Discussion is Discussion :कौन बनेगा बालको थानेदार,IPL सट्टे का खेल, पुलिस तंत्र फेल..इतना सन्नाटा क्यों है भाई,काप आफ द मंथ…

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कोरबा पुलिस बुकियों की गिरफ्तारी
कोरबा पुलिस बुकियों की गिरफ्तारी

कौन बनेगा बालको थानेदार…

अमिताभ बच्चन के मेगा शो “कौन बनेगा करोड़पति ” की शैली में पुलिस विभाग और बालको प्रबंधन में “कौन बनेगा बालको थानेदार ” की जुबानी जंग छिड़ गई है। दरअसल बालको थानेदार का रायगढ़ तबादला हो चुका है। सो चार जून के बाद आचार संहिता हटते ही उन्हें रायगढ़ “अवाई” देना होगा। लिहाजा जिले के सबसे बड़े राजस्व स्रोत की थानेदारी के लिए जोर आजमाइश शुरू हो चुकी है।

पुलिस के पंडितों की माने तो इस बार बालको में किसी एक पंडित को थानेदारी मिल सकती है। वैसे कई थानेदार स्पेशल अप्रोच के साथ बालको जाने की टकटकी लगाकर बैठे हैं। इसके अलावा कप्तान की अपनी अलग चॉइस होती है…और तो और बालको थानेदारी की पोस्टिंग में प्रबंधन का अपना अलग राग रहा है।

सो नेता प्रबंधन और कप्तान से तालमेल बैठाने वाले चाणक्य को बालको की चौकीदारी मिल सकती है। वैसे तो कोरबा में रिपीट पोस्टिंग वाले अफसर को कम नहीं आंका जा सकता। क्योंकि कोरबा में तीसरी बार पोस्टिंग बिना जुगाड़ के संभव नहीं है। स्पष्ट रूप से वे भी बालको थानेदारी के एक प्रबल दावेदार है।

कहा तो  यह भी जा रहा कि कुर्सी का मजा ले चुके थानेदार भी पोस्टिंग के लिए संशोधन के बाद संशोधन कराने सत्ताधारी नेताओ के साथ तालमेल बैठा रहे हैं। महकमे और प्रबंधन में कौन बनेगा बालको थानेदार की जुबानी जंग जनता जनार्दन को भी रास आ रही है क्योंकि ओद्योगिक सेक्टर होने के नाते सबसे ज्यादा पब्लिक ही पुलिस से प्रताड़ित होती है। लिहाजा जनता सरल स्वभाव के थानेदार की पोस्टिंग पर मुहर लगा रही है।

 

IPL सट्टे का खेल, पुलिस तंत्र फेल 

 

ये कहते तो लोगों को सुना ही होगा ” कानून के हाथ लंबे होते है ” लेकिन सटोरियों ने सब सेटकर पुलिस के मुखबिर तंत्र को फेल कर दिया है। सूत्रों की माने तो पिछले दो दिनों से सटोरियों को पकड़ने साइबर सेल मुखबिरों को तेल लगा रही है। जिससे सट्टा का खेल खेलने और खिलाने वालों तक पहुंचा जा सके।

कहा तो यह भी जा रहा कि शहर के एक चर्चित बुकी के दुकान पर सायबर वालों का आना-जाना लगा रहता है। विभागीय सूत्रों की माने तो जब सटोरिये को सक्ती पुलिस बिना सूचना के कोरबा आकर गिरफ्तार कर रही है। मतलब कोरबा के बुकी सक्रिय हैं जो हाईटेक तरीके से सट्टा संचालित कर कर सटोरियों को इन्टरटेंट करा रहे है और कुछ पुलिस के जाबांजों को किस्सा सुनाकर चला रहे है। खैर जो भी इस सीजन आईपीएल में सटोरियों की गिरफ्तारी न होने से पुलिस तंत्र फेल साबित हो रहा है।

 

इतना सन्नाटा क्यों है भाई…

 

याद तो होगा शोले के रहीम चाचा के सुपरहिट संवाद ” इतना सन्नाटा क्यों है भाई.. ” इन दिनों शहर के राजनीतिक फिजा में भी झंन्नाटेदार सन्नाटा पसरा हुआ है। राजनीतिक विश्लेषकों की जुबां तो छोड़िए यूं कहें हर किसी की लफ्जों पर शोले का पॉपुलर संवाद ये सन्नाटा क्यों है भाई है दोहराया जा रहा है।

दरअसल ग्रामीण अंचलों में बंपर वोटिंग से पोलिंग एक्सपर्ट से लेकर रणनीतिकार भी नहीं समझ पा रहे कि ऊंट किस करवट बैठेगा। हालांकि लोग सुनी सुनाई बातों को आधार मानकर सभी एक दूसरे को जीता रहे हैं। वैसे तो राजनीतिक पंडित मोदी की गारंटी पर वोटों का कैलकुलेशन बता रहे हैं तो कोई बाहरी और स्थानीय का माहौल बताते हुए फिर से कांग्रेस को जीता रहे हैं।

बात चाहे जो भी लेकिन, मतदान के बाद कांग्रेस और भाजपा दोनों खेमे में सन्नाटा पसरा हुआ है। हालांकि पार्टी के रणनीतिकार अपने अपने दावे पेश करते समीक्षा कर अपने नेताओं को बढ़त दिला रहे हैं। पर उनका दावा सिर्फ 4 जून तक सांत्वना पुरस्कार जैसा ही होगा, क्योंकि 4 जून को जब ईवीएम खुलेगी तो दावे की पोल खुल जाएगी। बहरहाल चुनावी चर्चा का मजा लीजिए और अपने विरोधी खेमे की खामोशी पर गौर कीजिए…!
खामोशी से बता रही है कि हाइप्रोफाइल सीट पर मतदातओं के भरोसे लड़े चुनाव के परिणाम से पहले समीक्षा चौकाने वाला है। उधर हाथ वाले नेता सत्ता की चाबी दिलाने जनता का आभार जता रहे हैं। जो खामोशी को और बढ़ा रही है।

