रायपुर। पिछले 500 दोनों से हसदेव अरण्य को बचाने के लिए चल रही अडानी और पुलिस-प्रशासन के खिलाफ स्थानीय लोगों की जंग में सोमवार को पूर्व उप मुख्यमंत्री टीएस ने पहुंचकर मोर्चा संभाला। उन्होंने मंच से खुली चेतावनी देते हुए कहा कि बंदूक की नोक पर हम अपने जंगलों को उजड़ने नहीं देंगे। न ही पुलिस और प्रशासन की शह पर मनमानी अडानी की खदान खुलने देंगे। साथ ही सिंहदेव ने ग्रामीणों से भी अनुरोध किया कि अहिंसा की शक्ति साथ रखे। किसी भी स्थिति में इस आंदोलन में हिंसा की राह न अपनाएं। अपने नेता से मुखातिब होते हुए एक युवक ने कहा कि हम किसी और को नहीं जानते…हमारे विधायक तो सिर्फ आप ही हैं।
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हसदेव अरण्य में राजस्थान विद्युत कंपनी को कोयला खदान आबंटित है। उस पर उत्खनन का ठेका अड़ानी समूह को मिला हुआ है। ग्रामीण खदान ना देने के मसले पर आंदोलनरत हैं। हसदेव अरण्य के इस आंदोलन को 500 दिन हो चुके हैं। इस बीच प्रदेश में भाजपा की सरकार ने काबिज होते ही प्रशासन और पुलिस की घेराबंदी कर पूरे इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया है। पेंड्रीमार के जंगल के तीस हज़ार से अधिक पेड़ों का सफाया कर दिया गया है। शासन की दमनकारी नीति में सामंत की तरह शामिल होते हुए जिला प्रशासन ने हसदेव अरण्य बचाने के लिए चल रहे आंदोलन से जुड़े लोगों को अघोषित हिरासत में ले लेना शुरू कर दिया है। बताया जा रहा है कि जब टीएस सिंहदेव आंदोलन स्थल पहुंचे तो धरना स्थल के आसपास 200 से ज़्यादा हथियारबंद जवान और ज़िला प्रशासन के अधिकारी मौजूद थे।
हथियारों के दम पर घर से उठाया, कपड़े तक पहनने नहीं दिए: सरपंच
एआईसीसी में लोकसभा चुनाव के लिए बनी घोषणा पत्र समिति के संयोजक टीएस सिंहदेव ने आंदोलन स्थल पर ग्रामीणों से मुलाक़ात की। ग्रामीणों ने उनसे प्रशासन और पुलिस की भुमिका को लेकर रोते हुए दर्द सामने रखा। बासेन गाँव के सरपंच ने कहा कि मुझे हथियारों के दम पर घर से उठा लिया, कपड़े तक पहनने की इजाज़त नहीं दी।
ग्रामीणों से संवाद करते हुए अंबिकापुर के पूर्व विधायक सिंहदेव ने कहा कि पुरानी खदान, जिसकी स्वीकृति पहले ही हो चुकी है, उसका विरोध नहीं है। हरिहरपुर फतेहपुर सहित अन्य प्रभावित गाँव के लोग नई खदान के विरोध में है। यूपीए सरकार ने भूमि अधिग्रहण क़ानून बनाया है, 70 फ़ीसदी भूमि स्वामी एक राय होकर जो भी निर्णय लेंगे शासन प्रशासन उस निर्णय को मानने के लिए बाध्य होगा।
विद्रोह की नौबत न लाएं जनता के टैक्स से वेतन पाने वाले
जबकि सिंहदेव हसदेव अरण्य स्थित धरना स्थल पहुँचे,उन्होंने पेड़ कटाई के दौरान तथा पूरे अरण्य क्षेत्र में खदान खुलवाने को लेकर प्रशासन की भूमिका पर कहा कि आम जनों के टैक्स से वेतन पाने वाले सरकारी कर्मचारी और अधिकारी यह समझ लें कि क़ानून सबके लिए है। यदि वह नियम क़ायदों की परवाह नहीं करेंगे तो ग्रामीण भी नियम तोड़ने पर मजबूर हो जाएँगे। ताक़त के बल पर आंदोलन को दबाने का परिणाम विद्रोह के रुप में सामने आएगा। श्री सिंहदेव ने ग्रामीणों को भी बेहद स्पष्ट समझाईश दी है कि, किसी सूरत आंदोलन को हिंसक रुप ना लेने दें। सिंहदेव ने ग्रामीणों से कहा है अगर आप एक राय हैं कि खदान नहीं खुलना है तो दुनिया की कोई ताक़त उनकी ज़मीन नहीं ले सकती है। आप लोग एक हैं या 70 फ़ीसदी से उपर एक हैं इसे समझने के लिए गुप्त मतदान करा लेते हैं। जो आपका निर्णय होगा मैं उसके साथ हूँ।लेकिन आप लोगों का आंदोलन हिंसक नहीं होना चाहिए, हिंसक आंदोलन को उनका समर्थन नहीं मिलेगा।