The Duniyadari : रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर सियासी टकराव तेज हो गया है। हाल ही में कैबिनेट में तीन नए चेहरों को शामिल करने के बाद मंत्रियों की संख्या 11 से बढ़ाकर 14 कर दी गई। कांग्रेस ने इस कदम को असंवैधानिक बताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इस पर भाजपा ने पलटवार करते हुए पोस्टर जारी कर कांग्रेस से सवाल किया है कि आखिर वह किस समाज का प्रतिनिधित्व कम करना चाहती है।
कांग्रेस का तर्क
कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 164 (1 क) के अनुसार किसी भी राज्य में मंत्रियों की अधिकतम संख्या विधानसभा की कुल सीटों का 15 प्रतिशत हो सकती है। छत्तीसगढ़ विधानसभा में कुल 90 सदस्य हैं, ऐसे में मंत्री परिषद की संख्या 13.50 यानी अधिकतम 13 होनी चाहिए। मगर 20 अगस्त को तीन नए मंत्रियों की नियुक्ति के बाद अब कुल 14 मंत्री हो गए हैं, जो संवैधानिक सीमा से अधिक है। इस याचिका पर हाईकोर्ट में सोमवार को सुनवाई होगी। कांग्रेस पहले भी सार्वजनिक मंचों पर इस विस्तार का विरोध जता चुकी है।
भाजपा का पलटवार
भाजपा ने कांग्रेस की आपत्ति को समाज विशेष के प्रति अपमान बताया है। पार्टी ने अपने पोस्टर में सवाल उठाया कि कांग्रेस बताए— वह किस समाज से आए मंत्री को हटाना चाहती है? मुख्यमंत्री साय ने कैबिनेट विस्तार में जातीय संतुलन साधने का प्रयास किया है। इसमें अंबिकापुर सांसद राजेश अग्रवाल (वैश्य समाज), दुर्ग विधायक गजेंद्र यादव (यादव समाज) और गुरु खुशवंत साहेब (सतनामी समाज) को प्रतिनिधित्व दिया गया है।
भाजपा का कहना है कि कांग्रेस की याचिका सीधे-सीधे इन समुदायों का अपमान है और यह दिखाता है कि कांग्रेस को समाज के व्यापक प्रतिनिधित्व से आपत्ति है।