हाथरस हादसा: कौन हैं भोले बाबा…सत्संग के दौरान क्यों मची भगदड़? जानें सबकुछ

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उत्तर प्रदेश के हाथरस में मंगलवार 2 जुलाई को पुलराई गांव में स्वयंभू बाबा भोले बाबा के ‘सत्संग’ (धार्मिक सभा) में भगदड़ मच गई, जिसमें 100 से ज्यादा लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे। पंडाल में भीड़ अधिक होने के कारण भगदड़ मच गई क्योंकि हजारों लोग भोले बाबा के स्वागत समारोह में शामिल होने के लिए एकत्र हुए थे।

कौन हैं भोले बाबा जिनके सत्संग में मची भगदड़?
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भोले बाबा संत के रूप में प्रसिद्ध नारायण साकार हरि, भक्तों को आध्यात्मिक ज्ञान का उपदेश देने और उन्हें सांसारिक सुखों और भ्रमों से परे जाकर भगवान के प्रति समर्पित होने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए व्यापक रूप से जाने जाते हैं। अपनी सभाओं में सफेद थ्री-पीस सूट पहने, वह एटा जिले के बहादुर नगरी से आते हैं। भोले बाबा ने आध्यात्मिकता की राह पर आगे बढ़ने के लिए 1990 में इस्तीफा देने से पहले यूपी पुलिस के खुफिया विभाग में काम किया था।

26 साल पहले छोड़ी सरकारी नौकरी
भोले बाबा एटा जिले की पटयाली तहसील के बहादुर नगरी गांव का रहने वाला है। 26 साल पहले सरकारी नौकरी छोड़कर प्रवचन शुरू किया था। उसका असली नाम नारायण साकार हरि है। एक प्रवचन में बताया था कि वह गुप्तचर ब्यूरो में पदस्थ थे। बाबा के ज्यादातर अनुयायी पश्चिम यूपी, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली और उत्तराखंड में हैं। उनके कई IAS-IPS अफसर चेले हैं। अक्सर उनके समागम में राजनेता और अफसर पहुंचते हैं।

Hathras Bhole baba satsang news

नौकरी छोड़ने के बाद भगवान से हुआ सीधे साक्षात्कार
भोले बाबा यूपी के अलावा आसपास के राज्यों में लोगों को भगवान की भक्ति का पाठ पढ़ाते हैं। अक्सर अपने समागम में कहते हैं- उन्हें नहीं मालूम कि सरकारी नौकरी से आध्यात्म की ओर खींचकर कौन लाया? नौकरी से VRS लेने के बाद भगवान से साक्षात्कार हुआ। भगवान की प्रेरणा से पता चला, यह शरीर उसी परमात्मा का अंश है। इसके बाद उन्होंने अपना जीवन मानव कल्याण में लगाने का फैसला कर लिया।

बाबा के पास खुद की प्राइवेट आर्मी
भोले बाबा के पास खुद की प्राइवेट आर्मी हैं। जिनको उन्होंने सेवादार का नाम दिया है। हर मंगलवार को होने वाले कार्यक्रम की पूरी कमान यही सेवादार संभालते हैं। सेवादार देश से आने वाले श्रद्धालुओं के पानी, भोजन से लेकर ट्रैफिक की व्यवस्था करते हैं।

कोविड-19 के दौरान पत्नी के साथ मंच पर चर्चा
कोविड-19 महामारी के दौरान, उन्होंने अक्सर मंच पर अपनी पत्नी के साथ चर्चा आयोजित करके ध्यान आकर्षित किया। उनके सत्संगों को उनके भक्तों द्वारा ‘मानव मंगल मिलन सद्भावना समागम’ के रूप में जाना जाता है, जिन्हें उन्होंने कथित तौर पर मानवता के बीच सद्भाव और सद्भावना पर ध्यान केंद्रित करने का उपदेश दिया था।

2022 में भी हुआ था विवाद
कोरोना के समय मई 2022 में फर्रुखाबाद में भोले बाबा ने सत्संग का आयोजन किया था। जिला प्रशासन ने सत्संग के लिए सिर्फ 50 लोगों के शामिल होने की इजाजत दी थी। लेकिन इस कार्यक्रम में 50 हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए थे।

हाथरस के बाद आगरा में होना था अगला कार्यक्रम
भोले बाबा का अगला कार्यक्रम 4 से 11 जुलाई तक आगरा में था। सैंया थाना क्षेत्र में ग्वालियर रोड पर नगला केसरी में तैयारी चल रही थी। इसके पोस्टर भी लग गए थे।