Effective on gram, murmura: बगैर पंजीयन, लाई और बताशा न हीं चना, मुरमुरा…पॉपकॉर्न यूनिटों पर भी प्रभावी…

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सतीश अग्रवाल, वरिष्ठ पत्रकार

बिलासपुर- बगैर पंजीयन अब लाई और बताशा नहीं बनाया जा सकेगा। चना-मुरमुरा और पॉपकॉर्न बनाने वाली इकाईयों को भी इस नियम का पालन समान रूप से करना होगा।

दीप पर्व याने लाई-बताशा के दिन। शीत ऋतु याने चना-मुरमुरा का सीजन। मांग के दिन करीब आने को हैं। इसे ध्यान में रखते हुए खाद्य व औषधि प्रशासन की नजर में कुछ ऐसे कारोबारी क्षेत्र हैं जिन पर अब तक ध्यान नहीं दिया जाता था। इस बार सघन जांच अभियान में यह चारों खाद्य सामग्री बनाने वाली इकाइयां नजर में होंगी।

इसलिए लाई और बताशा

सीमित दिनों का कारोबार है, लाई और बताशा का। इसलिए बनाए जाने के दौरान जरूरी सुरक्षा मानक की जमकर अवहेलना की जाती है। स्वच्छता का अभाव तो होता ही है साथ ही भंडारण का तरीका नियमों के विपरीत पाया गया है। इन सभी को गंभीर गलती मानी गई है। इसलिए जवाबदेही स्वीकार करनी होगी और करवाना होगा खाद्य एवं औषधि प्रशासन से पंजीयन।

चना, मुरमुरा और पॉपकॉर्न

पूरे साल मांग में रहने वाले चना, मुरमुरा और पॉपकॉर्न के लिए बेहतर कारोबारी मौसम होता है शीत ऋतु। करीब आ चुका है यह मौसम। इसलिए इन तीनों कारोबार को भी पंजीयन की अनिवार्यता स्वीकार करनी होगी। प्रशासन ने प्रारंभिक जांच में तमाम तरह की गलतियों का किया जाना पाया है। लिहाजा सख्ती इन पर भी बरतने की योजना बनाई जा रही है। इसलिए प्रथम चरण में पंजीयन की अनिवार्यता लागू की जा रही है।

यह अनिवार्य

उत्पादन स्थल पर स्वच्छता पहली शर्त होगी। कार्यरत कर्मचारियों और श्रमिकों को मास्क, ग्लव्स और गम बूट पहनना अनिवार्य होगा। प्रदूषित हवा की निकासी के उपाय करने होंगे। भंडारगृह का स्वच्छ और सुरक्षित होना जरूरी होगा ताकि तैयार खाद्य सामग्री की गुणवत्ता बरकरार रहे। जांच के दौरान इन सभी सुरक्षा मानक के पालन पर ध्यान होगा।

जांच के निर्देश

भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम के तहत लाई, बताशा, चना, मुरमुरा और पॉपकॉर्न बनाने वाली इकाइयों को पंजीयन नंबर लेना अनिवार्य किया जा चुका है। खाद्य सुरक्षा अधिकारियों को जांच के निर्देश दिए जा रहे हैं।
– डॉ आर के शुक्ला, डिप्टी कमिश्नर, खाद्य एवं औषधि प्रशासन, रायपुर