साय कैबिनेट की अहम बैठक—तीन बड़े फैसलों पर लगी मुहर

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The Duniyadari : रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में आज सिविल लाइन स्थित मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में हुई कैबिनेट बैठक में सरकार ने दो महत्वपूर्ण विषयों पर निर्णायक निर्णय लिए।

1. आत्मसमर्पित नक्सलियों के आपराधिक मामलों के निष्पादन की नई व्यवस्था

बैठक में यह मंजूरी दी गई कि आत्मसमर्पित नक्सलियों के खिलाफ चल रहे आपराधिक मामलों की समीक्षा कर उपयुक्त मामलों को वापस लिया जाएगा। इसके लिए एक मंत्रिपरिषद उप-समिति बनाई जाएगी, जो केसों की जांच-पड़ताल कर अंतिम निर्णय के लिए उन्हें कैबिनेट के समक्ष रखेगी।

यह पूरी प्रक्रिया छत्तीसगढ़ नक्सलवादी आत्मसमर्पण/पीड़ित राहत एवं पुनर्वास नीति–2025 के अनुरूप होगी, जिसमें अच्छे आचरण और नक्सलवाद समाप्ति में सहयोग को ध्यान में रखते हुए मामलों के निराकरण का प्रावधान है।

आगे की प्रक्रिया इस प्रकार तय की गई—

  • जिला स्तरीय समिति हर आत्मसमर्पित नक्सली के मामलों की जांच कर रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय भेजेगी।
  • पुलिस मुख्यालय अपने अभिमत के साथ प्रकरण शासन को भेजेगा।
  • विधि विभाग की राय लेने के बाद केस मंत्रिपरिषद उप-समिति के सामने रखे जाएंगे।
  • उप-समिति जिन मामलों को उचित समझेगी, उन्हें अंतिम अनुमोदन के लिए कैबिनेट में भेजा जाएगा।
  • केंद्र सरकार से जुड़े मामलों पर आवश्यक स्वीकृति भारत सरकार से प्राप्त की जाएगी।
  • अनुमोदित मामलों को न्यायालय में वापस लेने की कार्रवाई जिला दंडाधिकारी के माध्यम से की जाएगी।

2. 14 अधिनियमों में संशोधन—‘जन विश्वास विधेयक 2025’ का दूसरा संस्करण स्वीकृत

कैबिनेट ने राज्य के 11 विभागों के 14 अधिनियमों में संशोधन से जुड़े छत्तीसगढ़ जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) (द्वितीय) विधेयक, 2025 के प्रारूप को भी मंजूरी दी।

इस विधेयक का उद्देश्य है—

  • पुराने कानूनों को आधुनिक जरूरतों के अनुरूप बनाना
  • आम नागरिक और व्यापारियों को अनावश्यक कानूनी जटिलताओं से राहत देना
  • छोटे उल्लंघनों पर प्रशासकीय दंड लागू कर मामलों का त्वरित निपटारा करना

इससे न्यायालयों पर बोझ कम होगा और जनता को तेज़ समाधान मिलेगा।

राज्य सरकार इससे पहले भी 8 अधिनियमों के 163 प्रावधान सरल बनाकर जन विश्वास अधिनियम–2025 लागू कर चुकी है। अब इस नए विधेयक के माध्यम से 116 अतिरिक्त प्रावधानों को भी सरल और प्रभावी बनाया जाएगा।

ध्यान देने योग्य है कि छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है जिसने जन विश्वास विधेयक का दूसरा संस्करण लाकर कानूनों को और अधिक नागरिक-हितैषी बनाने की दिशा में कदम उठाया है।