10 साल से मायके में रह रही पत्नी, कोर्ट ने कहा—यह मानसिक यातना है, पति के पक्ष में हाईकोर्ट का निर्णय, 15 लाख स्थायी गुजारा भत्ता देने का आदेश

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The Duniyadari : पत्नी की लम्बी जुदाई को हाईकोर्ट ने माना मानसिक क्रूरता, पति को तलाक मंजूर।
रायपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक पारिवारिक विवाद में निर्णय सुनाते हुए कहा कि पत्नी द्वारा बिना उचित कारण लंबे समय तक वैवाहिक संबंधों से दूरी बनाए रखना पति के प्रति मानसिक क्रूरता है। कोर्ट ने इस आधार पर पति की तलाक याचिका स्वीकार कर ली।

यह मामला कोरबा के SECL अधिकारी से जुड़ा है, जिनकी शादी वर्ष 2010 में हुई थी। पति का कहना था कि विवाह के कुछ ही समय बाद पत्नी ने वैवाहिक दायित्वों से किनारा कर लिया और संयुक्त परिवार से अलग रहने का दबाव बनाने लगी। इसके बाद वह वर्ष 2011 से मायके में रह रही है। पति ने कई बार उसे वापस लाने की कोशिश की, यहां तक कि अदालत का सहारा भी लिया, लेकिन पत्नी तैयार नहीं हुई।

पत्नी की ओर से पति और उसके परिवार पर दहेज उत्पीड़न, मारपीट और पैसों की मांग जैसे गंभीर आरोप लगाए गए। उसने 498ए, घरेलू हिंसा और भरण-पोषण के केस भी दर्ज कराए। हालांकि, वर्ष 2021 में अदालत ने पति और उसके परिवार को इन सभी आरोपों से बरी कर दिया।

इससे पहले कोरबा फैमिली कोर्ट ने 2017 में पति की तलाक याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि वह परित्याग और क्रूरता साबित नहीं कर सका। लेकिन हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच—जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद—ने पाया कि पत्नी ने बिना पर्याप्त कारण पति से दूरी बनाई और लगातार मुकदमों के जरिए मानसिक व शारीरिक पीड़ा दी।

अदालत ने तलाक की डिक्री जारी करते हुए यह भी कहा कि पत्नी और बेटी पूरी तरह से पति पर निर्भर हैं। इसलिए, पति को आदेश दिया गया है कि वह 6 महीने के भीतर 15 लाख रुपए स्थायी गुजारा भत्ता पत्नी को अदा करे।