Breaking : कोरबा जिले में महिला उम्मीदवारों को कांग्रेस व भाजपा ने विधायक बनने का मौका नहीं दिया..60 साल से वंचित हैं..

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✍️ नरेन्द्र मेहता, कोरबा

कोरबा:कोरबा जिले के चार विधानसभा सीट पर यदि सत्ता में महिलाओं की भागीदारी पर नजर दौड़ाई जाये तो एक बात स्पष्ट रूप से समझ मे आती हैं कि कांग्रेस हो या फिर भाजपा ने महिलाओं को टिकट देने के मामले में सदैव हासिये पर रखा, जबकि सियासत करने वाली दो पार्टी की नजर आधी आबादी के वोट बैक पर हैं. जबकि दोनों पार्टियों में सशक्त महिला नेत्री हैं जो विधानसभा का प्रतिनिधित्व करने में सक्षम हैं. किन्तु विधानसभा चुनाव में किसी भी दल ने उनको उतनी तवज्जो नहीं दी,जितनी मिलनी चाहिए. कहने को तो 33 फीसदी सीटो पर महिला आरक्षण बिल लाकर भाजपा ने महिला मतदाताओं को साधने का बड़ा दांव खेला तो कांग्रेस ने भी रणनीति तैयार कर ली.पर चुनावी संग्राम में आधी आबादी की भागीदारी की बात की जाए तो कोरबा जिले की सियासत में महिलाएं हासिये पर रही हैं.
विधानसभा चुनाव के इतिहास पर गौर किया जाए तो 60 साल पहले कांग्रेस ने अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित तानाख़ार विधानसभा सीट से
1957 में यज्ञसेनी कुमारी को टिकट दी.यज्ञसेनी विधायक चुनी गई .इस क्षेत्र से पहली विधायक और पहली आदिवासी महिला विधायक बनने का रिकॉर्ड आज भी यज्ञसेनी के नाम दर्ज हैं. दूसरी बार 1967 मे भी यज्ञसेनी कुमारी ने कांग्रेस की जीत का परचम लहराया कर यह संदेश देने में कामयाब रही कि केवल पुरुष ही विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए काबिल नहीं होते महिलाएं भी सक्षम होती हैं।
आश्चर्य जनक बात यह हैं कि यज्ञसेनी कुमारी (1967 ) के बाद चाहे पुराने विधानसभा क्षेत्र(कटघोरा, रामपुर, तानाख़ार) हो या फिर छतीसगढ़ के गठन के बाद बने कोरबा जिले के चार विधायक क्षेत्र (कोरबा,रामपुर, कटघोरा, पाली तानाख़ार) से प्रमुख राजनीति पार्टि कांग्रेस या भाजपा ने विधानसभा चुनाव में महिला को उम्मीदवार बना कर चुनावी रण में नहीं उतारा.
60 साल की राजनीति का समय कम नहीं होता और ऐसी बात भी नहीं हैं कि महिलाएं राजनीति में रुचि नहीं लेती,राजनीति में भी महिलाएं बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं. आज कोरबा जिले में महिला मतदाताओं की संख्या पुरूष मतदाताओ से अधिक है. महिला 4,59,238 हैं तो पुरूष की संख्या 4,59,080 हैं.