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काप आफ द मंथ

राजधानी पुलिस के निजात अभियान में आईपीएस संतोष सिंह की काप आफ द मंथ स्कीम का असर जिले की पुलिसिंग में दिखने लगा है। चुनाव से पहले और अचार संहिता लगने के बाद जिस तरीके से क्राइम ग्राफ में ब्रेक लगा है उसमें काप आफ द मंथ योजना का बड़ा योगदान है।

पुलिसिंग के क्षेत्र में अच्छा कार्य कर रहे अधिकारी कर्मचारी को प्रोत्साहित करने के लिए हर माह “काप आफ द मंथ’ पुरस्कार देने की शुरुआत की गई। चुने गए कर्मचारियों को नगद इनाम एवं गुड सर्विस एंट्री व प्रशंसापत्र के साथ ही उनका फोटो समस्त पुलिस कार्यालयों और जिले के सभी थाना व चौकी के नोटिस बोर्ड पर पूरे माह के लिए लगाई जा रही है।

 

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इससे दूसरे पुलिसकर्मी भी अच्छा कार्य करने के लिए प्रोत्साहित तो होंगे साथ ही पुलिस अधीक्षक रायपुर द्वारा स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जनता से अच्छा व्यवहार जिम्मेदारी एवम निष्ठापूर्वक कार्य करने वाले पुलिसकर्मियों को हमेशा सम्मानित किया जाएगा। वहीं अवैध काम में लिप्त व अनुशासनहीनता व पदीय कर्तव्य निर्वहन में लापरवाहीपूर्ण आचरण करने वाले पुलिसकर्मियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।

जरूरत इस बात की है कि पुलिलिंग में अच्छा कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करने का ये सिलसिला सभी जिलों में लागू किया जाए ताकि जो काम रायपुर की पुलिस कर रही है उसे पूरे प्रदेश की पुलिस कर सके और ये पहल प्रदेश सरकार के सुशासन में मील का पत्थर साबित हो सके।

 

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चर्चा है चर्चा…

छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव निपट गए और 4 जून को होने वाली मतगणना का इंतजार है। मीडिया से लेकर अफसरशाही में हारजीत का गणित भिड़ाने वालों में किस पार्टी को कितनी सीट मिलेगी इस लेकर अलग अलग दावे किए जा रहे हैं। लेकिन, काउंटिंग से पहले रूलिंग पार्टी के मंत्री और विधायकों में नतीजों से ज्यादा इस बात की चर्चा चल रही है कि नया मंत्री कौन बनने वाला है और किसे बाहर होना पड़ सकता है।

चर्चे पर चर्चा यह है कि चुनाव के बाद साय कैबिनेट में होने वाले फेरबदल में मंत्री बनने के लिए पार्टी का क्राइटेरिया क्या होगा…और उसमें वो कहां फिट हो रहे हैं। अनफिट होने वाला मंत्री कौन हो सकता है।

चर्चा ये भी है कि लोकसभा चुनाव नतीजे आने के बाद सरकार के मंत्री बृजमोहन अग्रवाल मंत्री पद छोड़ देंगे। उनके चुनाव जीतने में कोई संशय नहीं है। उनकी जगह पार्टी में किसे मिलने वाली है। पिछले विधानसभा चुनाव में जिस तरह से पार्टी संगठन में बदलाव किया और नतीजों के बाद मंत्रिमंडल के गठन में अच्छे अच्छे की छुट्टी कर दी उससे पार्टी के बड़े नेता अभी तक सहमे हुए हैं।

अब मंत्रिमंडल के फेरबदल में अगर दिल्ली से पर्ची भेजी गई तो उनका गणित धरा का धरा जाएगा। चर्चा है कि राजधानी में मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के बंगले में उनसे मिलने वालों कुछ हो गए हैं। इनमें उनके समर्थकों की संख्या कम और विधायकों की तादात ज्यादा है।

हाल ही में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक और ऐन चुनाव के वक्त जेसीसी छोड़ कर बीजेपी में शामिल होने वालें पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष धरमजीत सिंह को बृजमोहन के बंगले में देखा गया है। हालांकि दोनों नेता पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह के ज्यादा करीबी है, मगर उनका बृजमोहन के बंगले में देखा जाना कहीं न कहीं चर्चा का विषय तो बनता है।

वहीं कुरुद विधायक अजय चंद्राकर, पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल और राजेश मूणत, लता उसेंडी व विक्रम उसेंडी भी भी साय कैबिनेट के दो खाली पद पर मंत्री पद के लिए प्रबल दावेदार हैं मगर बाजी किसके हाथ लगेगी इसे लेकर पुख्ता दावा करना अभी जल्दी बाजी हो सकती है।

इसके अलावा बृजमोहन के दिल्ली जाने के बाद रायपुर दक्षिण विधानसभा में आए खालीपन को भरने के लिए पार्टी किसे आगे करने वाली है, इसे लेकर भी चर्चा पर चर्चा…हो रही है। जो भी जून आखिर तक सब कुछ साफ हो जाएगा। बादल भी ​बरसेंगे और मोर भी नाचेगा..मगर वो मोर कौन होगा ये तो दिल्ली वाले की जाने

 

    ✍️ अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा