देश के अगले उपराष्ट्रपति के लिए कई नामों की चर्चा हो रही है. आइए जानते हैं कि ये नाम कौन हैं और क्या है उनकी दावेदारी:

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The Duniyadari: जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद देश के दूसरे सबसे महत्वपूर्ण संवैधानिक पद के लिए नई दौड़ शुरू हो गई है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू(Drupati Murmu) ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें शुभकामनाएं दी हैं. अब असली राजनीतिक गतिविधियां आरंभ होती हैं. संविधान के अनुच्छेद 68 के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव छह महीने के भीतर, यानी सितंबर 2025 तक, अनिवार्य है.

चूंकि बिहार विधानसभा चुनाव भी इसी समयावधि में होने वाले हैं, इसलिए इस चुनाव को केवल संवैधानिक प्रक्रिया के रूप में नहीं, बल्कि चुनावी रणनीति के दृष्टिकोण से भी देखा जा रहा है. पिछले एक दशक में, बीजेपी सरकार ने प्रमुख संवैधानिक पदों की नियुक्तियों को आगामी चुनावों के संदर्भ में ही निर्धारित किया है, और यह अवसर भी इससे अलग नहीं प्रतीत होता.

लोकसभा और राज्यसभा के कुल 782 प्रभावी सदस्यों में से 394 वोटों की आवश्यकता होती है. वर्तमान में, बीजेपी के नेतृत्व वाला एनडीए लोकसभा में 293 और राज्यसभा में 129 सांसदों का समर्थन प्राप्त कर चुका है, जिससे यह स्पष्ट बहुमत में है. हालांकि, सहयोगी दलों जैसे जेडीयू, टीडीपी और शिवसेना का समर्थन बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि उनकी भूमिका निर्णायक साबित हो सकती है.

बिहार पर फोकस, कौन होंगे प्रमुख चेहरे?

बिहार विधानसभा चुनावों के संदर्भ में उपराष्ट्रपति पद के लिए हरिवंश नारायण सिंह का नाम सबसे प्रमुखता से उभर रहा है. वे वर्तमान में राज्यसभा के उपसभापति हैं और जेडीयू से जुड़े हुए हैं, साथ ही प्रधानमंत्री मोदी के करीबी सहयोगियों में माने जाते हैं. उनके पास राज्यसभा के संचालन का पर्याप्त अनुभव भी है. इसके अलावा, रामनाथ ठाकुर का नाम भी चर्चा में है, जो कर्पूरी ठाकुर के पुत्र हैं, लेकिन हाल ही में उनके पिता को भारत रत्न मिलने के कारण बीजेपी के लिए बार-बार उसी परिवार को आगे बढ़ाना मुश्किल हो सकता है. नीतीश कुमार का नाम भी सामने आया है, लेकिन उनकी स्वास्थ्य स्थिति और स्वभाव उपराष्ट्रपति की जिम्मेदारियों के लिए उपयुक्त नहीं माने जा रहे हैं.

क्या BJP किसी बड़े चेहरे को आगे बढ़ाएगी?

बीजेपी की आंतरिक राजनीति में जे.पी. नड्डा, निर्मला सीतारमण, नितिन गडकरी, मनोज सिन्हा और वसुंधरा राजे जैसे नेताओं की चर्चा हो रही है, लेकिन इनमें से कोई भी ऐसा नाम नहीं है जो सभी राजनीतिक समीकरणों को संतुलित कर सके. जे.पी. नड्डा का कार्यकाल मार्च 2025 में समाप्त हो रहा है, और उनकी अमित शाह और नरेंद्र मोदी के साथ निकटता उन्हें एक मजबूत दावेदार बनाती है. वहीं, मनोज सिन्हा का नाम भी तेजी से उभर रहा है, लेकिन जातिगत समीकरण उनके पक्ष में अनुकूल नहीं दिखाई देते.

विपक्ष के पास कम संख्या, लेकिन क्या होगा उनका दांव?

विपक्षी INDIA ब्लॉक के पास केवल 150 वोट हैं, जिससे उनकी संभावनाएं काफी सीमित हैं. इस बीच, कांग्रेस के भीतर असंतोष का सामना कर रहे शशि थरूर का नाम ‘सर्वमान्य उम्मीदवार’ के रूप में चर्चा में है. बीजेपी शायद चाहती है कि थरूर जैसे व्यक्तित्व को आगे लाकर कांग्रेस को आंतरिक रूप से कमजोर किया जाए. हालांकि, राजनीतिक विश्वसनीयता और पार्टी के नियंत्रण के दृष्टिकोण से यह संभावना बहुत कम नजर आती है.