मैं हूँ कौन, डॉन हुआ सवार
अरे दीवानो मुझे पहचानो मैं हूं कौन… मैं हूँ कौन..का गाना नदी उस पार के एक नेता जी पर हिट हो रहा है। दरअसल वाकया पाली महोत्सव का है। दो दिनों तक चले उत्सव को सफल बनाने और अपना नंबर बढ़ाने जिला प्रशासन की टीम दिन रात एक कर दिया। लेकिन, एक छोटी सी चूक ने रंग में भंग डाल दिया।
हुआ यूं कि हरदी से प्रेम करने वाले विधायक जी कार्यक्रम स्थल पर लगे वीआईपी भोजन के स्टॉल पहुंचे तो स्टॉल प्रभारी ने माननीय से टोकन मांगने की नजाकत कर दी। फिर क्या माननीय ने आव देखा न ताव और निरीह राजस्व के आरआई पर सारा गुस्सा उतार दिया।
इस घटनाक्रम की जानकारी जब महोत्सव में जुटे खास लोगों को हुई तो उनके भी हाथ पांव फूलने लगे। आखिर विधायक जी शादी में फूफा वाले रोल में जो थे उनके बिना कार्यक्रम सफल भी नहीं हो सकता। लिहाजा प्रशासनिक अमले ने एक के बाद एक माननीय को मनाने करतब दिखाने लगे। इसके बाद भी विधायक जी टोकन मांगने वाली बात को दिल से लगा बैठे।
विधायक जी का गुस्सा थोड़ा ठंडा पड़ा तो उन्हें फिर मनाने का प्रयास किया गया और गलती करने वाले आरआई से माफी मंगवाई गई। तब जाकर माननीय का गुस्सा शांत हुआ और जिले के आला अफसरों ने राहत की सांस ली। तब से विधायक के करीबीयो पर डॉन सवार हो गया है और वो अरे दीवानों मुझे पहचानो मैं हूं कौन… मैं हूँ कौन.. गुनगुना रहे हैं..!
काम करने तरीका बदला है तेवर नहीं..
वन्स अपॉन ए टाईम इन मुम्बई फ़िल्म का ये डायलॉग “मैंने काम करने का तरीका बदला है तेवर नहीं” जिले के नए कप्तान साहब पर सटीक बैठता है। पहले जब वे बतौर एडिशनल रहे तो उनका काम करने का तरीका अलग था और अब जब कप्तानी पारी खेल रहे हैं तो सुलझे नजर आ रहे हैं।
अब वे काम करने का तरीका बदलकर बेसिक पुलिसिंग में धार लाने का प्रयास कर रहे हैं। वैसे तो खाकी की छवि को सुधारने का प्रयास दशकों से हो रहा है पर ऐसा हो नहीं रहा। पुलिस पर राजनेताओं की सरपरस्ती ने खाकी को कमजोर कर दिया है। इसके बाद भी कुछ स्वच्छ छवि के असफर बदलाव की मुहिम चला रहे हैं। इस मुहिम को धार देने का काम कोरबा कप्तान बखूबी कर रहे हैं। उन्होंने कोरबा की जनमानस को डिजिटल प्लेटफार्म से जोड़कर बड़ी राहत दी है।
दरअसल थाने में शिकायत करने जाने वाले लोगों के मन मे कई दुविधा रहती है। मन मे डर रहता है कहीं पूछताछ के नाम से लेने के देने तो नहीं पड़ जाए। इन तमाम सवालों का हल करते हुए कोरबा पुलिस के नाम से वेबसाइट लांच कर एक क्लिक पर शिकायत का अवसर आम लोगों को दिया है।
स्मार्ट पुलिसिंग को आगे ले जाते हुए शहर के हर चौक चौराहों में लगे तीसरी आंख को दुरुस्त कर डिजिटाइजेशन को प्राथमिकता देते हुए एक कंट्रोल रूम से शहर को सुरक्षित रखने का बीड़ा उठाया गया है। मतलब ओवर ऑल पूरी तरह से साहब ने काम करने का तरीका बदला है लेकिन तेवर नहीं…!
