नई दिल्ली। देश के पहले सीडीएस बिपिन रावत के हेलीकॉप्टर क्रैश की वजह पता चल गई है। तीनों सेनाओं की जांच रिपोर्ट के नतीजे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को बता दिए गए हैं। आधिकारिक रूप से अभी कुछ नहीं बताया गया है, लेकिन सूत्रों के हवाले से जो बातें सामने आ रही हैं वो ये बताने के लिए काफी हैं कि हेलीकॉप्टर क्रैश होने से 8 मिनट पहले की उस अवधि में क्या हुआ था।
8 मिनट पहले मिला था आखिरी मेसेज
अब सूत्रों ने क्रैश के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी है, जिससे पता चलता है कि सीडीएस का हेलीकॉप्टर कैसे क्रैश हुआ था। भारतीय वायुसेना के रूस में बने Mi-17V5 हेलीकॉप्टर को उस दिन पायलट विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान उड़ा रहे थे। उन्होंने क्रैश से ठीक 8 मिनट पहले सूचना भी भेजी थी कि वह हेलीकॉप्टर को लैंड कराने जा रहे हैं। इसके बाद क्या हुआ, किसी को पता नहीं चला।
0.रेलवे लाइन के सहारे बढ़ रहा था हेलीकॉप्टर
जांच में पता चला है कि उस दिन तमिलनाडु का मौसम खराब था। पायलट हेलीकॉप्टर को जमीन से करीब 500-600 मीटर की ऊंचाई पर उड़ा रहे थे। मीडिया रिपोर्ट का दावा है कि Mi-17V5 उस दिन पहाड़ी पर एक रेलवे लाइन के सहारे आगे बढ़ रहा था और तभी चारों तरफ से बादल घिर आए।
0.ग्राउंड स्टेशन पर क्यों नहीं भेजा डिस्ट्रेस सिग्नल
जांच दल ने पाया कि ऐसा लगता है कि इलाके की जानकारी होने के कारण क्रू ने तेजी से बादलों के घेरे से निकलने का फैसला किया और इसी प्रक्रिया में चॉपर एक खड़ी चट्टान से जा टकराया। सूत्रों ने बताया है कि चूंकि पूरा क्रू ‘मास्टर ग्रीन’ कैटेगरी का था इसलिए उन्हें यह भरोसा था कि वे इस परिस्थिति से बाहर निकल जाएंगे और शायद इसीलिए उस दिन ग्राउंड स्टेशन को कोई डिस्ट्रेस कॉल नहीं की गई जिससे इमर्जेंसी पता चलती।
0.जानें क्या है मास्टर ग्रीन कैटेगरी
सूत्रों ने बताया कि मास्टर ग्रीन कैटेगरी तीनों बलों के हेलिकॉप्टर बेड़े और परिवहन विमान के बेस्ट पायलटों को दी जाती है क्योंकि वे कम दृश्यता में भी लैंड या प्लेन को टेक ऑफ करने में माहिर होते हैं। जांच दल ने सिफारिश भी की है कि इस घटना को देखते हुए भविष्य में इस तरह के क्रू में मास्टर ग्रीन के साथ अन्य कैटेगरी के पायलटों को भी शामिल किया जाए जिससे वे ग्राउंड स्टेशनों से मदद मांग सकें। एयर मार्शल एम. सिंह की अध्यक्षता वाली जांच कमेटी ने कई अन्य सिफारिशें भी की हैं।
0.हर ऐंगल से की गई जांच
तीनों सेनाओं की ओर से जांच की गई और आज रक्षा मंत्री को इसके बारे में जानकारी दी गई। एयर मार्शल मानवेंद्र सिंह ने इस हादसे की ‘कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी’ का नेतृत्व किया है। ऐसा बताया जा रहा है कि पुलिस दल ने मानवीय त्रुटि या हेलीकॉप्टर के उतरने की तैयारी करते समय चालक दल के सदस्य के ध्यान भटकने की संभावना समेत दुर्घटना के सभी संभावित पहलुओं की समीक्षा की है। एयर मार्शल सिंह को हवाई दुर्घटना के मामलों की जांच करने वाले देश के सर्वश्रेष्ठ जांचकर्ताओं में से एक जाना जाता है। वह वर्तमान में भारतीय वायुसेना के प्रशिक्षण कमान का नेतृत्व कर रहे हैं, जिसका मुख्यालय बेंगलुरू में हैं।