कोरबा : जितने नेता उतने गुट.. गुटबाजी फिर डूबा न दे कमल की नांव?..

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कोरबा। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद पहली बार भाजपा ने तीन महीने पहले प्रत्याशी घोषित किया था, जिसमें कोरबा विधानसभा से पूर्व महापौर व पूर्व विधायक लखन लाल देवांगन को प्रत्याशी बनाया है। प्रत्याशी घोषित होने के बाद से ही पार्टी के अंदर गुटबाजी का दौर शुरू हो गया था। जिसका नुकसान विधानसभा चुनाव प्रचार में देखने को मिल रहा है। भाजपा लीडर कभी कभार साथ तो दिखते है लेकिन साथ दे नही रहे।

कैडर बेस वाले भाजपा में संगठन, अनुशासन, समर्पित कार्यकर्ताओं की बड़ी फौज है मगर, उससे ऊपर व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा पार्टी पर भारी पड़ रही है। कोरबा का स्थिति यह है कि जितने नेता उतने गुट। ऐसे में कार्यकर्ता सोच में पड़ गए है कि वह आखिर क्या करें? वैसे भी रिकार्ड रहा है कि पिछले तीन चुनाव मे कांग्रेस ने नहीं भाजपाइयों ने कोरबा विधानसभा में कमल खिलने नहीं दिया। सो इस बार भी पुरानी इतिहास दोहराने की जन चर्चा में जोर शोर से है।

वर्तमान विधानसभा चुनाव में केंद्रीय अनुशासन का चाबुक तो चला मगर उसका प्रभाव कितना पड़ा? बिकाऊ नेताओं के भरोसे चुनाव जीतने का प्रयास बेजीपी को भार पड़ रहा है।

भाजपा प्रत्याशी को अपने बदनाम काकस से छुटकारा पाना होगा। बदनाम छवि पार्टी की लुटिया डुबाने में काफी है। कल तक दूर भागने वाले चेहरे अब खास बनकर जयचंद की भूमिका निभा रहे है। इन दिनो प्रत्याशी से ज्यादा चर्चा पार्षद की है जिनकी रणनीति उलट पड़ती दिख रही है।