बिलासपुर- ऐसी मंदी कभी नहीं देखी। पछता रहा है महुआ का होलसेल मार्केट रिकॉर्ड स्टॉक रखकर। कीमत अच्छी मिलेगी यह सोच तो दूर, लागत निकल जाए, यही काफी है लेकिन आशंका, और मंदी के बनते नजर आ रहे हैं।
अच्छी फसल थी, बीते बरस महुआ की। खरीददार राज्यों का रुझान भी काफी अच्छा था। इसलिए वनोपज संग्राहकों ने बाजार के शुरुआती दौर में भरपूर मात्रा में खरीदी की थी, यह सोच कर कि ऑफ सीजन डिमांड में भाव अच्छे मिलेंगे। अब मौका आया हुआ है ऑफ सीजन का लेकिन खरीदार राज्यों की खरीदी नजर नहीं आ रही है। हालात इतने बदतर हैं कि पूछ-परख तक नहीं हो रही है।
सीमित है झारखंड का बाजार
छत्तीसगढ़ के अलावा महुआ की खरीदी सबसे ज्यादा मात्रा में झारखंड करता है। बिहार दूसरे नंबर पर है लेकिन शराब बंदी के फैसले और कड़ी निगरानी के बाद बिहार से खरीदी लगभग बंद जैसी ही है। ले-देकर झारखंड की ही खरीदी है लेकिन मात्रा इतनी कम है कि उसे पर्याप्त नहीं माना जा रहा है। इसलिए टूट के आसार अभी भी बने हुए हैं।
सख्ती से टूट रहा
अपने प्रदेश में भी शराब को लेकर जैसी सख्ती सरकार बरत रही है, उससे स्थानीय बाजार में मांग लगातार घटते क्रम पर है। इसलिए महुआ का होलसेल मार्केट दोहरे संकट का सामना कर रहा है। रायगढ़, जशपुर, बिलासपुर और रायपुर को महुआ के थोक कारोबार के लिए जाना जाता है। यह सभी उस दिन के इंतजार में है, जब मांग निकलेगी और स्टॉक क्लियर किया जा सकेगा।
ऐसा है स्टॉक और कीमत
महुआ कारोबारियों के अनुसार अच्छी मांग के इंतजार में इस समय छत्तीसगढ़ में लगभग 5 से 10 हजार टन महुआ का स्टॉक है लेकिन जैसी स्थितियां बनी हुई हैं, उसके बाद कोल्ड स्टोर में रखा महुआ 3300 से 3400 रुपए क्विंटल और ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्ध महुआ 2500 से 2600 रुपए क्विंटल के आसपास ठहरा हुआ है। बढ़त की संभावना जरा भी नहीं है।