• विश्व योग दिवस पर मिलिए देश व समाज को स्वस्थ्य भविष्य की ओर ले जाने के मिशन में •जुटे बिलासपुर रेंज के आईजी और योग गुरू रतनलाल डांगी से
• 49 वर्ष के तेज-तर्रार पुलिस अफसर के व्यायाम और योगाभ्यास देख आश्चर्यचकित रह जाते हैं युवा
• युवाओं के रोल मॉडल बन चुके आईजी ने ताइक्वांडो में हासिल किया ब्लैक बेल्ट, सोशल मीडिया में 64 हजार फॉलोवर्स
कोरबा. एक आई.पी.एस. की कठिन ड्यूटी और कड़क वर्दी की जिम्मेदारियों के बीच खुद को फिट कैसे रखें, यह सीखना हो तो आई.जी. रतनलाल डांगी से मिलें. 49 साल की आयु में भी जटिल शारीरिक अभ्यास और योग के विभिन्न आसनों से आश्चर्यचकित कर देने वाले आइ.जी. श्री डांगी युवाओं के रोल माडल बन चुके हैं. व्यस्ततम शेड्यूल के बीच भी कर्मभूमि हो या ट्वीटर-एफबी की आभासी दुनिया, लगातार एक्टिव रहने वाले श्री डांगी ने पिछले साल ही ताइक्वांडो में ब्लैक बेल्ट भी हासिल किया.
अब वे राष्ट्रसेवा और सेहतमंद शरीर के लिए नियमित योगाभ्यास करने प्रतिदिन युवाओं को प्रोत्साहित करते हैं. तन पर सजी खाकी में देशरक्षा का संकल्प के साथ ही मन में सेहतमंद युवा भारत के निर्माण का प्रकल्प लेकर चल रहे श्री डांगी एक ऐसे वर्दी वाले योगी हैं, जिनसे प्रेरित होकर सोशल मीडिया में ही अनुसरण करने वाले फॉलोवर्स संख्या 64 हजार के पार हो चुकी है.

विश्व योग दिवस पर युवाओं को प्रेरित करते हुए आई.जी. श्री डांगी ने बताया कि उन्होंने जिस क्षण तन पर खाकी वर्दी धारण की, एक शपथ भी ली थी कि सारा जीवन देश और समाज की रक्षा के लिए समर्पित कर देंगे. वर्ष 2003 बैच के आई.पी.एस. अफसर व बिलासपुर रेंज के आई.जी. रतनलाल डांगी के दिल में वह जज्बा आज भी देखा जा सकता है.

कड़ी मेहनत के बूते जहां उन्होंने एक प्रतिष्ठापूर्ण पद पर पहुंचे, इस खास जिम्मेदारी को जवाबदारी से निभाने उन्होंने खुद को चुस्त और दुरुस्त रखने की कला भी उसी समर्पण के साथ सीखी. कठिन ड्यूटी के बीच उन्होंने वर्जिश के साथ योगविद्या को भी जीवन में आत्मसात किया. अब जो उन्होंने सीखा है, उसे वे देश-समाज के हर युवा को सीखने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. वे प्रतिदिन अपने कठिन शारीरिक अभ्यास और योग-प्राणायाम के स्टेप्स की प्रैक्टिस करते फोटो-वीडियो सोशल मीडिया में फ्लैश करते हैं.