जंगल के रक्षक..तक्षक.. सिक्कों की खनक या बम की धमक
जंगल के जांबाज यानी वन रक्षकों को अब कुछ खास करने की सीख दी जा रही है। दरसअल पिछले दिनों कटघोरा और कोरबा डिवीजन में हुए देशी बम विस्फ़ोट के बाद वन विभाग कुम्भकर्णी नींद से एका एक जागा है। अब मासूम की मौत के बाद विभाग के आला अधिकारी जंगल पहुंचकर देशी बम निष्क्रिय करने का गुर वन रक्षकों को सीखा रहे हैं।
वैसे तो जंगल के तक्षक हर विधा में पारंगत माने जाते हैं। तक्षक यानी सर्प.. सर्प जो छत्तीसगढ़ की भूमि पर विचरण कर रहा हो तब भी हिमालय में आने वाले भूकंप को पहले ही भांप जाता है। लेकिन, यहां तो वे बिना बीई और बीटेक निर्माण कार्यों का मूल्यांकन कर डालते हैं। सांप पकड़ने की विधा सीखने के बाद भी सांप पकड़ने और वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए महकमे में कामगार रखे जाते हैं।
अब नए तकनीकी में शिकार के लिए जंगल में लगाए जा रहे बम डिस्पोजल करने की जहमत गले पड़ने से जी हलाकान है। लेकिन, क्या करें, बॉस का आदेश है तो सिर तो हिलाना पड़ेगा। लिहाजा हर विधा में पारंगत जंगल के जांबाज सिर्फ एक ही विधा पर फोकस करते हैं और वो है अपना सपना मनी मनी…! ये सिक्कों की खनक को तक्षक की ही भांति तत्काल प्रभाव से भांप जाते हैं।
मनी के लिए जंगलों की कटाई से लेकर खनिज संपदा की अवैध खुदाई भी जंगल के जांबाज करवा रहे हैं। अब संशय तो इस बात को लेकर है के सिक्कों की खनक में बहरे हो चुके कान क्या बम की धमक पर ध्यान दे पाएंगे–?
रामायण के खरदूषण पर महाभारत
रविवार को रायपुर में हुए कांग्रेस के महा अधिवेशन का शानदार समापन हो गया, मगर इसके साथ सीएम के ट्वीट पर सूबे की सियासत में जुबानी जंग शुरु हो गई।
इसकी शुरुआत सीएम भूपेश बघेल की एक ट्वीट से हुई, जिसमें बघेल ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, मैंने उनको विनम्रता से बताया था कि महाधिवेशन एक मंथन महायज्ञ है, इसमें खरदूषण की तरह विघ्न मत डालिए, वो नहीं माने। हमारा हौसला कम नहीं हुआ, परिणाम सामने है।
ट्वीट में यह भी कहा गया कि कांग्रेस का 85वां महाधिवेशन इतिहास में दर्ज हो गया। अब लड़ेगे जीतेंगे। आगे उन्होंने यह भी कहा कि, मैं लड़ो और जीतो का संकल्प ले रहा हूं। यानि अधिवेशन के खत्म होने के साथ बघेल ने अपनी तरफ से बीजेपी को चुनौती देते हुए मिशन 2023 की शुरुआत कर दी। अब जवाब देने की पारी भाजपा की है यानि रामायण के बाद अब महाभारत होना तय है।
”धानवान” और सियान
कांग्रेस अधिवेशन के आखिरी दिन कृषि व किसानों के संबंध में प्रस्ताव पारित किए गए। जो प्रस्ताव पारित हुए हैं उससे छत्तीसगढ़ के किसान ”धानवान” हो जाएंगे। लेकिन इसके लिए उन्हें अगले सीजन तक इंतजार करना होगा, यानि किसान ”धानवान” तभी हो पाएंगे जब अगले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की दूसरी पारी शुरु होगी।
दरअसल इस अधिवेशन में कांग्रेस में छत्तीसगढ़ मॉडल की जमकर चर्चा रही। पार्टी छत्तीसगढ़ मॉडल को पूरे देश में लागू करेगी। इसी मंच में भूपेश बघेल ने ऐलान कर दिया कि इस साल किसानों ने जो धान बेचा, उसका समर्थन मूल्य 2640 रुपए मिला. वहीं अगले साल 2800 रुपए मिलेगा। किसान समझदार हैं वो सीएम के इशारे को तो समझ ही गए होंगे। अब वो ”धानवान” होना चाहते या नहीं इसका जवाब साल की आखिर तक मिल जाएगा। वैसे कका भी किसान हैं और किसान भी सियाने हैं।