कोर्ट के आदेश की अवहेलना : 13 दिन बाद भी एफआईआर नहीं, प्रकरण की जगह विद्वान न्यायाधीश के आदेश की विवेचना…?

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कोरबा। न्यायालय के द्वारा जारी आदेश  के 13 दिन बाद भी शहर के एक लैब संचालिका के खिलाफ एफ.आई.आर. पंजीबद्ध नहीं किया गया है। मामला कोविड टेस्ट की रिपोर्ट में देरी की वजह से जान गंवाने वाले परिजनों का है। पिछले दिनों अतिरिक्त मुख्य न्यायायिक मजिस्ट्रेट, कोरबा ने एक परिवाद पर सुनवाई के पश्चात एडवांस डायग्नोस्टिक सेंटर की संचालिका के खिलाफ एफ.आई.आर.  दर्ज करने का आदेश दिया था। न्यायालय के आदेश के 13 दिन बीतने के बाद भी मामला दर्ज न होना न्यायालीन आदेश के प्रति पुलिस की गंभीरता को दर्शाता है।

बता दें कि शहर में इन दिनों पुलिस चेहरा देख कर टीका लगा रही है। हम बात कर रहे है उस परिवार की जिन्होंने कोविड टेस्ट रिपोर्ट में हुई देरी की वजह से पूरे घर का दायित्व सम्हालने वाले अपने प्रिय परिजन को असमय ही खो दिया। डॉक्टर की लापरवाही से हुई मौत के संबंध में न्याय की आस के साथ परिवाद कोरबा न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। विद्वान न्यायाधीश आर.एन. पठारे ने  सारे दस्तावेजो और परिवादिनी पक्ष की ओर से तथ्यों के साथ अकाटय तर्कों को सुनकर एडवांस डायग्नोस्टिक सेंटर की लापरवाही मानते हुए एडवांस डायग्नोस्टिक सेंटर की

संचालिका पर अपराध दर्ज करने का आदेश जारी किया। आदेश जारी होने के बाद भी 13 दिन गुजर गए पर सीएसईबी चौकी द्वारा अब तक अपराध पंजीबद्ध नही किया गया है। मतलब साफ है कि दबाव की वजह से अपराध दर्ज करने में पुलिस के हाथ कांप रहे है, जबकि सीएसईबी चौकी को परिवाद की प्रति सहित न्यायालय का मेमो प्राप्त हो चुका है।

ये था मामला

 

प्रकरण में परिवादिनी कुसुमलता साहू ने अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय में परिवाद दायर करते हुए बताया कि वह 31/10/2020 की शाम को अपने पिता दिलेश्वर प्रसाद साहू को कोविड टेस्ट के लिए ट्रांसपोर्ट नगर, कोरबा स्थित एडवांस डायग्नोस्टिक सेंटर लेकर गई थी और वहां समय पर कोविड टेस्ट की रिपोर्ट नही दिए जाने के कारण इलाज के अभाव में उसके पिता दिलेश्वर प्रसाद साहू की अकाल मृत्यु हो गई। परिवादिनी द्वारा अपने परिवाद पत्र में उल्लेख किया गया है कि आरोपीगण के द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में अपनी गलती छिपाने के लिए जानबूझकर फर्जीवाड़ा करते हुए सैंपल लेने व सैंपल रिपोर्ट जारी करने के समय में फर्जीवाड़ा किया गया है। सैंपल लेने का समय 1 नवंबर की सुबह 10 बजे तथा रिपोर्ट जारी करने का समय 10:06 बजे दर्शित किया गया है जबकि दिलेश्वर प्रसाद साहू  की मृत्यु 2 घंटे पूर्व हो चुकी थी। परिवादिनी के द्वारा मृत्यु के संबंध में दस्तावेज भी पेश किए गए हैं कि मृत देह मोर्ग में रखी हुई थी।

पढ़े क्या था आदेश

प्रस्तुत परिवाद में आरोपीगण के विरुद्ध धारा – 468, 471, 188, 201 व 304(क) भा.द.सं. के अंतर्गत कार्यवाही करने की मांग परिवादिनी द्वारा किए जाने पर अति. मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, पीठासीन विद्वान न्यायाधीश श्री आर. एन. पठारे ने दिनांक – 22.03.2022 को अपने आदेश में लिखा है कि तथ्य से प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध का होना दर्शित होता है। उन्होंने अपने आदेश में सीएसईबी चौकी पुलिस को एफआईआर पंजीबद्ध कर कार्यवाही करने के लिए निर्देशित किया है। परिवादिनी की ओर से अधिवक्ता अनीष कुमार सक्सेना ने पैरवी करते हुए पक्ष मजबूती से रखा था।

वर्सन

एडीसी के संचालिका के खिलाफ कोर्ट से जो आदेश मिला है उसमें विवेचना की जा रही है। विवेचना पूरा होने के बाद मामला पंजीबद्ध किया जाएगा।

नवल साव, सीएसईबी चौकी प्रभारी