”कोरबा” के दिल में का ”बा”..लखन स्थापित करेंगे शहर में भाजपा की प्रतिष्ठा या “जय” की होगी विजय…

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कोरबा। लघु भारत के नाम से प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ के कोरबा विधानसभा क्षेत्र में विधानसभा चुनाव से पहले चुनावी पारा गरमा गया है। जिले की हाई प्रोफाइल सीट पर कोरबा के विधायक ज​यसिंह अग्रवाल वर्तमान में भूपेश सरकार में राजस्व मंत्री हैं।

2008 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश में पूर्व सीएम रमन सिंह की लोकप्रियता के बाद भी भाजपा को पिछले 3 चुनावों में इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा था। वहीं कांग्रेस का प्रयास है कि चौथी बार फिर इस सीट पर जीत दर्ज कर सके। लेकिन इस बार जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है तो स्थानीय विधायक से जनता की अपेक्षाएं भी बढ़ गई है।

वर्ष के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में इस बार मंत्री जयसिंह अग्रवाल को विपक्ष के साथ अपनों की चुनौतियों से भी जूझना होगा।

यही हाल भाजपा प्रत्याशी लखन देवांगन का है कटघोरा से चुनाव हारने के बाद पार्टी में सक्रिय तो रहे लेकिन जनता के बीच उनकी पकड़ कमजोर हो गई। वे कटघोरा से ही चुनाव लड़ने का सपना संजो कर रखे थे लेकिन पार्टी ने उन्हें कोरबा विधानसभा सीट से टिकट देकर सब को चौंका दिया। शीर्ष नेतृत्व के आदेश को सर आंखों पर मानते हुए चुनाव रण में तो लखन कूद गए लेकिन पार्टी के दबंग नेताओ का साथ नही मिल रहा है।

स्पष्ट बात है जैसी करनी वैसी भरनी..पिछले चुनाव में जो हुआ वो सबको याद है। विधानसभा अध्यक्ष ने तो भरे मंच पर भाजपा के तीन दिग्गज नेताओं को अमर अकबर एंथोनी का उपमा देते हुए तंज कसा था। मतलब साफ है जब आप पार्टी में रहकर दुसरो को जिताने का काम करते है तो आपको भी हराने…!

शहर की सियासी पिच पर खेलने वालों नेताओ को परखने पर साफ दर्शाता है कि मैच फिक्स है और इस बार भी पार्टी को छोड़ सामाजिक भावना विजयश्री दिलाएगी।

 

 

इन मुद्दों पर जनता मांग रही जवाब

स्वास्थ्य

मेडिकल कॉलेज खुलने के बाद भी स्वास्थ्य सुविधा बेहाल है। बेहतर उपचार की सुविधा न होने से प्राइवेट डॉक्टरों के हॉस्पिटल में इलाज कराना और लूट जाना आमजनमानस की विवशता है।

 

शिक्षा

 

उर्जाधानी में उच्च शिक्षा तो छोड़िए बेसिक शिक्षा की स्थिति निम्न स्तर पर है। ये बात अलग है शिक्षा के क्षेत्र में प्राइवेट स्कूलों का दबदबा है। हालांकि सरकार ने सरकारी इंग्लिश मीडियम आत्मानन्द स्कूल संचालित कर थोड़ी सी सुविधा दी है लेकिन वो भी पर्याप्त नहीं है।

बिजली

 

पॉवर हब के नाम से मशहूर कोरबा वैसे तो पूरे देश में पॉवर सप्लाई कर दूसरे राज्यों को भी उजाला देता है लेकिन दिया तले अंधेरा वाली स्थिति जिलेवासियों के साथ है। लगातार दिन में कई बार होने वाले पॉवर कट से जनता परेशान है।हालांकि नेताओ के लिए बिजली कट कोई बड़ी बात नही है लेकिन चुनावी रण में यह भी एक बड़ा प्रश्न है।

 

नगर निगम

नगर निगम में सत्ता पक्ष के महापौर और अधिकारी जादू की सरकार चला रहे है। कोरबा विधानसभा में 67 वार्ड आते हैं और वार्डों में समस्याओं को लेकर आक्रोश है।

नल है तो कई वार्डों में पानी नही आता, फाइलों के ढेर पर अधिकांश काम फाइलों में ही निपट जा रहा है सफाई व्यवस्था धूल चाट रही है। अधिकारी नही है और अधिकारी है तो फंड नही है। इन सारे बिंदुओं पर निगम सरकार सत्ता पक्ष के भावी प्रत्यशियों की मुसीबत बढ़ाने के लिए काफी है।