ऊदबिलाव पानी में सोते समय क्यों पकड़ते हैं फीमेल पार्टनर का हाथ? कोरबा की अनोखी बायोडायवर्सिटी में इनमें से तीन प्रजातियों का घर

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0 मां से तैरना और शिकार पकड़ना सीख महज तीन माह की उम्र से ही जिंदगीभर अकेले घूमते हैं ये अर्ध जलीय जीव

कोरबा। वैज्ञानिकोें का कहना है कि कोरबा की बायोडायवर्सिटी अनोखी है। यही वजह है जो यहां की हवा में खूबसूरत तितलियों की उड़ान से लेकर 1400 साल जड़ खड़े महासाल का निवास है। ओटर या ऊदबिलाव भी एक ऐसा ही जीव है, जिसकी एशिया में पांच व दुनियाभर में 13 प्रजातियां पाई गई हैं। इनमें से तीन ने कोरबा में भी अपना घर सजा रखा है। यह ऐसे जीव होते हैं, जो तीन माह में सर्वाइवल बन जाते हैं। मां के साथ तैरना, शिकार करना सीखते हैं और भी जिंदगी भर अकेले घूमने निकल जाते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) की रेड लिस्ट में शामिल ओटर के संरक्षण को प्रोत्साहित करने प्रतिवर्ष मई माह के अंतिम बुधवार को ऊदबिलाव संरक्षण दिवस मनाया जाता है। इसी क्रम में बुधवार को छतीसगढ़ विज्ञान सभा की कोरबा इकाई द्वारा भी यह दिवस मनाया गया। प्राणी विशेषज्ञों के अनुसार उद बिलावों को कुछ क्षेत्रों में उद नाम से भी पुकारा जाता है। यह एक मांसाहारी स्तनधारी, अर्ध जलीय व जलीय जीव है। इनका जीवन आसपास के जलीय पारिस्थितिकी पर निर्भर करता है। इनका भोजन मछली, मेंढक और अकशेरुकी जीव होते हैं। उद का बच्चा लगभग 3 माह के बाद जलीय पारिस्थितिकी में प्रवेश करने के लायक हो जाता है और अपनी मां के साथ तैरना सीखता है। उद की कुछ प्रजातियां समूह में रहते हैं और अन्य प्रजातियां एकल जीवन जीती है एकल जीवन जीने वाली प्रजातियों में केवल मेटिंग सीजन में नर और मादा संपर्क में आते हैं, उसके पश्चात मादा अकेले बच्चों का लालन-पालन करती है।

 

कोरबा में दिखे यूरेशियन, स्मूथ कोटेड व स्मॉल क्लॉड

छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा से राज्य संयुक्त सचिव निधि सिंह ने बताया कि जिले के जंगलों में देखे गए तीन प्रजाति के ऊदबिलावों में यूरेशियन, स्मूथ कोटेड व स्मॉल क्लॉड शामिल हैं। यूरेशियन ओटर उनके स्थान के नाम पर पड़ा। स्मूथ कोटेड की कवरिंग यानि बाल काफी मुलायम होते हैं, जिसके चलते उन्हें यह नाम मिला। इसी तरह स्मॉल क्लॉड के नाखून बहुत छोटे होते हैं। यह जीव भी सबसे रेयर प्रजातियों में शामिल हैं। स्तनधारियों में सबसे सघन बालों के आवरण वाला जीव उद है। किसी जलीय पारिस्थितिकी तंत्र में उद पाया जाना, उस परितंत्र के स्वस्थ होने का परिचायक होता है। उद एक जैवसूचक प्रजाति है।

 

रेत खनन से प्राकृतिक रहवास का तेजी से विघटन

 

विशेषज्ञों के अनुसार उद बिलाव की आबादी को मानवीय गतिविधियों से खतरा बढ़ता जा रहा है। खासकर रेत खनन से ऊदबिलाव के प्राकृतिक रहवास का तेजी से विघटन हो रहा है। जागरूकता की कमी के चलते जनसामान्य में इसकी पहचान को लेकर संदेह है। यह एक अपेक्स प्रेडेटर अर्थात उच्च कोटि का शिकारी है। जलीय पारिस्थितिकी तंत्र में अन्य जीवों की जनसंख्या नियंत्रण के लिए यह एक प्राकृतिक कारक है। अवैध शिकार, पालतू बनाना, व्यापार, पानी में बढ़ता हुआ प्रदूषण इस प्रजाति के अस्तित्व के लिए बहुत बड़ा खतरा है। किसी प्रजाति के विषय में ज्ञान होने पर ही उसके संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयास संभव होते हैं।

 

वर्ष 2021 में ऊद के बच्चे को रेस्क्यू, सर्प मितान-रुख मितान व चिरई मितान

छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा कोरबा इकाई के सचिव दिनेश कुमार, सह सचिव वेदव्रत उपाध्याय व आरसीआरएस समेत संस्था के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर जन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। दो वर्ष पूर्व कोरबा क्षेत्र में विज्ञान सभा के मार्गदर्शन में आरसीआरएस अध्यक्ष अविनाश यादव ने ऊद के एक बच्चे को रेस्क्यू किया था। इस विशेष प्रजाति व अन्य जीव जंतुओं के संरक्षण के लिए दोनों संस्थाएं प्रतिबद्ध रूप से समर्पित हैं। सभा द्वारा पिछले कई वर्षों से सर्प मितान रुख मितान और चिरई मितान कार्यक्रम किया जा रहा है। ऊदबिलाव के संरक्षण हेतु जनसामान्य में जन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जात रहा है। स्मूथ-कोटेड ओटर और एशियन स्मॉल-क्लॉड ओटर दोनों को आईयूसीएन रेड लिस्ट द्वारा सुमेदय प्रजाति अर्थात निकटतम भविष्य में इस प्रजाति के अस्तित्व को खतरा है के रूप में वर्गीकृत किया गया है।