अन्यथा कुछ इंच के हिचकोले के साथ भारी भरकम पहिए या बॉडी की चपेट में आने वाले का जिंदा बचना मुश्किल हो जाता। बहरहाल इस हादसे में घायल ड्राइवर के सिर पर गंभीर चोट आने की बात कही जा रही है, जिसे उपचार के लिए अस्पताल दाखिल करा दिया गया है।

मंगलवार की दोपहर सामने आई यह घटना शहर से लगे बरबसपुर रेत घाट की है। लगभग सभी रेत खदानों की तरह नगर निगम कोरबा द्वारा संचालित इस रेत घाट में भी रेत निकालने या उत्खनन से लेकर परिवहन करने ट्रैक्टरों की भरमार अक्सर जुटी देखी जा सकती है। बड़ी संख्या में रेत लोड करने वाले मजदूर और ट्रैक्टरों का आना जाना हर कुछ मिनट में लगा ही रहता है। कुल मिलाकर मांग और आपूर्ति निरंतर बहाल रखने इस रेत घाट का व्यस्त होना आम बात है। पर खास बात यह है कि किसी सामान्य रेत घाट की तरह सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कोई खास जुगत यहां भी नजर नही आती। नियम कायदे तो दूर की बात है, नगर निगम को रॉयल्टी पर्ची काटने के अलावा और किसी बात कोई मतलब नहीं है। नतीजा ये कि ट्रैक्टरों की बेतरतीब आवाजाही रेत घाट की क्षमता लांघकर होना भी यहां सामान्य बात है। ऐसे में नजर की जरा सी चूक या छोटी सी लापरवाही बड़ी दुर्घटना की वजह बन जाए, तो इंकार नहीं किया जा सकता। कुछ ऐसी ही स्थिति मंगलवार को उस वक्त निर्मित हो गई, जब रेत लोडिंग करने के बाद एक चालक अपने ट्रैक्टर समेत जाने की तैयारी कर रहा था। अभी उसने ट्रैक्टर बैक कर के घुमाने की ही सोची थी कि ट्रैक्टर का इंजन नियंत्रण से बाहर हो गया और अचानक एक्सलेटर अत्यधिक दब जाने से इंजन के अगले पहिए ऊपर उठ गए। ट्रैक्टर के इस तरह उल्टा हो जाने से ड्राइवर घायल हो गया पर किसी और के हताहत होने की खबर नहीं है।

 

सस्ता मेहनताना व नौसिखिए ड्राइवर, विभागों के पास फुर्सत नहीं

इस घटना के लिए सिर्फ विभाजित सिस्टम ही नहीं, रेत घाट का ठेका लेने वालों को भी जिम्मेदार ठहराया जाए तो गलत न होगा। इन दिनों ट्रैक्टर का शोर खेतों में कम और रेत लेकर दौड़ लगाते सड़कों पर ज्यादा देखा जा सकता है। ऐसे कुशल और प्रशिक्षित ड्राइवरों की कमी कैसे पूरी हो।

 

दूसरी ओर काम ढूंढने वालों की कमी भी एक अवसर है, जो कम प्रशिक्षित या नौसिखिए ड्राइवर आसानी से और वह भी सस्ते मेहनताने में उपलब्ध हो जाते हैं। यही वजह है जो रेत घाट से लेकर सड़कों पर छोटे बड़े हादसों की संख्या भी बढ़ती जा रही है और पहले ही सरकारी काम काज के जिम्मेदारी भरे बोझ में दबे जा रहे निगम प्रशासन, खनिज या परिवहन विभाग के पास यह सब देखने की फुर्सत भला कैसे हो।