रायपुर।छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के पहले चरण के 20 सीटों पर मंगलवार 7 नवंबर को दो अलग-अलग समय पर मतदान होगा। पहले चरण के 20 विधानसभा क्षेत्रों में कुल 223 उम्मीदवार चुनावी मैदान पर हैं, जिनमें 198 पुरूष तथा 25 महिला हैं।
पहले चरण के लिए 40 लाख 78 हजार 681 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। इनमें 19 लाख 93 हजार 937 पुरुष मतदाता, 20 लाख 84 हजार 675 महिला मतदाता तथा 69 तृतीय लिंग मतदाता शामिल हैं। पहले चरण के चुनाव के लिए कुल 5,304 मतदान केंद्र बनाए गए हैं।
नक्सल प्रभावित व संवेदनशील जिन मतदान केंद्रों में सुबह सात बजे से दोपहर तीन बजे तक मतदान होगा उनमें मोहला-मानपुर, अंतागढ़, भानुप्रतापपुर, कांकेर, केशकाल, कोंडागांव, नारायणपुर, दंतेवाड़ा, बीजापुर और कोंटा शामिल हैं। इसके अलावा पंडरिया, कवर्धा, खैरागढ़, डोंगरगढ़, राजनांदगांव, डोंगरगांव, खुज्जी, बस्तर, जगदलपुर और चित्रकोट में सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक मतदान होगा।
इनकी साख दांव
पहले चरण में 20 विधानसभा सीटों के लिए सात नवंबर को होने वाले मतदान में पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह समेत उनके कैबिनेट के पांच पूर्व मंत्रियों और भूपेश सरकार के तीन मंत्रियों व पीसीसी चीफ दीपक बैज की साख दांव पर है।
इन सीटों में करीबी मुकाबला
नारायणपुर
इस सीट पर चंदन कश्यप मौजूदा वर्तमान विधायक हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में चंदन कश्यप ने भाजपा प्रत्याशी और पूर्व मंत्री केदार कश्यप को महज 2647 मतों से हराया था। 2023 के विधानसभा चुनाव में भी इन दोनों के बीच कड़ी टक्कर होगी।
कोंडागांव
बस्तर संभाग कोंडागांव सीट वर्तमान मंत्री एवं पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम के पास है। मोहनलाल मरकाम यहां से 2013 और 2018 में जीत दर्ज कर चुके हैं। मरकाम ने भाजपा की पूर्व मंत्री लता उसेंडी को 1796 वोटों से मात दी थी। इस बार भी दोनों दिग्गज एक-दूसरे को चुनौती देंगे।
बीजापुर
बीजापुर में 2018 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी और पूर्व महेश गागड़ा व कांग्रेस उम्मीदवार विक्रम मंडावी आमने सामने थे। कांग्रेस की लहर में विक्रम मंडावी 21584 वोटों के भारी अंतर से चुनाव जीत गए। इस बार भी इन्हीं में मुकाबला है।
अंतागढ़
नक्सल प्रभावित आरक्षित अंतागढ़ विधानसभा सीट विधायक अनूप नाग के पास है। लेकिन इस बार कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर अनूप नाग ने निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। 2018 में अनूप नाग ने भाजपा के विक्रम उसेंडी को हराया था। भाजपा ने विक्रम उसेंडी को तो कांग्रेस ने रूप सिंह पोटाई को मैदान में उतारा है। ऐसे में यहां लड़ाई त्रिकोणीय हो सकती है।
दंतेवाड़ा
बस्तर संभाग की दंतेवाड़ा सीट से दिवंगत कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा के बेटे छविंद्र कर्मा पहली बार चुनावी मैदान में हैं। विधायक देवती कर्मा ने उनके लिए सीट छोड़ी है। भाजपा ने जिलाध्यक्ष चैतराम अटामी को टिकट दी है। मुख्य
कोंटा
सुकमा जिले का कोंटा विधानसभा सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। कांग्रेस राज्य गठन के बाद से यहां से भूपेश सरकार के मंत्री कवासी लखमा कोंटा से निर्वाचित हो रहे हैं। 2018 में लखमा ने भाजपा के धनीराम बरसे को हराया था। इस बार लखमा का मुकाबला भाजपा के सोयम मुका से है।
चित्रकोट
चित्रकोट सीट पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष व सांसद दीपक बैज के विरुद्ध भाजपा ने पूर्व जिला पंचायत सदस्य विनायक गोयल को मैदान में उतारा है। 2018 में दीपक बैज ने भाजपा के लच्छूराम कश्यप को मात दी थी।
केशकाल
कोंडागांव जिले केशकाल सीट से कांग्रेस से विधानसभा उपाध्यक्ष व दो बार के विधायक संतराम नेताम और भाजपा से भारतीय प्रशासनिक सेवा की नौकरी से त्यागपत्र देकर राजनीति में कदम रखने वाले नीलकंठ टेकाम प्रत्याशी हैं। यहां 2013 से लगातार कांग्रेस का कब्जा है।
राजनांदगांव
राजनांदगांव विधानसभा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का दबदबा रहा है। रमन सिंह यहां से छह बार विधायक रहे हैं। इन्होंने 2008 से तीन बार जीत हासिल की है। इस बार रमन सिंह का मुकाबला कांग्रेस के गिरीश देवांगन से होगा।
कवर्धा
छत्तीसगढ़ की कवर्धा विधानसभा सीट पर ओबीसी समुदाय साहू समाज का वर्चस्व रहा है। हालांकि इस सीट पर वर्तमान विधायक मो. अकबर हैं, जिन्होंने 2018 के चुनाव में प्रतिद्वंदी भाजपा के अशोक साहू को हराया था। इस बार भाजपा ने यहां प्रदेश महामंत्री व भाजयुमो के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष विजय शर्मा को टिकट दिया है।