छत्तीसगढ़–ओडिशा बॉर्डर पर धान तस्करी पर कड़ा शिकंजा, 28 वाहन और 1370 क्विंटल धान जब्त

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The Duniyadari : गरियाबंद। छत्तीसगढ़–ओडिशा सीमा पर धान तस्करी रोकने चल रहा अभियान लगातार असर दिखा रहा है। पिछले एक महीने में पुलिस और राजस्व अमले की संयुक्त कार्रवाई ने तस्करों को बड़ी चोट पहुंचाई है। सीमा का फायदा उठाकर धान को एक राज्य से दूसरे राज्य में पहुंचाने की कोशिश की जा रही थी, लेकिन लगातार निगरानी और त्वरित कार्रवाई ने पूरे नेटवर्क को हिलाकर रख दिया है।

सीमा से लगे जामलीपारा में डंपिंग का भंडाफोड़

मगररोडा चेकपोस्ट से कुछ ही दूरी पर ओडिशा के जामलीपारा इलाके में ट्रक से धान उतारकर पिकअप वाहनों में लोड करने की तैयारी हो रही थी। देवभोग पुलिस को सूचना मिली तो टीम मौके पर पहुंची, लेकिन ट्रक चालक धान फेंककर फरार हो गया।

थाना प्रभारी फैजुल शाह हुदा ने बताया कि वहां मौजूद किसी भी व्यक्ति ने इस धान पर अपना मालिकाना हक नहीं बताया। इसके बाद चंदाहांडी थाने और स्थानीय खाद्य विभाग को सूचना दी गई। संयुक्त कार्रवाई में पुलिस ने 25 वाहन जबकि राजस्व अमले ने 6 वाहन जब्त किए।

इस कार्रवाई से तस्करों की सीमापार डंपिंग रणनीति लगभग ध्वस्त हो गई है। अमलीपदर में भी रातभर चली कार्रवाई, बिचौलियों में हड़कंप

अमलीपदर थाना क्षेत्र में बीती रात तीन अलग-अलग मामलों में बड़े पैमाने पर धान बरामद हुआ।

थाना प्रभारी दिलीप मेश्राम ने बताया कि टीम को दो ट्रैक्टर और एक मेटाडोर से ओडिशा की ओर से धान आने की जानकारी मिली। वाहन चालक सीमा पर पकड़े जाने के डर से भागने का प्रयास करते रहे, लेकिन पुलिस ने उन्हें घेराबंदी कर रोक लिया।

कार्रवाई में 314 पैकेट धान जब्त हुए—

  • दो ट्रैक्टर से 110–110 पैकेट
  • शेष मात्रा मेटाडोर से बरामद

एक महीने में अब तक की बड़ी जब्ती

  • देवभोग पुलिस: 17 वाहन + डंप = 670 क्विंटल धान
  • राजस्व अमला: 6 वाहन = 200 क्विंटल धान
  • अमलीपदर पुलिस: 8 वाहन = 500 क्विंटल धान

➡ कुल : 28 वाहन और 1370 क्विंटल धान जब्त

जितना धान जब्त हुआ है, उसकी कीमत के अनुरूप सरकार को लगभग 45 लाख रुपए का नुकसान होने से बच गया।

कार्रवाई का असर : खरीदी में भारी गिरावट

देवभोग ब्लॉक के 12 केंद्रों में इस सीजन में केवल 8 हजार क्विंटल धान की खरीदी हुई है, जबकि पिछले वर्ष यह आंकड़ा 16 हजार क्विंटल से ऊपर था।

सीमा पर लगातार वाहन जब्ती के कारण इस बार कोचियों, सप्लायरों और बिचौलियों की पूरी चेन अस्त-व्यस्त हो गई है। प्रशासन इसी प्रकार दबाव बनाए रखता है तो बोगस खरीदी से होने वाला करोड़ों का नुकसान इस साल रुक सकता है।

ओडिशा से धान आने के दो प्रमुख कारण

1. स्थानीय उत्पादन जरूरत से कम

देवभोग और अमलीपदर क्षेत्र में प्रति एकड़ औसत उत्पादन 10–12 क्विंटल है, जबकि समर्थन मूल्य के तहत 21 क्विंटल प्रति एकड़ खरीदी की अनुमति रहती है।

उत्पादन और खरीदी के बीच इस अंतर को भरने के लिए कई किसान वर्षों से ओडिशा का धान लाकर बेचते रहे हैं।

2. ओडिशा की धान खरीदी नीति में अनिश्चितता

कुछ वर्ष पहले तक ओडिशा में धान ₹2300 प्रति क्विंटल खरीद में लिया जा रहा था।

2024 से बोनस जोड़कर यह दर ₹3100 कर दी गई, लेकिन खरीदी की पूरी प्रक्रिया मिलर्स पर निर्भर होने से किसान परेशान हैं।

इस वर्ष 28 नवंबर से समर्थन मूल्य खरीदी तो शुरू हुई, लेकिन मिलरों से अनुबंध न बनने के कारण खरीदी रुकी पड़ी है।

इसी स्थिति का फायदा उठाकर बिचौलिए किसानों के घर-घर पहुंच रहे —

  • ₹2000 में धान खरीदते हैं
  • सीमावर्ती क्षेत्रों के कुछ किसान इसे ₹2300–₹2500 में उठाने को तैयार रहते हैं।