- The Duniyadari : रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित आबकारी घोटाले में गिरफ्तार पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल ने अपनी गिरफ्तारी और ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने अदालत में दायर याचिका में कहा है कि उनकी गिरफ्तारी कानूनी प्रक्रिया और संवैधानिक अधिकारों के विरुद्ध की गई है।
चैतन्य बघेल का कहना है कि ईडी ने गिरफ्तारी के दौरान PMLA (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) के नियमों का पालन नहीं किया और बिना ठोस सबूतों के उन्हें हिरासत में लिया गया। उन्होंने यह भी मांग की है कि अदालत PMLA के कुछ प्रावधानों की संवैधानिक वैधता पर भी विचार करे, क्योंकि यह नागरिकों के अनुच्छेद 14 और 21 में दिए गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं।
ज्ञात हो कि ईडी ने उन्हें राज्य के आबकारी घोटाले के मामले में गिरफ्तार किया था, जिसमें शराब वितरण प्रणाली में कथित अनियमितताओं और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगे हैं। एजेंसी का दावा है कि इस घोटाले में करोड़ों रुपये का अवैध लेनदेन हुआ, जिसमें कारोबारी, अधिकारी और राजनीतिक हस्तियां शामिल हैं।
इससे पहले उनकी जमानत याचिका को रायपुर की विशेष अदालत और फिर बिलासपुर हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था, जिसके बाद अब उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की है।
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर कोई महत्वपूर्ण टिप्पणी करता है, तो उसका असर न केवल इस मामले पर बल्कि देशभर में ईडी की जांच प्रक्रिया पर भी पड़ सकता है।
राजनीतिक तौर पर भी मामला गरम है—कांग्रेस ने इसे राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया है, जबकि भाजपा का कहना है कि “कानून के दायरे में सबको जवाब देना होगा।”
अब नजरें इस बात पर टिकी हैं कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई में क्या रुख अपनाता है, क्योंकि यह फैसला छत्तीसगढ़ की राजनीति के साथ-साथ देश की न्यायिक प्रक्रिया के लिए भी मील का पत्थर साबित हो सकता है।














