सांसे हो रहीं हैं कम, आओ बांस लगाए हम.. प्रकृति का अमूल्य उपहार

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बिलासपुर- बांस। घास की ऐसी प्रजाति, जो इस धरती पर सबसे तेजी से बढ़ने वाला एकमात्र पौधा है। अनुसंधान में जो जानकारी सामने आई है उसके अनुसार यह वातावरण में सबसे ज्यादा मात्रा में हानिकारक कार्बन अवशोषित करने में सक्षम है। इस खुलासे के बाद इसका वन क्षेत्र बढ़ाने की योजना बनाई जा रही है।

अपने देश में बांस का उपयोग तेजी से कम हो रहा है लेकिन बीते कुछ बरस में दुनिया में जितनी भी प्राकृतिक आपदा आई है उसमें बचे रहे केवल ऐसे घर जिनकी संरचना में बांस हिस्सेदारी आधी से ज्यादा थी। यह भी देखा गया कि घातक कार्बन को किस तरह सफलता के साथ, बांस अवशोषित करता है। इन दो महत्वपूर्ण कारक ने बांस के सिमटते जंगल को फिर से फैलने का अवसर दे दिया है।

 

नया खुलासा

बांस पर हुए अनुसंधान में इसमें हानिकारक कार्बन अवशोषित करने के गुणों का होना पाया गया है। हैरानी तब हुई, जब निर्माण की जा चुकी संरचनाओं में उपयोग किए गए बांस में भी यह गुण मिला। रेशे इतने मजबूत मिले कि उनमें बाढ़ का सामना करने की ताकत भी सामने आई।

यहां अनिवार्य

ग्वाटेमाला। दुनिया ऐसा देश जहां बाढ़ और भूकंप के मामले हमेशा सामने आते रहते हैं। अनुसंधान में जो खुलासे हुए हैं, उसके बाद इस देश में भवन निर्माण के दौरान बांस का उपयोग अनिवार्य किया जा चुका है। चीन में बांस आधारित उद्योगों को प्राथमिकता मिली हुई है, तो केन्या में इसे फसल का दर्जा दिया जा चुका है। इसलिए चलन और वन क्षेत्र तेजी से फैल रहा है।

जानिए बांस को

आधिकारिक तौर पर घास की एक प्रजाति, जो पृथ्वी पर सबसे तेजी से बढ़ने वाला एकमात्र पौधा है। केवल 3 साल की उम्र में कटाई के लिए तैयार होने वाला यह पौधा जहां से जा काटा जाता है, वहां से वह फिर से अंकुरित होने लगता है। एक हेक्टेयर में फैला बांस का वन 1 साल में 17 टन कार्बन अवशोषित करने में सक्षम होता हैं। 4 हेक्टेयर बांस के जंगल से 40 घर आसानी से बनाए जा सकते हैं।

करता है प्रदूषण नियंत्रण

बांस, घास परिवार का पौधा है, जो तेजी से बढ़ता है । यह अपनी विकास दर एवं प्रजाति के अनुसार 1 दिन में 6 इंच से लेकर 1 मीटर तक बढ़ सकता है । बांस दूसरे पौधों की तुलना में वायुमंडल से 33% अधिक कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करता है एवं 35% अधिक ऑक्सीजन प्रदान करता है । जलवायु परिवर्तन से अप्रभावित बांस हरियाली बढ़ाने के साथ-साथ भूमि एवं जल से अपनी जड़ों के माध्यम से धातुओं को अवशोषित कर प्रदूषण नियंत्रित करता है ।
अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट (फॉरेस्ट्री), बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, बिलासपुर (छ.ग.)