व्यायाम, योगाभ्यास के उनके अभ्यास को देख हजारों युवाओं ने अपने जीवन में उन्हें शामिल किया और स्वस्थ्य जीवनशैली धारण कर रहे हैं. मूलत: राजस्थान के नागौर जिले के रहने वाले श्री डांगी का प्रारंभिक जीवन बेहद संघर्ष भरा रहा. माता-पिता मजदूरी करते थे. मां का बस एक ही सपना था कि उन्हें बड़ा आदमी बनाना है. मां की इस इच्छा को बेटे ने अपना लक्ष्य बना लिया. दिन-रात पढ़ाई में जुट गए. किसी से सुना था कि देश की सबसे बड़ी परीक्षा यू.पी.एस.सी. होती है. बस ठान लिया था, उसे ही पास करना है. विज्ञान में स्रातक की डिग्री होने के बाद टीचर बन गए. 6 साल टीचिंग के बाद पहले सेल्सटैक्स इंस्पेक्टर फिर तहसीलदार की परीक्षा पास की. नौकरी करते हुए यू.पी.एस.सी. परीक्षा की तैयारी करते रहे और 2003 में वे आई.पी.एस. के लिए चुने गए.
नौजवानों के आइडियल, लाखों बार देखे गए वीडियो
वैसे तो लोग उन्हें तेज-तर्रार पुलिस अफसर के रूप में भी जानते हैं लेकिन सोशल मीडिया पर योग-व्यायाम को लेकर खासे लोकप्रिय हैं. वह भी इतने कि उनका एक वीडियो 60 लाख बार देखा गया है. डांगी, रोज सुबह 6 से 8 बजे एक्सरसाइज और योग करते हैं. इसके बारे में युवाओं को बताते हैं. इस दौरान वे युवाओं को कैरियर, सामाजिक दायित्व जैसे विषयों पर मोटिवेशनल स्पीच भी देते हैं. ये सब इतना प्रभावी हो गया है कि अब यूथ और बच्चे तक उनसे मिलने आने लगे हैं.
राष्ट्रपति से दो बार वीरता पुरस्कार
छत्तीसगढ़ कैडर मिलने के बाद उनकी पोस्टिंग कोरबा और बिलासपुर के अलावा बीजापुर, कांकेर व बस्तर एस.पी. के रूप में हुई. उन्होंने वहां नक्सलियों के खिलाफ अभियान चलाया और बड़ी सफलताएं हासिल की. कई नक्सलियों को मार गिराया, गिरफ्तार किया. आई.जी. दंतेवाड़ा, कांकेर, राजनांदगांव रहते हुए कई बार नक्सलियों से सीधी मुठभेड़ में शामिल हुए. इस वीरता के कारण उन्हें साल 2008 और साल 2009 का राष्ट्रपति पुलिस वीरता पुरस्कार मिला.
एक साल पहले गाइड द यूथ, ग्रो द नेशन मिशन
श्री डांगी ने योगविद्या को समाज से साझा करना शुरू किया और एक शक्तिशाली युवा भारत के निर्माण के लिए प्रयास शुरू करते हुए एक वर्ष पूर्व गाइड द यूथ, ग्रो द नेशन मिशन की शुरुआत की. उन्होंने बताया कि वे काफी गरीबी व अभावों में पले बढ़े, इसलिए ठान लिया था कि जब भी कुछ करने लायक बनेंगे तो अभाव झेल रहे बच्चों-युवाओं के लिए कुछ करेंगे. उन्होंने बताया कि वे जब टीचर थे, तो वहां के हॉस्टल में किताबें, पेन-पेंसिल बांटते थे. फिर कुछ की फीस भरनी शुरू की. छत्तीसगढ़ आए तो लगा कि पूरी ताकत से युवाओं के लिए कुछ करना चाहिए. उन्हें सोशल मीडिया के जरिए शारीरिक फिटनेस, सात्विक भोजन, करियर को लेकर गाइड करने लगे. युवा, योग, फिजिकल फिटनेस प्रोग्राम से तेजी से जुड़ते गए. कोरोना काल में योग और व्यायाम करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी, उनको लाभ भी हुआ. योग मन को शांत रखता है, विचारों को शुद्ध रखता है. जब युवाओं की सुबह की शुरूआत ऐसी होगी तो वो सही दिशा में जा सकेंगे. वे इस काम को अपनी ड्यूटी से बिलकुल अलग रखते हैं,सुबह 8 बजे से पहले युवाओं से बातचीत हो जाती है. इसके बाद अपने कर्तव्य के पालन में जुट जाते हैं.
सफलता के लिए तन-मन की तंदरुस्ती पहली शर्त
आई.जी. श्री डांगी कहते हैं कि योग-व्यायाम, खान-पान का ध्यान, मेहनत, अच्छी सोच बस बेहतर इम्यूनिटी के लिए इतना ही चाहिए होता है. मैं रोज युवाओं को योग सिखाता रहूंगा और आग्रह भी करता रहूंगा कि वे स्वस्थ्य रहने का प्रयास करें क्योंकि सफलता के लिए शारीरिक और मानसिक दोनों का स्वस्थ होना पहली शर्त है. तन-मन स्वस्थ रहेगा, तो ही हम एक सेहतमंद और शक्तिशाली युवा भारत के निर्माण में अपना योगदान सुनिश्चित कर सकेंगे.
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