कोरबा।शांत है मेहंदी लेकिन बाजार हैरत में है यह देखकर कि खरीदी के दिन, साल-दर-साल कम हो रहे हैं। मांग के कम होते दिन को देखकर अपेक्षाकृत रिटेल काउंटर ने सीमित खरीदी की थी। नुकसान से बचने की यह कवायद कितनी सफल रही ? यह तीज पर्व के गुजरने के बाद ही जाना जा सकेगा।
महामारी के बाद सामान्य हो चली कारोबारी गतिविधियां राहत बन रहीं हैं। त्यौहार और पर्व के दिनों में होने वाली खरीदी भले ही महंगी पड़ रही हो लेकिन तीज पर्व पर डिमांड में रहने वाली मेहंदी के लिए शायद अच्छे दिन नहीं आए क्योंकि मांग के दिन और मांग की मात्रा में जबरदस्त गिरावट आ चुकी है। इधर मेहंदी कोन की उपलब्धता से खुले में मिलने वाले मेहंदी पाउडर की खपत महज 20 फ़ीसदी रह गई है।
सात नहीं, दो दिन
महामारी की शिकार, मेहंदी की मांग तीज के एक सप्ताह पूर्व निकला करती थी। अब ऐसा नहीं रहा। बाजार सूत्र बताते हैं कि मांग के दिनों में तीन दिन की कमी आ चुकी है। अब दो दिन ही मेहंदी की मांग रहती है। लिहाजा मांग के घटते दिन और मांग की कमजोर मात्रा ने सीजन के इस कारोबार को गहरा नुकसान पहुंचाया है।
पाउडर की जगह कोन
पाउडर की उपलब्धता तो है लेकिन इसमें घरेलू मांग नहीं है। इसकी होलसेल खरीदी, मेहंदी कोन बनाने वाली इकाइयां और लघु उद्यमी ही कर रहे हैं। इसलिए पाउडर कीमत में कहीं कोई वृद्धि नहीं है। इसी तरह मेहंदी कोन, रिटेल में 10 रुपए और होलसेल में 5 रुपए प्रति कोन की दर पर खरीदे जा सकते हैं।
इनका है हाल ऐसा
क्लॉथ मार्केट, सुपर बाजार और शॉपिंग मॉल। यह कुछ ऐसी जगह हैं जहां मेहंदी आर्टिस्टों की दुकानें होतीं हैं। बेहद छोटा सा यह क्षेत्र, इंतजार में है लेकिन स्थितियां विपरीत बनी हुई हैं। इसलिए मेहंदी लगाने की कीमत 150 से 1500 रुपए पर स्थिर है। अलबत्ता शादियों के लिए आर्डर बेहद ऊंचे में लिए जा रहे हैं।