छत्तीसगढ़ नान घोटाला: सुप्रीम कोर्ट पहुंची ईडी, दो IAS को पूछताछ के लिए रिमांड में लेने दायर की याचिका, 12 को सुनवाई, इन अफसरों पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार

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Chhattisgarh Nan scam: ED reaches Supreme Court, petition filed to take two IAS in remand for interrogation, hearing on 12, sword of arrest hanging on these officers

नई दिल्‍ली। छत्तीसगढ़ के नागरिक आपूर्ति निगम घोटाला मामले में आरोपी बनाए गए छत्‍तीसगढ़ के दो अफसरों की मुसीबत बढ़ सकती है।  इस मामले में ईडी ने सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल की है, जिसमें मामले को छत्तीसगढ़ से बाहर ट्रांसफर करने की भी मांग की है।

सुप्रीम कोर्ट 12 सितंबर को इस मामले में सुनवाई करेगा। मामला  छत्‍तीसगढ़ के बहुचर्चित नान घोटाला मामले में  आरोपी अफसरों डॉ. आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा की अग्रिम जमानत रद्द करने से जुड़ा है। अब ED घोटाले के दोनों आरोपियों डॉ. आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा को रिमांड पर लेकर पूछताछ करना चाहती है।

०-क्या है छत्तीसगढ़ का नान घोटाला, जिसमें करोड़ों रुपए बरामद किए गए थे

बता दें कि साल 2015 में राज्य में सार्वजनिक वितरण प्रणाली में 36,000 करोड़ रुपए का कथित घोटाला सामने आया था, इसके बाद छत्तीसगढ़ पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा यानी EOW और एंटी करप्शन ब्यूरो ने 12 फरवरी 2015 को नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों के 28 ठिकानों पर एक साथ छापा मारा था।

इस कार्रवाई में करोड़ों रुपए बरामद किए गए थे, इसके अलावा भ्रष्टाचार से संबंधित कई दस्तावेज, हार्ड डिस्क और डायरी जब्त हुई थी। इसी मामले में आरोपी बनाए गए लोगों में खाद्य विभाग के तत्कालीन सचिव डॉ. आलोक शुक्ला और नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंध संचालक अनिल टुटेजा भी हैं।

डॉ आलोक शुक्ला साल 2020 में रिटायर हो गए हैं लेकिन, राज्य सरकार ने उन्हें संविदा नियुक्ति दी है। आलोक शुक्ला वर्तमान में प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा, रोजगार मिशन के सीईओ के पद पर पदस्थ हैं। वहीं अनिल टुटेजा उद्योग विभाग के सचिव पद पर पदस्थ हैं।

०-2015 में दाखिल हुई थी चार्जशीट

EOW ने 15 जुलाई, 2015 को चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें नागरिक आपूर्ति निगम के तीन अफसरों गिरीश शर्मा, अरविंद ध्रुव और जीत राम यादव को मुख्य गवाह बनाया गया था। इन तीनों अफसरों ने अपने बयान में कहा था कि उन्हें घूस की रकम में हिस्सा मिलता था।

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद इन तीनों अफसरों को बतौर आरोपी सम्मन जारी करने के निर्देश दिए थे, हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि वर्षों से भ्रष्टाचार में संलिप्त व्यक्ति गवाह नहीं बन सकता। जबकि EOW ने अपनी जांच के दौरान यह कहा था कि वह किसे गवाह बनाए या अभियुक्त यह उसका अधिकार है।