Saturday, July 27, 2024
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कर्नाटक में ढाई-ढाई साल का फार्मूला..? विधायक दल की बैठक से पहले सिद्धारमैया और शिवकुमार के आवास के बाहर लगे भावी सीएम के पोस्टर

नई दिल्ली/बेंगलुरु। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में मिली शानदार जीत के बाद कांग्रेस पार्टी ने रविवार शाम अपने नए विधायकों की बैठक बुलाई है। सीएलपी की बैठक में विधायक दल के नेता के बारे में फैसला होने की संभावना है जो राज्य का नया मुख्यमंत्री बनेगा। लेकिन इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और केपीसीसी प्रमुख डीके शिवकुमार के बीच सीएम पद को लेकर खींचतान तेज हो गई है।

कांग्रेस सूत्रों की माने तो, मध्य प्रदेश, पंजाब और अब राजस्थान में दो कद्दावर नेताओं की लड़ाई से सीख लेते हुए पार्टी दोनों नेताओं के बीच पांच साल के साझा कार्यकाल के लिए समझौता कराने की कोशिश कर रही है। इस बात की संभावना है कि दोनों को ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री बनाने के फॉर्मूले पर विचार कर सकती है।

नतीजों के रूझान आते ही शुरु हो गई दावेदारी
शनिवार जब चुनाव नतीजे सामने आ रहे थे और कांग्रेस जीत की तरफ बढ़ रही थी, तभी सिद्धारमैया के बेटे ने अपने पिता को सीएम बनाने की मांग कर दी। राज्य में व्यापक जनाधार वाले सिद्धारमैया को सीएम पद के लिए प्रबल दावेदारों में गिना जा रहा है। वह इसके पहले 2013 से 2018 तक राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। एक बार फिर पूर्ण बहुमत मिलने के बाद सिद्धारमैया के समर्थक उनके सीएम बनने की उम्मीद लगाए हुए हैं।

इसके तुरंत बाद डीके शिवकुमार ने यह जताने में कोई देरी नहीं की कि इस प्रचंड जीत में उनकी क्या भूमिका है। सीएम के लिए अपनी दावेदारी करते हुए शिवकुमार ने कहा, पार्टी कैडर ने कड़ी मेहनत की है और यह सामूहिक नेतृत्व का परिणाम है। मैं सिद्धारमैया सहित सभी नेताओं को धन्यवाद देता हूं। मैंने कांग्रेस नेतृत्व से वादा किया था कि कर्नाटक आपकी झोली में दूंगा। और अपना वादा पूरा किया।

केपीसीसी प्रमुख ने यह भी दावा किया कि उन्होंने कांग्रेस के लिए काफी त्याग किया है। ईडी द्वारा 2019 में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में अपनी गिरफ्तारी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “मैंने हाथ मिलाने के बजाय जेल में रहना चुना। शिवकुमार का सीएम पद की दावेदारी आने से विधायक दल की बैठक के पहले उनके बेंगलुरु स्थित घर के बाहर उनके समर्थकों ने पोस्टर लगाया है। इसमें शिवकुमार को राज्य का सीएम घोषित करने की मांग की गई है।

बता दें कि कर्नाटक कांग्रेस में भी दो पावर सेंटर है। एक सिद्धारमैया जो बोक्कालिगा जाति से आते हैं। दूसरे प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार। इन दोनों नेताओं के बीच मनमुटाव की खबरें भी आम है। लेकिन कांग्रेस यहां संभलकर चलना चाहती है। इस बात की संभावना है कि दोनों नेताओं के बीच सत्ता साझा करने के बारे में विचार कर सकती है।

वर्चस्व की लड़ाई में मध्य प्रदेश और पंजाब में सत्ता गंवा चुकी है कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी में हाल ही में दो नेताओं के बीच वर्चस्व की लड़ाई में दो राज्यों में सत्ता गंवानी पड़ गई है। मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ की लड़ाई ने पार्टी को सत्ता से बेदखल कर दिया।

वर्चस्व की यही लड़ाई पंजाब में भी दिखी। कांग्रेस ने पहले यहां अपने दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को नजरअंदाज किया। इसके बाद चरणजीत सिंह चन्नी और नवजोत सिंह सिद्धू की लड़ाई का भी कांग्रेस को खासा नुकसान हुआ।

राजस्थान में संकट जारी

कांग्रेस के लिए राजस्थान में संकट अभी भी जारी है। यहां सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की आपसी टकराहट समय-समय पर सामने आती रहती है। कई मौकों पर दोनों नेताओं के बीच तल्खी देखने को मिली है। दोनों एक दूसरे का खुलकर विरोध करते रहते हैं। कांग्रेस पार्टी इस समस्या का समाधान ढूंढने में अभी तक कामयाब नहीं हो सकी है। कुछ ऐसे ही हालात छत्तीसगढ़ में भी बने हैं जहां इसी साल चुनाव होने हैं।

 

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