नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आर्य समाज की ओर से जारी किए जाने वाले शादियों के प्रमाण पत्रों को (Arya Samaj marriage certificate invalid) अवैध करार दिया है। अदालत ने शुक्रवार को प्रेम विवाद से जुड़े एक केस की सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया।
जस्टिस अजय रस्तोगी और बीवी नागारत्ना की बेंच ने कहा कि आर्य समाज का काम और उसका अधिकार क्षेत्र शादियों के सर्टिफिकेट जारी करना नहीं है। अदालत ने कहा कि यह काम कोई सक्षम प्राधिकारी ही कर सकता है। मध्य प्रदेश में हुए एक प्रेम विवाह के मामले में सुनवाई करते हुए अदालत ने यह टिप्पणी की।
0.जानें पूरा मामला
इस मामले में लड़की के परिवार ने पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई थी और एक शख्स पर आरोप लगाया था कि उसने उनकी बेटी को किडनैप किया और उसका रेप किया है। उन्होंने अपनी शिकायत में बेटी को नाबालिग बताया था। इस मामले में पॉक्सो ऐक्ट के तहत केस दर्ज हुआ था।
इस पर युवक ने अर्जी दाखिल कर दावा किया था कि उसके साथ आई लड़की बालिग है और दोनों ने शादी कर ली है। शख्स का कहना था कि क्योंकि हम दोनों ही बालिग हैं। इसलिए हमारे पास शादी करने का अधिकार है। उसका कहना था कि हम दोनों आर्य समाज मंदिर में शादी कर ली है।
0.मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के फैसले को पलटा
युवक ने अपने दावे के पक्ष में वह मैरिज सर्टिफिकेट भी दिखाया था, जिसे आर्य समाज की संस्था सेंट्रल भारतीय आर्य प्रतिनिधि सभा ने जारी किया था। इस प्रमाण पत्र को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है और आर्य समाज की ओर से शादियों का सर्टिफिकेट जारी किए जाने पर ही सवाल उठाए हैं।
दरअसल मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने इस मामले में आर्य समाज के सर्टिफिकेट को खारिज नहीं किया था। हालांकि उसने आर्य समाज के संगठन को आदेश दिया था कि वह सर्टिफिकेट सर्टिफिकेट जारी करने की प्रक्रिया में स्पेशल मैरिज ऐक्ट, 1954 के सेक्शन 5, 6, 7 और 8 को भी शामिल कर लें।