कोरबा। आम चुनाव की तैयारियां देश भर के साथ ही छत्तीसगढ़ में भी शुरू हो गयी है। छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों में कोरबा और बस्तर पर कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों की पैनी नजर है। ऐसे में कोरबा लोकसभा के लिए पूर्व राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय के नाम पर पार्टी ने अपनी मुहर लगा दी है। पार्टी के इस फैसले से कार्यकर्ताओं में खासा रोष और अंतर्कलह व्याप्त है।
पार्टी कार्यकर्ता अभी से ही पैराशूट कैंडिडेट को टिकट देने पर साल 2009 के आम चुनाव में करूणा शुक्ला की करारी हार का हवाला दे रहे है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यहीं है कि क्या सरोज पांडेय के लिए कोरबा लोकसभा की डगर वाकई में आसान रहेगी ? या फिर बीजेपी के इस फैसले पर कांग्रेस एक बार फिर अपनी जीत सुनिश्चित करने में कामयाब होगी ?
लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। बीजेपी कांग्रेस के साथ ही अन्य पार्टियां चुनावी रण में उतरने के लिए कमर कस चुकी है। ऐसे में पार्टी हाईकमान चुनावी रण में प्रत्याशियों को उतारने के लिए लगातार मंथन कर रही है। इस बार बीजेपी जहां 400 के पार का नारा दे रही है। वहीं विपक्षी दल एक जुट होकर एनडीए को सत्ता से बाहर करने की जुगत में लगी हुई है।
बात करे छत्तीसगढ़ की तो यहां की 11 सीटों में 9 सीटों पर मौजूदा वक्त में बीजेपी का कब्जा है, जबकि कोरबा और बस्तर लोकसभा सीट पर कांग्रेस काबिज है। ऐसे में आगामी आम चुनाव में बीजेपी जहां कोरबा और बस्तर सीट जीतकर 11 में से 11 सीट पीएम मोदी की झोली में डालने की रणनीति पर काम कर रही है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस इन दोनों सीटों को बचाते हुए अन्य सीटों पर जीत दर्ज करने की जुगत में लगी हुई है। ऐसे में बीजेपी ने आज कोरबा लोकसभा सीट से पूर्व राज्य सभा सांसद सरोज पांडेय को अपना प्रत्याशी बनाने की घोषणा कर दी है। बीजेपी की दमदार महिला नेत्रियों में शामिल सरोज पांडेय का नाम सामने आने के बाद एक तरफ पार्टी संगठन जहां कोरबा सीट जीतने को लेकर आश्वस्त है।
वहीं दूसरी तरफ कोरबा और कोरिया जिला के कार्यकर्ता पार्टी के इस फैसले से नाखुश नजर आ रहे है। पार्टी द्वारा टिकट फाइनल करने से पहले ही पार्टी के ग्रुपों में स्थानीय कैंडिडेट की उपेक्षा कर पैराशूट प्रत्याशी उतारने का विरोध शुरू हो गया था। पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा बकायदा ग्रुपों में साल 2009 के लोकसभा चुनाव का उल्लेख करते हुए बाहर प्रत्याशी होने के बाद भी करूणा शुक्ला को कोरबा से टिकट देना बड़ी हार की वजह बताया जा रहा है।
पार्टी के व्हाट्स एप्प ग्रुपों में कार्यकर्ता बकायदा स्थानीय प्रत्याशी की उपेक्षा करने से कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरने की बात कह रहे है। ऐसे में टिकट की घोषणा होने के बाद एक तरफ जहां संगठन कोरबा लोकसभा सीट को जीतने का दावा कर रहा है। वहीं कार्यकर्ता और टिकट की दावेदारी कर रहे प्रत्याशी हताश और निराश नजर आ रहे है। ऐसे में यदि समय रहते पार्टी इस डैमेज को कंट्रोल नही कर पाती है, तो इसका नुकसान आगामी लोकसभा चुनाव में साफ देखा जा सकता है।
लोकसभा का क्या है समीकरण……!
कोरबा लोकसभा की बात करे तो यह तीन जिलों के 8 विधानसभा क्षेत्रों से मिलकर बना है। इस लोकसभा में कोरबा जिला की 4 विधानसभा, कोरिया जिला की 3 और जीपीएम जिला का मरवाही विधानसभा शामिल है। मौजूदा वक्त में 8 विधानसभा क्षेत्र में 6 सीटों पर बीजेपी का कब्जा है, जबकि रामपुर विधानसभा में कांग्रेस और पाली-तानाखार विधानसभा में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का कब्जा है। विधानसभा सीटों पर बीजेपी की बढ़त के बाद भी पार्टी के बड़े नेताओं और स्थानीय प्रत्याशियों को नजर अंदाज करना बीजेपी को महंगा पड़ सकता है।
वहीं कोरिया जिला पिछले लंबे समय से अपने क्षेत्र से लोकसभा प्रत्याशी की मांग करते आ रहा है। लेकिन बीजेपी द्वारा पिछले तीन चुनाव में बाहर या फिर कोरबा से प्रत्याशी का नाम फाइनल करती आ रही है। ऐसे में यदि सरोज पांडेय के नाम पर पार्टी की मुहर लगने से कार्यकर्ताओं में पैराशूट कैंडिडेट के नाम पर उत्साह गिरने की बात कही जा रही है, जिसका सीधा नुकसान बीजेपी को होने की संभावना अभी से जतायी जा रही है। ऐसे में अब ये देखने वाली बात होगी कि सरोज पांडेय को टक्कर देने के लिए कांग्रेस किसे मैदान में उतारती है, ये तो आने वाला वक्त ही बतायेगा।