दिल्ली।यूं तो टैक्स चोरी और नकली बिल बनाकर वस्तु एवं सेवा कर (GST) में धांधली करना कोई नई बात नहीं है. लेकिन कानपुर डिवीजन की इनकम टैक्स टीम ने एक ऐसे नेक्सस का पर्दाफाश किया है, जहां पर गरीब तबके के लोगों का सहारा लेकर जीएसटी और इनकम टैक्स की बड़ी चोरी की जा रही थी.
इनकम टैक्स सूत्रों के मुताबिक, इस पूरे नेक्सेस का मास्टरमाइंड कानपुर में भूसा टोली इलाके में ही काम करता है जहां पर कबाड़ का बड़ा काम है. आरोपी इस मंडी में मौजूद स्क्रैप डीलर, बैटरी डीलर और अन्य व्यापारियों को फर्जी बिल सप्लाई करता था.
इन फर्जी बिलों में वह जिन लोगों से सामान की खरीद दिखाता था, वह और कोई नहीं बल्कि रिक्शेवाले और कबाड़ उठाने वाले जैसे गरीब तबके के लोग थे. जिसके बाद फर्जी आईटीसी क्लेम और जीएसटी में रिबेट भी लेते थे.
10 हजार रुपए महीने देने का लालच
इस पूरे काम के लिए अभियुक्त ने कई सौ कबाड़वालों और रिक्शेवालों के नाम पर कई फर्म खोलीं. बैंक में फर्जी एड्रेस देकर खाते खुलवाए. उनसे उनकी चेकबुक पर साइन ले लिए. बैंक की डिटेल्स और एटीएम कार्ड अपने पास रख लिया. जिसके एवज में उन सभी गरीब लोगों को महीने का ₹10000 देने का वादा किया गया.
इन्हीं के बैंक खातों में पेमेंट की जाती थी और फिर चेक के जरिए वही पेमेंट वापस निकाली जाती थी. ऐसा करके अभियुक्त ने 250 करोड़ से ज्यादा के ट्रांजैक्शन कर डाले और एजेंसीज को 80 करोड़ के ऊपर का चूना लगा डाला. इनमें से कई ऐसे लोग ऐसे हैं जिन्हें 10,000 पर दिए जाने का वादा किया गया था, लेकिन कुछ समय बाद उन्हें वह भी मिलना बंद हो गए.
आयकर विभाग के उड़ गए होश
जब जीएसटी और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को इसके बारे में पता चला तो इन फर्म्स को नोटिस भेजा गया. जब इनमें से अमित कश्यप, सोमल तिवारी, सफल सिंह और प्रदीप नाम के व्यक्ति जो कि कबाड़ बीनने का काम करते हैं, एजेंसी के सामने आए तो उनके होश उड़ गए. यहीं से पूरे निक्सेस का भंडाफोड़ हुआ.
बैंक संदेह के घेरे में
इनकम टैक्स सूत्रों की मानें तो इस पर बैंक अधिकारियों पर भी सवाल उठते हैं कि क्यों इन लोगों की KYC नहीं कराई गई? बिना प्रॉपर बैकग्राउंड चेक कराए इनके बैंक अकाउंट कैसे खोल दिए गए?