छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले की जांच ने पकड़ी रफ्तार – विशेष अदालत ने 28 आबकारी अधिकारियों के खिलाफ जारी किए वारंट

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The Duniyadari :छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित शराब घोटाले की जांच के तहत एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। रायपुर स्थित विशेष न्यायालय ने मंगलवार को आबकारी विभाग के 28 अधिकारियों के विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट जारी किए हैं। यह कार्रवाई उस समय की गई जब पूर्व निर्धारित तिथि पर अदालत में उपस्थित होने के लिए बुलाए गए अधिकारी पेश नहीं हुए।

उल्लेखनीय है कि इस घोटाले में कुल 29 अधिकारियों को आरोपित किया गया है, जिनमें से एक अधिकारी का निधन हो चुका है। शेष 28 अधिकारियों को अदालत में उपस्थित होना था, लेकिन एक भी अधिकारी पेश नहीं हुआ, जिसके परिणामस्वरूप न्यायालय ने सभी के खिलाफ वारंट जारी करने का आदेश दिया।

अग्रिम जमानत याचिका पहले ही खारिज

इससे पूर्व छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने इन 28 अधिकारियों की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया था। इस फैसले के बाद यह स्पष्ट हो गया था कि इन अधिकारियों पर कानूनी शिकंजा और अधिक कसने वाला है। अदालत में अनुपस्थिति के चलते अब उनकी गिरफ्तारी की संभावना प्रबल हो गई है।

आरोपी अधिकारियों में वरिष्ठ पदाधिकारी शामिल

राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) की जांच में आरोपित अधिकारियों में उपायुक्त, सहायक आयुक्त तथा जिला आबकारी अधिकारी शामिल हैं। इनमें प्रमुख नाम हैं:

  • जनार्दन कौरव (सहायक जिला आबकारी अधिकारी)
  • अनिमेष नेताम, विजय सेन शर्मा, अरविंद कुमार पाटले (उपायुक्त आबकारी)
  • प्रमोद कुमार नेताम, रामकृष्ण मिश्रा, सौरभ बख्शी (सहायक आयुक्त आबकारी)
  • मोहित कुमार जायसवाल (जिला आबकारी अधिकारी)
  • नितू नोतानी ठाकुर, नोहर सिंह ठाकुर (उपायुक्त आबकारी)
  • इसके अतिरिक्त जे.आर. मंडावी, जी.एस. नुरुटी, ए.के. सिंह सहित कई सेवानिवृत्त अधिकारी भी सूची में शामिल हैं।

क्या है ‘समानांतर अवैध शराब आपूर्ति तंत्र’?

जांच एजेंसी के अनुसार, यह घोटाला वर्ष 2019 से 2023 के बीच संचालित हुआ। इसमें आबकारी विभाग के अधिकारियों द्वारा शासकीय शराब दुकानों के समानांतर एक अवैध आपूर्ति तंत्र तैयार किया गया था। इस प्रणाली के तहत डिस्टलरियों से कर मुक्त (ड्यूटी फ्री) शराब अतिरिक्त रूप से भेजी जाती थी, जिसे वैध शराब में मिलाकर बेच दिया जाता था।

ईओडब्ल्यू ने इस पूरी प्रक्रिया को “गैर-लाइसेंसी शराब वितरण प्रणाली” का नाम दिया है, जो एक संगठित नेटवर्क के माध्यम से संचालित होती थी।

नेटवर्क की संरचना और पैमाना

जांच रिपोर्ट के अनुसार इस नेटवर्क में शामिल थे:

  • डिस्टलरी संचालक
  • ट्रांसपोर्ट एजेंसियां
  • शासकीय दुकान के सुपरवाइज़र और सेल्समैन
  • आबकारी विभाग के मंडल, जिला और वृत्त प्रभारी अधिकारी
  • मैनपावर सप्लाई एजेंसी के कर्मचारी

इन सभी की मिलीभगत से यह तंत्र वर्षों तक राज्य के 15 बड़े जिलों में संचालित होता रहा।

60 लाख पेटियों की अवैध बिक्री, 3200 करोड़ रुपये का अनुमानित घोटाला

अब तक की जांच में यह सामने आया है कि करीब 60,50,950 पेटियां अवैध रूप से बेची गईं। प्रारंभिक अनुमान के अनुसार यह घोटाला 2161 करोड़ रुपये का था, लेकिन नवीनतम आंकलन में इसकी राशि 3200 करोड़ रुपये से अधिक बताई गई है।

अब तक की कार्रवाई

इस प्रकरण में पहले ही कई प्रमुख नाम जेल भेजे जा चुके हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा
  • पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल
  • सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अनिल टूटेजा
  • व्यवसायी अनवर ढेबर

अब तक 70 से अधिक आरोपितों के नाम सामने आ चुके हैं, जिनमें 8 डिस्टलरी संचालक भी शामिल हैं।